- किसानों का रहा ध्यान, मगर सर्विस टैक्स बढ़ाकर आम आदमी को किया
- अर्थशास्त्रियों ने बताया देश की 75 परसेंट आबादी का बजट
- इंडस्ट्रीज, ज्वैलर्स और बिजनसमैन बजट से नाराज
GORAKHPUR: लोकसभा में पेश हुए आम बजट से जहां किसानों की मायूसी दूर हुई है, वहीं दूसरी ओर आम पब्लिक को थोड़ी खुशी और थोड़ी मायूसी हाथ लगी। विभिन्न वर्ग के और प्रोफेशन से जुड़े लोगों को बजट से काफी उम्मीदें थीं। मगर सर्विस क्लास, व्यापारी और कार्पोरेट जगत की अपेक्षाओं में देश के फायनेंस मिनिस्टर का यह बजट खरा नहीं उतर सका। टैक्स में छूट और कई तरह की सब्सिडी की अपेक्षा कर रहे आम आदमी को इससे राहत नहीं मिल सकी। ओवर ऑल अगर इस बजट के कनक्लूजन पर नजर डाली जाए तो इससे कमजोर वर्ग और किसानों तो राहत मिली है, लेकिन आम आदमी के लिए यह बजट महंगाई की आहट लाने वाला है।
आम लोगों के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं हैं। न तो इनकम टैक्स में छूट दी गई है और सर्विस टैक्स बढ़ाकर आम आदमी पर और बोझ डाला गया है। किसानों का बजट कहा जा रहा है लेकिन इससे भूमिहीन किसानों को कोई फायदा नहीं होगा।
डॉ। सुरहिता करीम, गायनोकोलॉजिस्ट
बजट में इंडस्ट्री के लिए कुछ नहीं है। गोल्ड ज्वेलरी पर एक परसेंट एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से जो टैक्स देकर ज्वेलरी सेल करते हैं, उन्हें अनआर्गनाइज्ड वे में काम करने वालों से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। इससे ईमानदारी से टैक्स देने वालों पर बोझ बढ़ेगा।
अतुल सराफ, निदेशक एस्प्रा डायमंड
वित्तमंत्री ने बजट में गरीब पेशेंट्स का ध्यान रखा। मगर सर्विस टैक्स बढ़ना नहीं चाहिए था, इससे महंगाई बढ़ेगी। इसको कम करना चाहिए था। बजट में ग्रामीण विकास पर ध्यान दिया गया है।
डॉ। अमित गोयल, लाइफ पैथालॉजी
गरीबों के इलाज को ध्यान में रखकर गांवों में सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया गया है। हेल्थ इंश्योरेंस, वर्ल्ड क्लास हॉस्पिटल और शिक्षण संस्थाओं को स्थापित करना, वॉटर प्रिजर्वेशन, मनरेगा का यूटलाइजेशन, स्किल डेवलपमेंट ये सभी अच्छे प्रयास हैं।
डॉ। चक्रपाणि पांडेय, फीजिशियन
बजट से व्यापारियों और उद्यमियों को निराशा हुई है। इसमें उद्योग व्यापार पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया है। खराब दौर से गुजर रहे टेक्सटाइल उद्योग को सर्वाइव करने के लिए कुछ छूट मिलनी चाहिए।
सुरेंद्र अग्रवाल, प्रेसिडेंट चैम्बर आफ इंडस्ट्रीज
एग्रीकल्चर पर केंद्रित बजट है, इससे किसानों को निश्चित तौर पर फायदा मिलेगा। इंडस्ट्रीज पर ध्यान नहीं दिया गया है। एसएसआई लिमिट को बढ़ाना चाहिए था।
आकाश जालान, ज्वाइंट सेक्रेटरी, चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज
बजट में फूड प्रॉडक्शन में 100 परसेंट विदेशी निवेश की छूट दी है। इससे कृषि और किसानों को फायदा होगा। रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इससे छोटे व्यापारियों के आयकर स्लैब को बढ़ाना चाहिए था।
अखिलेश्वर दूबे, सीए
बजट देश की ग्रामीण आबादी पर फोकस था। पहली बार ऐसा बजट पेश किया गया है। किसानों को बीमा, स्वास्थ्य सहित कई तरह की योजनाएं दी गई हैं। जो काफी अच्छी है।
भावेश गुप्ता, सीए
इस बजट से मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया को बल मिलेगा। इससे बड़ी संख्या में रोजगार का भी सृजन होगा। वित्तमंत्री को टैक्स स्लैब में रियायत करनी चाहिए थी।
शक्तिशरण श्रीवास्तव, सीए
बजट को किसानों और गरीबों को केंद्र में रख गया है। इससे इकोनॉमी की ग्रोथ रेट भी बढ़ेगी। पिछले दिनों किसानों ने सूखे के कारण आत्महत्याएं की थीं। इस बजट में उनके लिए अच्छी योजनाएं दी गई हैं।
शिशिर दूबे, सीए
कृषि उत्थान, स्टार्टअप और मेक इन इंडिया पर विशेष ध्यान दिया गया है। जिससे बेरोजगारी की समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिलेगा।
अभिनंदन पांडेय
यह आम आदमी का बजट नहीं है। टैक्स में किसी तरह की छूट नहीं दी गई है। कुछ टैक्स बढ़े हैं जिससे महंगाई बढ़ेगी।
प्रसून गोयल, सीए
सर्विस टैक्स बढ़ाना बिल्कुल गलत है। 44एडी को भी छेड़कर काफी कठिन बना दिया गया। टैक्स स्लैब भी बढ़ना चाहिए था। इससे निवेश बढ़ता है।
गौरव अग्रवाल, सीए
देश की इकोनॉमी ग्रोथ को बढ़ाने वाला बजट है। सरकार अपने ग्रोथ लक्ष्य को प्राप्त करने कीे कोशिश कर रही है। इसमें राजकोषीय घाटे को कम करने का प्रयास किया गया है। गरीब और एग्रीकल्चर सेक्टर के विकास को प्राथमिकता दी गई है।
प्रो। संदीप दीक्षित, हेड अर्थशास्त्र विभाग
बजट के कृषि क्षेत्र पर पूरा-पूरा ध्यान दिया गया है। 2018 तक प्रत्येक गांव को बिजली देने आदि से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। किसानों के पास पैसा आएगा तो व्यापार और उद्योग को भी फायदा होगा। टैक्स का स्लैब न बढ़ने से व्यापारियों और मध्यम वर्ग को थोड़ी निराश हुई है।
सीताराम जायसवाल, अध्यक्ष संयुक्त व्यापार मंडल
इकोनॉमी ग्रोथ को पाने के लिए वित्तमंत्री ने अच्छा बजट दिया है। कृषि और आईटी सेक्टर मजबूत करने की पूरी कोशिश की है।
राकेश गुप्ता, व्यापारी