गोरखपुर (ब्यूरो)। एक्टिवा और अन्य वाहनों को बेखौफ सड़कों पर दौड़ाने वाले नाबालिग सबसे अधिक दुर्घटना कर रहे हैं। केजीएमयू और लोहिया संस्थान के एक्सपर्ट के आंकड़ों के अनुसार रोड एक्सीडेंट में जान गंवाने वाले 40 परसेंट 40 परसेंट नाबालिग बच्चे हैं, जिनकी एज 12 से 18 वर्ष है।
नहीं चला सकेंगे 50 सीसी से अधिक की गाड़ी
मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 4 में प्रावधान किया गया है कि 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक स्थान पर वाहन नहीं चलाया जाएगा। 18 साल से अधिक आयु होने पर नाबालिग 50 सीसी से कम इंजन क्षमता वाली गाड़ी चला सकते हैं।
वाहन स्वामी को होगी सजा
किसी भी मोटरवाहन अपराध में किशोर के संरक्षक वाहन स्वामी को ही दोषी मानते हुए 3 वर्ष का कारावास और 25 हजार तक जुर्माना लगाया जा सकता है। अपराध लिप्त वाहन का रजिस्ट्रेशन एक साल के लिए निरस्त किया जाएगा और ऐसे किशोर का डीएल 25 वर्ष एज पूरा करने के बाद ही बन पाएगा।
स्कूल हुए सख्त
निर्देश आने के बाद से ही स्कूल भी सख्त हुए हैं। स्कूलों ने बच्चों के पेरेंट्स को भी नाबालिग को वाहन ना देने की अपील की है। उन्हें इस कानून से भी अवगत कराया गया है। स्कूल खुद भी जो बच्चे वाहन लेकर आते हैं, उनके डीएल चेक कर रहा है।
फैक्ट एंड फीगर
सीबीएसई स्कूल - 125
सीआईसीएससीई स्कूल - 25
यूपी बोर्ड स्कूल - 490
गाड़ी चलाने वाले स्कूली बच्चे- 2.75 लाख
पेरेंट्स को इस कानून को समझने के साथ ही बच्चों की सेफ्टी पर भी ध्यान देना होगा। अगर वह नाबालिग बच्चे को वाहन दे रहे हैं तो उन्हें सजा के लिए भी तैयार रहना होगा। कहीं अगर अनहोनी हुई तो बच्चे के स्वास्थ्य पर भी खतरा हो सकता है।
अजय शाही, अध्यक्ष, गोरखपुर स्कूल एसोसिएशन
स्कूलों के डायरेक्टर और प्रिंसिपल संग मीटिंग कर इस मुद्दे पर चर्चा की गई है। उन्हें इस नियम के प्रति पेरेंट्स को अवेयर करने के लिए भी कहा गया है। नाबालिग बच्चे गाड़ी लेकर स्कूलों में ना आएं। इसके लिए स्कूल्स प्रबंधन को भी ध्यान देना होगा।
डॉ। अमरकांत सिंह, डीआईओएस
कानून पहले से बना है। इसका पालन नहीं हो रहा था। अब तो शासन की तरफ से भी सख्त निर्देश आ चुके हैं, अब पेरेंट्स को गलत सही खुद ही समझना होगा। हम लोग स्कूल में आने वाले हर बच्चे की गाड़ी और डीएल चेक करते हैं।
राजीव गुप्ता, डायरेक्टर, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज