- मैगी में मिले कई डेंजरस केमिकल से पैरेंट्स परेशान
- बच्चों की सेहत को लेकर तलाश रहे मैगी का ऑप्शन
- डॉक्टर भी बोले, लगातार खाई मैगी तो हो जाएगी गंभीर बीमारी
- मैगी की शौकीन मदर के न्यू बॉर्न बेबी को भी खतरा
GORAKHPUR : मम्मी भूख लगी है। बस दो मिनट। मैगी, मैगी, मैगी। दो मिनट में भूख मिटाने के साथ हेल्थ का दावा भरने वाली मैगी पिछले कुछ दिनों से सवालों के घेरे में आ गई है। फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफएसडीए) की जांच में दो मिनट में पकने वाली मैगी में कई डेंजरस केमिकल्स मिलने की पुष्टि हुई है। इसके बाद से छोटे-छोटे बच्चे नहीं बल्कि पैरेंट्स भी टेंशन में हैं। क्योंकि उन्हें सेहत के लिए मैगी का ऑप्शन तलाशने के साथ बच्चों की जिद का भी सामना करना पड़ रहा है। किचन में महिलाएं मैगी को बंद कर रोज नए-नए एक्सपेरीमेंट करके बच्चों को खुश करने के साथ उनकी सेहत के लिए हेल्दी डाइट देने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि इन सवालों के बाद गोरखपुर में भी मैगी की खपत में जबरदस्त कमी आई है।
दो मिनट में बन जाती है 20 लाख की मैगी
भूख मिटाने और बच्चे को खुश करने का मां के पास सबसे अच्छा तरीका होता है मैगी। गोरखपुर में मैगी बच्चों से लेकर बड़ों तक की पसंद है। गोरखपुर में डेली 20 लाख रुपए की मैगी बन जाती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गोरखपुराइट्स मैगी के प्रति कितने क्रेजी है। जब से मैगी में मानक से अधिक लेड और एमएसजी मिलने की बात सामने आई है, तब से बिक्री पर जरूर फर्क पड़ा है। वहीं फूड विभाग की टीम ने भी मैगी का सैंपुल लेने के लिए छापामारी शुरू कर दी है।
ये टेस्ट तो बीमारी दे रहा
डॉक्टर्स के मुताबिक बॉडी में लेड की मात्रा अधिक जाने से कई गंभीर बीमारी हो सकती है। अगर लगातार लेड की अधिक मात्रा बॉडी में जाती रही तो लर्निग एंड बिहेवियरल डिसआर्डर, पेट में दर्द, हेडेक, एनीमिया, झटके आना, कोमा के साथ साथ डेथ तक होने की संभावना रहती है। वहीं एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) के अधिक प्रयोग से हेडेक, पसीना आना, बॉडी में जलन, उल्टी के साथ कमजोरी होने लगती है। साथ ही लांग टर्म तक इसके बॉडी में पहुंचने से नर्वस सिस्टम भी डेमेज होने के चांसेस बढ़ जाते हैं।
मैगी के हैं कई ऑप्शन
-भुर्जी
-चना मसाला
-खिचड़ी
-मेक्रोनी
-पास्ता
-ओट्स चीला
-आमलेट
-दही वड़ा
-सूप
-चपाती नूडल्स
-बेसन का चीला
-दाल का चीला
-पोहा
-दलिया
-हलुआ
प्रेग्नेंसी में मैगी नहीं खानी चाहिए क्योंकि इससे बेबी को हेल्दी डाइट नहीं मिलती। साथ ही गर्भ के अंदर उसके विकास में कमी आ जाती है। कई बार प्रेग्नेंसी में अधिक मैगी खाने से न्यू बॉर्न बेबी दिमागी रूप से कमजोर होता है। साथ ही फैटी होने से प्रेग्नेंट लेडीज का वेट तेजी से बढ़ता है, जिससे बेबी का वेट बढ़ना रुक जाता है।
डॉ। पूनम सिंह, गाइनकोलॉजिस्ट
मैगी बच्चों की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। मैगी में मानक से अधिक मिले लेड से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। अधिक मैगी खाने से पेट में दर्द, हड्डियां कमजोर होने के साथ दिमाग पर भी इसका असर पड़ सकता है। पैरेंट्स को अपने बच्चों मैगी के बजाए अन्य हेल्दी फूड खिलाना चाहिए।
डॉ। अनूप जालान, पीडियाट्रिक्स
जिस बैच के सैंपल अनसेफ मिले थे उन्हें मार्केट से हटाने के आदेश दिए गए हैं। मामले में प्रदेश भर में सैंपल लेकर जांच के आदेश दिए गए हैं। इनकी रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
राम अरज मौर्य, एडिशनल कमिश्नर, एफएसडीए
मैगी खाना सेहत के लिए खतरनाक है। मैगी के कई ऑप्शन हैं। आटे वाले नूडल्स को घरेलू मसाला के साथ बनाया जाए तो वह भी मैगी की तरह दिखता और बनता है। साथ ही सेहत के लिए भी फायदेमंद है। स्वाद बच्चों के मुताबिक रखा जा सकता है। इसमें न तो कोई केमिकल पड़ता है और न ही ये प्रिजर्व होता है। आटे का नूडल्स भी अगर घर में बनाया जाए तो बेहतर है।
सीमा, हाउसवाइफ
बच्चों की पहली पसंद मैगी है। स्कूल से लौट कर आए या ग्राउंड से खेल कर, वे मैगी ही खाना चाहते हैं। अब मैगी नुकसान कर रही है, अब बच्चों की सेहत को देखते हुए कुछ और सोचना पड़ेगा। वैसे इतनी पड़ी कंपनी को बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
सुमन त्रिपाठी
मैगी बच्चों ही नहीं, बल्कि हर एजग्रुप के लोगों की पसंद है। मैगी में मानक से अधिक लेड मिलना सेहत के लिए खराब है। इससे तो कई गंभीर बीमारी हो सकती है। अब मैगी खाना और खिलाना बिल्कुल छोड़ दूंगी।
किरन