- छात्रसंघ चुनाव को लेकर डीडीयूजीयू कैंपस में तेज हुई सरगर्मियां

- 25 नवंबर को होगी प्रमुख सचिव (उच्च शिक्षा) और कुलपतियों के बीच बैठक

GORAKHPUR: बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में थर्सडे को छात्रसंघ चुनाव की बहाली को लेकर हुए बवाल के बाद गोरखपुर यूनिवर्सिटी में भी चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। उधर मामले में बीएचयू के चीफ प्रॉक्टर का इस्तीफा ले लिया गया है, लेकिन प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव होंगे या नहीं इसको लेकर लखनऊ में ख्भ् नवंबर को मीटिंग होगी। मीटिंग में प्रमुख सचिव (उच्च शिक्षा) और प्रदेश की सारी यूनिवर्सिर्टी के वीसी शामिल होंगे। जब यह खबर आई है तभी से ही डीडीयूजीयू के छात्र नेताओं के बीच उम्मीद जगी है कि छात्रसंघ चुनाव होंगे।

ख्भ् को होगी प्रमुख सचिव और कुलपतियों की बैठक

डीडीयूजीयू के छात्रनेताओं कहना है कि जब कर्मचारियों के लिए कर्मचारी संघ का चुनाव और शिक्षकों के लिए शिक्षक संघ का चुनाव हो सकता है तो छात्रों को लिए छात्रसंघ का चुनाव क्यों नहींहो सकता है? उनका कहना है कि छात्र राजनीति देश की राजनीति की पहली पाठशाला होती है। जब हमें छात्रसंघ चुनाव से दूर रखा जाएगा तो कैसे में देश की भलाई के लिए राजनीति में हिस्सा ले पाएंगे। ख्भ् को लखनऊ में होने वाली प्रमुख सचिव (उच्च शिक्षा) और कुलपतियों की बैठक के बाद ही कुछ निर्णय निकल पाएगा।

ख्00म् के बाद से नहीं हुए छात्रसंघ चुनाव

बता दें कि ख्00म् में सुप्रीम कोर्ट ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के आधार पर फैसला दिया था कि कैंपस पहले स्टूडेंट्स के लिए न कि स्टूडें्टस लीडर्स के लिए। इसी को आधार बनाकर ख्007 में तत्कालीन प्रदेश सरकार (बसपा) ने छात्रसंघ चुनावों की प्रक्त्रिया पर रोक लगा दी थी। अगर बात करें डीडीयूजीयू की तो यहां अंतिम बार छात्रसंघ चुनाव ख्00म् में हुए थे।

सरकार और विश्वविद्यालयों ने फैलाया भ्रम

लिंगदोह समिति ने अलग-अलग वर्ग के विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग मॉडल सुझाए थे। लिंगदोह समिति ने चुनाव के चार मॉडल सुझाए थे, लेकिन जो शासनादेश सरकार ने भेजा उसमें सिर्फ ये लिखा था कि चुनाव लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक होने चाहिए। लिंगदोह की सिफारिशों के अनुसार कौन सा विश्वविद्यालय किस मॉडल को फॉलो करेगा ये नहीं स्पष्ट किया गया। ज्यादातर विश्वविद्यालय ने भी कॉलेजेज को यही लिख कर भेज दिया कि लिंगदोह की सिफारिशों को लागू किया जाए। ज्यादातर कॉलेजेज को पता ही नहीं था कि सिफारिशों के मुताबिक किस मॉडल पर चुनाव कराना है। नतीजा ये हुआ कि कई कॉलेजेज ने पुरानी पद्धति पर चुनाव करा डाले जो कि अवैध थे। कुछ कॉलेजों ने लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार चुनाव कराने की कोशिश की तो छात्रनेताओं ने उनका विरोध किया। अलग-अलग शहरों में कई कॉलेज कोर्ट चले गए और चुनाव पर रोक लग गई। हाईकोर्ट ने सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा पर सरकार इससे बचती रही। वजह यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़ा कोई भी विश्वविद्यालय लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक डायरेक्ट इलेक्शन वाले मॉडल की श्रेणी में नहीं आता। इसके अलावा कई सिफारिशें ऐसी हैं जिनकी वजह से उम्रदराज और गुंडा प्रवृत्ति के लोग चुनाव लड़ ही नहीं सकेंगे। सरकार को पता है कि लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक होने वाले चुनाव से उसे छात्रनेताओं के विरोध का सामना करना पड़ेगा। इसलिए सरकार स्टैंड लेने से आज तक बच रही है।

लिंगदोह समिति के चार मॉडल

लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार चुनाव के चार मोड्स हैं। इसमें एक डायरेक्ट इलेक्शन का मॉडल है और बाकी तीन इन डायरेक्ट इलेक्शन का मॉडल।

क्। पैरा म्.ख्.क् का एनेक्सर ब्ए का मॉडल

सिर्फ इस मॉडल में डायरेक्ट इलेक्शन का प्रावधान है। ये जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय जैसे रेजिंडेशियल और कैम्पस तक केंद्रित यूनिवर्सिटीज के लिए है। उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों

पर ये मॉडल लागू नहीं होता।

ख्। पैरा म्.ख्.ख् के एनेक्सर ब् बी का मॉडल

इसमें इनडायरेक्ट इलेक्शन सिस्टम सुझाया गया है।

फ्। पैरा म्.ख्.फ् के एनेक्सर ब् सी का मॉडल

इसमें भी इनडायरेक्ट इलेक्शन की सिफारिश है।

ब्। पैरा म्.ख्.ब् के एनेसर ब् डी का मॉडल।

इसमें भी इनडायरेक्ट इलेक्शन की प्रॉसेस बताई गई है। कानपुर, आगरा, मेरठ, गोरखपुर और लखनऊ जैसे विश्वविद्यालय इसी के अंतर्गत आते हैं। यहां इनडायरेक्ट इलेक्शन होना चाहिए।

कॉलेजों में होते हैं चुनाव

डीडीयूजीयू में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स का कहना है कि जब लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव हो सकते हैं तो यूनिवर्सिटी में क्यों नहीं? सिटी में कई कॉलेजेज में छात्रसंघ चुनाव होते हैं।

इन कॉलेजों में होते हैं छात्रसंघ चुनाव

- एमपीपीजी कॉलेज, जंगल धुसड़

- डीएवीपीजी कॉलेज, नर्सिगपुर

- डीवीएनपीजी कॉलेज, सिविल लाइंस

- एमजीपीजी, कॉलेज, बैंक रोड

- मारवाड़ बिजनेस स्कूल, नर्सिगपुर

सरकार को चाहिए कि छात्रसंघ चुनाव को बहाल करें। साथ ही सभी यूनिवर्सिटी में शैक्षणिक कैलेंडर लागू करें। ताकि समय से क्लासेज, परीक्षा, और चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराई जा सके।

श्रीकांत मिश्रा,

पूर्व अध्यक्ष डीडीयूजीयू गोरखपुर

जब यूनिवर्सिटी में शिक्षक और कर्मचारी संघ के चुनाव हो सकते हैं तो फिर हजारों की संख्या में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए छात्रसंघ चुनाव पर रोक क्यों?

राजीव पाण्डेय, पूर्व अध्यक्ष, डीडीयूजीयू, गोरखपुर

छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया पर लगी रोक तत्काल प्रभाव से हटाया जाना चाहिए। मामले पर प्रमुख सचिव कुलपतियों के साथ बैठक करने जा रहे हैं। इस मामले में छात्रों के हित में निर्णय लेना ही सरकार के लिए सही कदम होगा।

श्याम सिंह, पूर्व छात्रनेता, डीडीयूजीयू, गोरखपुर

वर्जन

छात्रसंघ चुनाव को लेकर प्रमुख सचिव (उच्च शिक्षा) ने ख्भ् को बैठक बुलाई है। बैठक के दौरान छात्रसंघ के मुद्दे पर डिस्कशन होगा। बैठक के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि आगे क्या करना है।

प्रो। अशोक कुमार,

वीसी, डीडीयूजीयू, गोरखपुर