- डीडीयूजीयू की मिनी बस शैक्षणिक कार्य में इस्तेमाल के बजाय वीसी आवास की बढ़ा रही है शोभा
- स्टूडेंट्स, शैक्षणिक कार्य के लिए चार पहले खरीदी गई थी मिनी बस
GORAKHPUR: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी (डीडीयूजीयू) में स्टूडेंट्स और उनकी सुविधाएं सर्वोपरि हैं। यही वजह है कि समय समय पर स्टूडेंट्स के लिए नई नई सुविधाएं लांच की जाती हैं। ऐसी सुविधाओं में एक थी ख्0क्क् में करीब नौ लाख रुपए की लागत से खरीदी गई ख्भ् सीटर मिनी बस। आज यह बस वीसी आवास की शोभा बढ़ा रही है। सूत्रों की मानें तो इस मिनी बस को ख्0क्ख् में अंतिम बार यूज किया गया था।
शैक्षणिक कार्य और टूर के लिए थी बस
जब यह बस खरीदी गई थी तो इसका मकसद था कि यह स्टूडेंट्स और टीचर के काम आएगी। खासकर एजुकेशनल टूर और सेमिनार में आने जाने के लिए। आलम यह है कि डीडीयूजीयू कैंपस में होने वाले फंक्शनल प्रोग्राम में स्टूडेंट्स से लेकर टीचर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो बाहर से बस हायर करनी पड़ती है। जबकि यूनिवर्सिटी के अपनी बस है, लेकिन यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की इस पर नजर नहींजाती है और नहीं वीसी साहब की। ऐसा लगता है कि डीडीयूजीयू को इस बस की जरूरत ही नहीं है। यह मिनी बस इन दिनों वीसी आवास की शोभा बढ़ा रही है।
रखे-रखे हो रही है खराब
नाम न पब्लिश करने की शर्त पर एक प्रोफेसर ने बताया कि यह मिनी बस वीसी आवास में रखी गई है। बीते दिनों किसी कार्य के लिए जब बस की डिमांड की गई तो टेक्निकल खराबी की बात कहकर टाल दिया गया। हालांकि इसकी मेंटेंस और रखरखाव की जिम्मेदारी डीडीयूजीयू के संपत्ति विभाग की है, लेकिन संपत्ति विभाग के कर्मचारियों की नजरें भी इस बस के मेंटेंस पर नहीं जा रही।
तो स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम्स सॉल्व्ड हो जाती
डीडीयूजीयू में पढ़ने वाले यूजी और पीजी स्टूडेंट्स की मानें तो उनके एजुकेशनल टूर के लिए उनसे एक्स्ट्रा रुपए जमा कराए जाते हैं। इसके लिए बाहर से बसों को बुक कराया जाता है। डीडीयूजीयू की मिनी बस एजुकेशनल टूर में इस्तेमाल की जाती तो स्टूडेंट्स की फाइनेंशियल और फिजिकली प्रॉब्लम्स सॉल्व्ड हो जाती, लेकिन जब से इस मिनी बस को खरीदा गया है, तब से लेकर आज तक यह डीडीयूजीयू के कैंपस में यह बस कभी नहींदिखी।
शैक्षणिक कार्य के लिए बस का इस्तेमाल किया जाता है। जब यूनिवर्सिटी को बस की आवश्यकता होती है। इसका इस्तेमाल किया जाता है। लास्ट टाइम एनएसएस वालेंटियर्स ने इसका इस्तेमाल भी किया था।
प्रो। अशोक कुमार,
वीसी, डीडीयूजीयू गोरखपुर