- मछली कारोबारियों का कब्जा, झांकने तक नहीं आया कोई दूध व्यापारी
GORAKHPUR : अगर आप गोरखपुर के कुछ चौराहों पर मार्निग वॉक करने निकल जाएंगे तो अगले दिन घूमना ही बंद कर देंगे। क्योंकि इन चौराहों पर दूधियों का कब्जा रहता है। चौराहों पर दर्जनों की संख्या में बड़े दूध कारोबारी खुदरा दूध कारोबारियों को दूध डिस्ट्रीब्यूट करते हैं। ऐसे में पूरा चौराहा दूध और पानी से कीचड़ में तब्दील हो जाता है। अब आप ही बताइए ऐसे में वॉक करते समय मार्निग कैसे गुड होगी? अब आपके मन में एक सवाल यह आ रहा होगा कि आखिर सरकार कुछ क्यों नहीं करती। तो आपको बता दें सरकार ने इन दूधियों के लिए क्0 करोड़ रुपए खर्च कर मंडी बनवाई है, लेकिन इन्हें पता ही नहीं है। आई नेक्स्ट को जब इस मंडी के बारे में पता चला तो टीम महेवा मंडी स्थित दूध मंडी पहुंची। वहां जो देखा वह चौंकाने वाला था। दूध कारोबारियों के लिए बनाए गए टाइल्स के चबूतरों पर मछलियां सूख रही थी। मंडी के पुराने लोगों ने बताया कि एक आला अधिकारी ने अपनी कमाई के चक्कर में इस मंडी का निर्माण करवाया। क्क् साल से ये मंडी यूं ही उजाड़ है। पहले अराजक तत्वों का कब्जा था, अब मछली कारोबारियों ने कब्जा कर लिया है। कभी कोई दूध व्यापारी झांकने तक नहीं आया।
दूध के बिजनेस बढ़ाने का था बहाना
महेवा मंडी के कुछ जानकारों ने बताया कि ख्00फ् में मंडी के तत्कालीन उप निदेशक निर्माण बीएन शर्मा ने दूध व्यापारियों के लिए एक दुग्ध मंडी निर्माण करवाने के लिए नोटशीट लखनऊ भेजी थी। उसमें उन्होंने लिखा था कि जिस तरह फल, सब्जी, अनाज आदि की मंडी होती है, उसी तरह दुग्ध कारोबारियों के लिए भी एक मंडी होनी चाहिए। इससे शहर भी साफ सुथरा रहेगा और दुग्ध व्यापारियों को बढ़ावा मिलेगा। उनकी इस नोटशीट पर तत्कालीन सपा सरकार ने मंडी के लिए क्0 करोड़ रुपए का बजट पास कर दिया। ख्00ब् में इसका ठेका हुआ और ब् ठेकेदारों को हाईटेक दुग्ध मंडी का काम सौंपा गया।
ब् शेड 9म् टंकियों से बनी हाईटेक मंडी
महेवा मंडी में करीब क्.भ् एकड़ जमीन पर दूध मंडी का निर्माण हुआ। चारों तरफ बाउंड्री वॉल बनाई गई। सीसी रोड बनाए गए। रोड लाइट लगाई गई। चार शेड बने। इन शेड के नीचे टाइल्स लगाकरचबूतरे बनाए गए। हर शेड में ख्ब् पानी की टंकियां बनाई गई। गेट पर गार्ड रूम के साथ-साथ देखरेख कर्मचारी के लिए सर्वेट क्वार्टर का भी निर्माण किया गया।
दूध बाजार में मछली कारोबार
अब इस दूध मंडी पर मछली कारोबारियों ने कब्जा कर लिया है। दूध करोबारियों के लिए बनाए गए मार्बल के चबूतरों पर मछलियां सूखती हैं। आवारा पशुओं ने कब्जा लिया है। रोड लाइट के खंभों पर जंग लग चुकी है। कई सामान चोरी हो गए हैं।
मैं क्ब् साल से दूध का कारोबार कर रहा हूं। मैंने दूध मंडी के बारे में कभी नहीं सुना.हमें भी चौराहों पर दूध बेचना अच्छा नहीं लगता। अगर सरकार ने ऐसी कोई मंडी बनाई है तो हमें हमारा हक दे।
सर्वेश यादव, दुग्ध व्यापारी
मैं फ्0 साल से दूध के व्यापार का काम कर रहा हूं। चौराहों पर दूध बेचना हमारी मजबूरी है। सरकार ने आज तक हमारे लिए कुछ नहीं सोचा। अगर दूध मंडी होती तो हम वहीं कारोबार करते।
सीताराम, दुग्ध व्यापारी
दूध के कारोबार के लिए मंडी बनाई गई थी, लेकिन बनने के बाद एक भी व्यापारी कारोबार के लिए नहीं आया।
इंदल प्रसाद, डीडीसी
ग्यारह वर्ष पहले गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी में दूध मंडी बनाई गई, लेकिन केवल लखनऊ की ही दूध मंडी चलती है। कारोबार को बढ़ावा देने के लिए टैक्स भी फ्री कर दिया गया, फिर भी व्यापारी व्यापार करने नहीं आए। इसकी वजह से दूध मंडी को मछली मंडी में शामिल करने की योजना बनाई जा रही है।
एमसी गंगवार, डीडीए