- नगर निगम के पास है महेवा मंडी के सफाई का ठेका
- मंडी में घुसते ही सामना होता है गंदगी से
GORAKHPUR: महेवा मंडी को पूर्र्वाचल की सबसे बड़ी मंडी कहा जाता है। इसकी साफ सफाई पर हर महीने क्.8भ् लाख रुपए खर्च होते है, यानी सालाना ख्ख्,ख्0,000 रुपए। इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बाद यहां सफाई नजर नहींआती। यहां की सफाई का ठेका नगर निगम का है। मंडी समिति और नगर निगम की उदासीनता का आलम यह है कि यहां चारों तरफ गंदगी का आलम है। नालियां बजबजा कर सड़कों पर बहने लगी हैं। फल, सब्जी और आलू मंडी में बनी नालियों और शौचालय के गटर का पानी सड़क पर फैलकर जिम्मेदारों की पोल खोलता है। गंदगी के चलते यहां कस्टमर्स तो आने से कतराते हैं, साथ ही व्यापारी भी यहां की गंदगी से त्रस्त हैं। उनके पास मंडी समिति को कोसने के अलावा कोई चारा नहींहै।
सिर्फ दावों में नजर आती है सफाई
मंडी समिति कार्यालय सफाई के नाम बड़े बड़े दावे करता है, लेकिन मंडी की बजबजाती नालियां उनकी दावों की हवा निकाल देती हैं। साफ सफाई का काम ठीक ढंग से न कर पाने कारण दो साल पहले एक कार्यदायी संस्था से काम छीनकर निगम को दे दिया गया था। तब से यहां की सफाई का जिम्मा नगर निगम के पास है।
बूंदा बांदी भी देती है सिरदर्द
मंडी में यदि सी हल्की सी भी बारिश हो जाए तो यहां की रोड्स पर कीचड़ का साम्राज्य हो जाता है। दुपाहिया वाहन तो फिसल जाते हैं। पैदल चलने भी चोटिल हो जाते हैं।
बीमारी को न्योता
सड़ी-गली फल व सब्जियां यहां सड़कों की 'शोभा' बढ़ाती है। इन सबके बीच नालियों और नालियों का पानी कोढ़ में खाज का काम करता है। व्यापारियों का कहना है कि गंदगी की वजह से राह चलना दूभर हो गया है। कई व्यापारी तो संक्रामक रोग के शिकार हो गए हैं और अस्पतालों को चक्कर काट रहे हैं। फिर भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
कालिंग
सड़क हो या नालियां, शौचालय हो या सीवर होल सभी पूरी तरह से चोक हो चुके हैं। गंदा पानी सड़क को बजबजा रहा है। इससे कई बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है।
दीपक कुमार जयसवानी, फल व्यापारी
मंडी समिति विकास के नाम पर टैक्स लेती है, लेकिन विकास के नाम पर कुछ नहींहोता है। दुकानों के पास और बाहर कूड़े का अंबार है, लेकिन सफाई कर्मी नजर नहींआते।
राजेश कुमार, व्यापारी
मैंने साफ सफाई के जिम्मेदार को फोन पर निर्देश दिया है कि वे मंडी की सफाई की पल-पल की खबर मुझे दें। कहां क्या सफाई होनी है इसकी डिटेल्स भी मैंने मंगा ली है। काम में कोताही बर्दाश्त नहींकी जाएगी।
एमसी गंगवार, डीडीए, मंडी परिषद