- वाटर पाइप लाइन मरम्मत के लिए मिला था धन
- निर्माण विभाग का दावा फाइल में बंद
GORAKHPUR: नवीन मंडी में इन दिनों वाटर सप्लाई पूरी तरह से ध्वस्त है। व्यापारी को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा है। जबकि सुविधा के नाम पर मंडी प्रशासन लगातार टैक्स वसूल कर रही है। शुद्ध पेय जल को लेकर व्यापारियों की शिकायत के बाद निर्माण विभाग ने ध्वस्त वॉटर सप्लाई को शुरू कराने का आश्वासन दिया, इसके लिए 15 लाख रुपये बजट भी मिल चुका है। मगर जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से यह पैसे भी पानी में डूबते नजर आ रहे हैं। अफसरों की उदासीनता के नाते काम ठप पड़ा है।
हालात जस के तस
पूर्वाचल की सबसे बड़ी मंडी कही जाने वाली महेवा मंडी बदहाली के कगार पर है। सुविधा ने नाम पर व्यापारियों को सिर्फ छला जा रहा है। पिछले वर्ष काफी हो-हल्ला के बाद निर्माण विभाग ने मंडी की सूरत बदलने के लिए मंडी परिषद लखनऊ को प्रस्ताव बनाकर भेजा था। इस प्रपोजल में व्यापारियों की विभिन्न सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया लेकिन इस पर विचार करने की कौन कहे प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इतना ही नहीं स्वच्छ पेय जल के लिए ध्वस्त वाटर सप्लाई और प्वाइंटस की मरम्मत के लिए 15 लाख रुपये भी निर्माण विभाग को मिल चुका है। मगर विभाग कोरे आश्वासन देकर किनारा कर ले रहा है। चुनाव गुजर जाने के बाद भी मरम्मत का कार्य नहीं शुरू हो पाया। लिहाजा व्यापारी को गंदा पानी पीने के लिए ही मजबूर हैं।
मंडी स्थापना के बाद से ही मरम्मत कार्य ठप है। इसी की नतीजा है कि वॉटर पाइप लाइन पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इसके साथ ही शॉप की हालत भी खराब है। पेय जल की बेहतर सुविधा न होने की वजह से व्यापार और मजदूर गंदा पानी पीने के लिए मजबूर है।
फिरोज अहमद राइन, महामंत्री, सब्जी-फल विक्रेता एसोसिएशन
मंडी प्रशासन की लापरवाही साफ दिख रही है। यह व्यापारी हित में कोई काम नहीं करना चाहते। सबसे बड़ी मंडी की स्थिति बदहाल है। हालांकि जिम्मेदार व्यापारियों को सुविधा नहीं दे रहे हैं। वह सिर्फ टैक्स वसूलने में लगे हुए हैं।
संजय शुक्ला, अध्यक्ष, पूर्वाचल सब्जी-फल थोक कल्याण समिति
वाटर सप्लाई मरम्मत के लिए पैसा रखा हुआ है। इसके लिए टेंडर भी हो चुका है। जल्द ही काम शुरू करा दिया जाएगा।
इंदल प्रसाद, डीडीसी मंडी परिषद