- दवाइयों की किल्लत दूर करने में जुटा मेडिकल कॉलेज प्रशासन
- पिछले एक माह से ही इस संकट से जूझ रहा बीआरडी
GORAKHPUR: पिछले एक माह से दवाइयों और केमिकल की कमी से जूझ रहे बीआरडी मेडिकल में संकट के बादल छटने लगे हैं। जल्द ही मरीजों को प्रॉपर दवाएं मिलने लगेंगी। दवा की किल्लत से निपटने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है। अब दूसरे मद में आए बजट से दवाओं की खरीद-फरोख्त की जाएगी।
बजट के अभाव में था संकट
मेडिकल कॉलेज में पिछले एक माह से पेशेंट्स को न तो दवाएं मिल रही हैं और न ही उनकी जांच ही की जा रही है। बजट के अभाव में दवा सप्लाई करने वाली कंपनियों ने भी हाथ खड़े कर दिए। वहीं जरूरी रसायन भी खत्म होने से पेशेंट्स की दिक्कत और बढ़ गई। हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष में दवाओं के संकट से निपटने के लिए शासन ने 6.34 करोड़ रुपए दिए थे, लेकिन बजट खत्म होते ही फिर से दवाइयों और केमिकल का संकट खड़ा हो गया।
प्रतिदिन तीन लाख खर्च
मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन हजारों मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो दवा और जांच पर रोजाना तीन लाख रुपए खर्च होता है। मरीजों की जबरदस्त आवाजाही के बीच इस दवा की किल्लत से मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन के होश उड़ा दिए हैं। हालांकि मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदारों का कहना है कि दवा और अन्य जरूरी सामानों के लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। इसके लिए एक करोड़ रुपए का बजट सेंक्शन हो गया है। इसके बाद कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने दूसरे मद के बजट से दवाओं की खरीद-फरोख्त करने का फैसला लिया है।
दवाइयां खत्म हो चुकी है। इससे निपटने के लिए अन्य बजट से दवाइयां खरीदी जाएंगी। नार्मल बजट आने पर फंड ट्रांसफर कर दिया जाएगा। जल्द ही सभी दिक्कतों को दूर कर लिया जाएगा।
डॉ.राजीव मिश्रा, प्राचार्य