- नवंबर 2011 से फरवरी 2012 तक सिटी में चला था मीटर चेकिंग का अभियान

- बिजली विभाग के कर्मचारी खुद ही कराते हैं बिजली चोरी

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : शहर में रोजाना बड़ी तादाद में बिजली चोर पकड़े जा रहे हैं। उन पर तुरंत कार्रवाई भी की जा रही है। दोषियों पर जुर्माना भी ठोंका जा रहा है। ये तो वह सच है जो बिजली विभाग सबको दिखा रहा है और लोग देख रहे हैं। जिन मीटरों की चेकिंग की जा रही है और उनमें बड़ी मात्रा में छेड़छाड़ मिल रही है, वे बमुश्किल दो साल पहले लगाए गए थे। जब यह लगाए गए थे तो बिजली विभाग इसकी तारीफ करते नहींथक रहा था। उनका दावा था इस मीटर से छेड़छाड़ नहींकी जा सकती है और यह बिल्कुल सही खपत दर्शाएगा। अब सवाल उठता है कि जब यह मीटर इतने सेफ और एक्युरेट थे तो इनसे छेड़छाड़ कैसे की जा रही है? क्या उस समय आनन फानन में बिजली मीटर बदल दिए गए थे। 12 जनवरी से चल रहे चेकिंग अभियान में रोजाना कोई न कोई ऐसा केस सामने आ ही जा रहा है जिसमें मीटर से टैम्पिरिंग की गई है। पूरे मामले पर आई नेक्स्ट ने तहकीकात की। तहकीकात में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। जब हम मामले की तह तक गए तो पता चला कि मीटर से छेड़छाड़ बिजली विभाग के कर्मियों की मदद से की जा रही है। आज हम बताने जा रहे हैं कि किस किस तरह से बिजली मीटर में छेड़छाड़ की जा रही है।

ऐसे होती है छेड़छाड़

आखिर कैसे मीटर से छेड़छाड़ की जाती है, इसे जानने के लिए आई नेक्स्ट ने बिजली विभाग के इंजीनियरों के अलावा एक्सपर्ट से भी बात की। बिजली विभाग के मीटर सेक्शन के एक सहायक अभियंता ने भी पुष्टि की कि चेकिंग के दौरान बिजली मीटर से छेड़छाड़ के चार तरीके सामने आ रहे हैं। बिजली मीटर के मदरबोर्ड में वायर और इंस्ट्रूमेंट लगाकर सबसे ज्यादा बिजली चोरी के मामले सामने आए हैं।

वायर शंट- बिजली मीटर के मदरबोर्ड पर पतला तार जोड़कर मीटर रीडिंग को स्लो कर दिया जाता है। इससे मीटर 40 परसेंट तक स्लो हो जाता है। जिन घरों का लोड ज्यादा है, वे इस तरह की छेड़छाड़ कर रहे हैं ताकि कम से कम बिजली बिल आए।

वन इंस्ट्रूमेंट शंट- मीटर के मदर बोर्ड में एक छोटा सा एलीमेंट लगाकर मीटर को स्लो कर दिया जाता है। यह मीटर में बिजली सप्लाई को 60 फीसदी तक कम कर देता है यानि इतनी बिजली सप्लाई बिना मीटर के हो जाती है।

टू इंस्ट्रूमेंट शंट- मीटर के मदरबोर्ड में दो एलीमेंट लगे होते हैं। ये मीटर में फ्लो होने वाली बिजली को दो पार्ट में डिवाइड कर देता है। एक पार्ट से मीटर रीडिंग होती है, दूसरे से डायरेक्ट बिजली सप्लाई होती है। इससे मीटर 80 परसेंट स्लो हो जाता है।

मीटर बाइपास - बिजली सप्लाई करने वाले केबल को मीटर से पहले ही काटकर सप्लाई दे दी जाती है। जहां मीटर बाइपास किया जाता है, उस घर में ज्यादा बिजली खपत करने वाले उपकरण मीटर के पहले वाली सप्लाई से ही चलाए जाते हैं।

2011-12 में भी चला था अभियान

एसडीओ चंद्रशेखर चौरसिया ने बताया कि सिटी में नवंबर 2011 से फरवरी 2012 तक पूरे शहर में मीटर चेकिंग और बदलने का अभियान चलाया गया था। यह अभियान राजस्थान की एक फर्म यादव मेजरमेंट कंपनी (वाईएमसी) ने चलाया था। चार माह चले इस अभियान में सिटी के 60 प्रतिशत घरों में मीटर स्लो पाए गए थे। इस फर्म ने भी कंज्यूमर्स पर जुर्माना लगाने के साथ ही साथ मीटर बदलने का काम किया था।

2500 से 4000 हजार में लगता है मीटर में शंट

मीटर स्लो करने और मीटर बाईपास करने का रेट कंज्यूमर्स की हैसियत देखकर लगाया जाता है। एक जेई ने बताया कि मीटर में टैम्पिरिंग करने वालों से कंज्यूमर्स सीधे संपर्क करते हैं उनसे 4000 रुपये तक लिए जाते हैं। वहींअगर किसी का परिचय होता है या मीटर स्लो करने वाले खुद संपर्क करते हैं तो यह रेट 2500 तक भी हो सकता है।

मीटर फुंकने का वादा करके लगाते हैं संट

जब आई नेक्स्ट पूरे मामले की तहकीकात कर रहा था तो एक से एक चौंकाने वाले खुलासे सामने आये। एक जेई ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मीटर बदलने वाले कंज्यूमर्स को बताते हैं कि छह महीने या एक साल बाद मीटर को शार्ट सर्किट कराकर जला दिया जाएगा और मीटर बदल दिया जाएगा। उनका तर्क होता है इससे मीटर से छेड़छाड़ पकड़ी नहींजा सकेगी। कुछ पैसे बचाने के चक्कर में कंज्यूमर्स झांसे में आ जाते हैं और मीटर स्लो करा लेते हैं।

इनका भी अपना एरिया है

मीटर में स्लो करने वालों का एरिया बंटा होता है। उनका एरिया सबस्टेशन के एरिया के साथ है। एक सब स्टेशन में मीटर स्लो करने वालों का तीन से चार लोगों का गैंग है। यह अपने एरिया में दूसरे एरिया के लोगों का प्रवेश नहींकरने देता है। वे भी किसी और के एरिया में जाते हैं। दूसरे एरिया का मामला आते ही वे उस एरिया के लोगों के पास भेज देते हैं। यह लोग मीटर सेक्शन के कर्मचारियों से सीधे संपर्क में रहते हैं और जैसे ही कोई नया मीटर लगता है, उस घर पर अपनी नजर लगा देते हैं। मीटर में छेड़छाड़ करने वाले मीटर लगने के एक माह का बिल आ जाने के बाद उस घर से संपर्क करते हैं।