- एमडी के आदेश पर 14 मार्च को परेड करने का दिया आदेश
- एमडी की रिपोर्ट में खुली रीडिंग कंपनियों की पोल
GORAKHPUR: शहरी एरिया में राजस्व वसूली में हो रही कमी की गाज अब मीटर रीडर्स पर गिरने वाली है। बिजली विभाग के सभी अफसरों ने राजस्व वसूली में पिछड़ने का कारण मीटर रीडर्स के सर मढ़ दिया है। तीन दिन पहले बनारस में एमडी के साथ अफसरों की हुई मीटिंग में सौंपी गई रिपोर्ट में अफसरों ने जो रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा है कि मीटर रीडिंग पूरी न होने के कारण कंज्यूमर्स का बिल सही नहीं बन रहा है, जिसके कारण राजस्व वसूली में पिछड़ रहा है। इसके बाद एमडी ने सभी रीडिंग एजेंसियों के कर्मचारियों को चीफ इंजीनियर के सामने 14 मार्च को परेड कराने का आदेश दिया है।
86 रीडर निकाल रहे हैं बिल
चीफ इंजीनियर डीके सिंह ने एमडी को रिपोर्ट भेजी है, रिपोर्ट में उन्होंने लिखा है कि रीडिंग कंपनी से अनुबंध हुआ था कि महानगर में 172 रीडर की तैनाती करनी होगी, लेकिन महानगर में केवल 75 मीटर रीडर लगाए गए हैं, जिनके कारण बिजली बिल बनाने में पिछड़ा हुआ है। अगर 172 रीडर शहर में लगा दिए जाते तो शहर में 100 प्रतिशत बिल का सही डाटा कंप्यूटर में फीड हो जाता और जिससे टारगेट पूरा हो जाता।
45 प्रतिशत का बन रहा बिल
महानगर विद्युत वितरण निगम के एसई आरआर सिंह का कहना है कि शहर में 1.43 लाख कंज्यूमर्स हैं, जिनमें प्रत्येक माह 60 से 70 हजार कंज्यूमर्स का बिल रीडिंग रीडर्स द्वारा बनाए जा रहे हैं। इस तरह से देखें तो 100 कंज्यूमर्स में केवल 45 का बिल प्रत्येक माह बन रहा है, जिसमें से लगभग 30 से 35 कंज्यूमर्स ही प्रत्येक माह अपना बिल जमा कर रहे हैं। अगर प्रत्येक माह 100 कंज्यूमर्स की रीडिंग जनरेट होती, तो लगभग 85 से 90 कंज्यूमर्स बिल जमा करते। इससे बिजली विभाग को प्रत्येक माह का राजस्व बढ़ जाता। इसका फायदा कंज्यूमर्स को भी मिलता और जिस दिन शहर में 70 प्रतिशत से अधिक बिल की वसूली होने लगती, उस दिन शहर को 20 घंटे से अधिक बिजली मिलने लगेगी।
रीडर कम तैनात होने के कारण प्रत्येक माह बिल कम जनरेट हो रहा है, जिसके कारण बिल वसूली कम हो रही है। एमडी फील्ड में रीडिंग का काम कर रहे कर्मचारियों की परेड करने का आदेश दिया है।
डीके सिंह, चीफ इंजीनियर, गोरखपुर जोन