- बीआरडी मेडिकल कॉलेज हाल
- करोड़ों रुपए की लागत से तैयार हुआ था वार्ड
- मरम्मत ना होने से जर्जर हो चुके हैं वार्ड के कमरे
GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में समस्या खोजनी नहीं पड़ती, अपने आप दिख जाती है। शायद ही कभी यहां कोई व्यवस्था दुरुस्त हालत में मिलती हो। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने रविवार को प्राइवेट वार्ड का जायजा लिया। पता चला कि प्राइवेट वार्ड की सुविधाओं के कसीदे पढ़ने वाले जिम्मेदारों के दावे हवा-हवाई निकले। जर्जर कमरों और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में मरीज किसी तरह काम चला रहे हैं। वहीं जिम्मेदार बजट की कमी का रोना रोकर अपना पल्ला झाड़ने में लगे हैं।
जर्जर कमरे बता रहे हकीकत
मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड में कुल 32 कमरे हैं। आई नेक्स्ट रिपोर्टर रविवार दोपहर यहां की हकीकत जानने के लिए वार्ड के गलियारे में पहुंचा। कमरों में पहुंचने पर जब दीवारों पर नजर गई तो जगह-जगह प्लास्टर टूटे मिले। वहीं कई कमरों की खिड़कियां भी टूटी दिखीं। इनमें 27 नंबर कमरे की दशा तो बहुत दयनीय हो चुकी है। रिपोर्टर ने देखा कि यहां एक कोने में कूड़े का ढेर लगा हुआ है। साथ ही फर्श पर फटा हुआ गद्दा पड़ा मिला। इसके बाद रिपोर्टर ने बाथरूम की स्थिति जाननी चाही। यहां भी कुछ ऐसे ही हालात मिले। टूटा फर्श और गायब टोटियां बदहाली का आलम बताने को काफी थीं।
बिजली के तारों से बचकर
प्राइवेट वार्ड के प्रवेश के बगल में ही बिजली के खुले तार हैं। यहां से रोजाना सैकड़ों लोग गुजरते हैं। इस दशा में कहीं ये खुले तार किसी के लिए जानलेवा ना साबित हो जाएं। तामारदारों ने बताया कि कई बार इसकी सूचना जिम्मेदारों को दी गई है लेकिन कोई ध्यान ही नहीं देता। यहां भर्ती मरीजों के परिजनों ने रिपोर्टर को बताया कि सुविधाओं के नाम पर उनसे मोटी फीस वसूली जाती है। वहीं खराब व्यवस्थाओं की शिकायत करने पर अधिकारी डांट कर भगा देते हैं। चार से पांच कमरों में तो कुर्सियां व बेड तक पूरी तरह खराब हो चुके हैं।
बजट जाता कहां है?
ऐसा भी नहीं है कि प्राइवेट वार्ड की मरम्मत के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन के पास पैसों की कमी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बजट तो आता है, लेकिन मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। कुछ समय पहले ही सर्वे हुआ था लेकिन इसके बावजूद व्यवस्थाएं नहीं सुधारी गई।
चार्ज
सामान्य शुल्क -100 रुपये प्रतिदिन
एसी वार्ड शुल्क-500 रुपये प्रतिदिन
प्राइवेट वार्ड की मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। बजट आने के बाद मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
- डॉ। एके श्रीवास्तव, कार्यवाहक एसआईसी