- ग्यारह रोजा 'महफिल-ए-गौसुलवरा' का हुआ आगाज
- नार्मल स्थित दरगाह मुबारक खां शहीद में आलिमों ने पेश की तकरीर
GORAKHPUR: हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी की याद में नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद पर गुरुवार को 'महफिल-ए-गौसुलवरा' का आगाज हुआ। ग्यारह रोज होने वाले इस प्रोग्राम के पहले दिन मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने कहा कि हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी ने इस्लाम को फैलाया। पूरी जिदंगी नबी की पाकीजा सुन्नतों पर अमल कर कुर्बे इलाही हासिल किया। इल्म हासिल करने के लिए तमाम परेशानियां झेलीं। पैगंबर ने मुसलमानों को यह तालीम दे दी है कि मुसलमान भूखा प्यासा रह सकता है, मगर जैसे नमाज से दूर नहीं हो सकता उसी तरह इल्म हासिल करने से भी दूर नहीं रह सकता, जैसे नमाज फर्ज है उसी तरह इल्म हासिल करना भी फर्ज है।
इल्म से मिलती है रोशनी
इस मौके पर मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि दिल को अल्लाह के जिक्र से खाली नहीं रखना चाहिए। हम मुसलमान हैं और इस्लाम के मानने वाले हैं, यह हमारे लिए फक्र की बात है। दौलत से दिल में अंधेरा होता है और इल्म से दिल को रोशनी मिलती है। जैसा कि फरमाया गया है कि अगर इल्म के लिए तुम्हें कहीं भी जाना पड़े, पीछे मत हटो, हर हालत में इल्म हासिल करो।
कुरआन सीखें और सिखाएं
इल्म से दूरी या इल्म वालों से बुग्ज और पढ़ने लिखने से दूरी इंसान को हलाकत तक पहुंचा देती है। इस्लामी तहजीब में वही सच्चा मुसलमान है जो कुरआन पाक सीखे और सिखाए जिससे अल्लाह की मारफत हासिल हो। इल्म पैगंबरों की मीरास और माल कुफ्फार, फिरऔन और कारून की मीरास है। इस मौके पर इकरार अहमद, कारी महबूब आलम, हाफिज अब्दुल अजीज, सूफी शहाबुद्दीन, हाफिज मो। आतिफ रजा, हाफिज शहादत हुसैन, हाफिज अशरफ रजा, शाकिब रजा, हाफिज रिजवान आलम वगैरा मौजूद रहे।