-चिलुआताल की घटना
-14 नवंबर की शाम शादी का कार्ड बांटने के लिए निकला था घर से
-देर रात घर न पहुंचने पर तलाश में जुटे परिजन, शाहपुर में दर्ज कराई थी गुमशुदगी रपट
-चिलुआताल के करीमनगर स्थित पोखरे में मिली लाश
GORAKHPUR: चिलुआताल एरिया के पोखरभिंडा तालाब में बुधवार को एक युवक की तैरती डेड बॉडी मिली। इसकी सूचना के बाद पब्लिक की भीड़ जुट गई। इसी बीच किसी ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी। परिजनों ने उसकी पहचान सुधीर रंजन गुप्ता के रूप में की। हादसे के बाद घर में कोहराम मच गया।
परिजनों ने डेड बॉडी की शिनाख्त
तीन दिन पहले लापता सुधीर रंजन गुप्ता की लाश बुधवार को चिलुआताल एरिया के करीमनगर स्थित पोखरे में मिली। राप्तीनगर फेज-4 रेल बिहार के शाहपुर के रहने वाले 30 वर्षीय सुधीर रंजन गुप्ता पिछले 14 नवंबर की शाम अपनी शादी का कार्ड बांट कर घर पहुंचा था। चाय पीने के दौरान किसी का फोन आया। इसी बीच मोबाइल और पर्स घर पर ही छोड़कर टी-शर्ट और लोअर पहनकर घर से निकला लेकिन घर वापस नहीं पहुंचा तो परिजनों की परेशानी बढ़ गई और वह उसकी तलाश में लग गए। जब उसका कहीं पता नहीं चला तो पिता ने शाहपुर में उसकी गुमशुदगी की रपट दर्ज कराई। इसके बाद 100 नंबर पर पुलिस को सूचना दी। सूचना के बाद पुलिस युवक की तलाश में जुटे रहे। बुधवार सुबह किसी ने करीमनगर के पोखरभिंडा तालाब में मुंह के बल तैरती डेड बॉडी की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने डेड बॉडी को तालाब से बाहर निकलवाया, मृतक के गले पर निशान और नांक से खून का बहना और सीने पर कालेपन का निशान मिला है। सूचना पाकर एसएसपी व एसओ मौके पर पहुंचे।
23 नवंबर को थी शादी
सुधीर रंजन की शादी 23 नवंबर को देवरिया जिले के बरहज में होनी थी। इंगेजमेंट सात माह पूर्व हो चुका था और घर में शादी की तैयारी भी लगभग पूरी हो चुकी थी। मृतक महराजगंज में एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत थे। वह तीन भाईयों में सबसे बड़ा था। दो छोटे भाई पढ़ाई कर रहे हैं और एक बहन जोबीएचयू बनारस से एमएससी कर रही है।
बड़े भाई की बेटी की शादी में भी नहीं पहुंच सका परिवार
महराजगंज के निचलौट के रहने वाले मृतक के परिवार में बुधवार बड़े पिता की लड़की की शादी है। इसमें परिवार के सभी सदस्यों को जाना था। मृतक की मां मीरा देवी का हाल बहुत बुरा है। मृतक के पिता गोरख प्रसाद गुप्ता ने बताया कि समय से सूचना देने के बाद भी पुलिस ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई। अगर पुलिस सक्रिय हो गई होती तो शायद उसकी जान बच जाती।
धरे के धरे रह गए मां के अरमान
एक तरफ जहां सुधीर की शादी की तैयारी हो रही थी तो दूसरी तरफ वह अपने शादी के कार्ड को खुद भी अपने रिश्तेदार और दोस्तों में बांट रहा था। उधर, बहन भाई और मां उसके शादी के अरमान सजाएं, लेकिन एक ही झटके में उनके अरमान धरे के धरे रह गए।