- 15 साल की मासूम के साथ-साथ उसके प्यार और भरोसे का किया कत्ल

- स्कूल ड्रेस में 4 लाख लेकर निकली थी शिप्रा, प्रेमी ने कर दी हत्या

- पुलिस को अब तक नहीं मिली डेड बाडी, ड्रेस और बैग

GORAKHPUR : अक्सर सुनते आए हैं कि जब प्यार होता है तो सही-गलत की पहचान खत्म हो जाती है। प्यार जो कहे, वही सही। उस पर इतना भरोसा होता है जितना खुद पर भी नहीं होता। बचपन का प्यार तो और भी जुनूनी होता है, इसी जुनून में बहकर महज क्भ् साल की उम्र में शिप्रा(काल्पनिक नाम) अपनी जान गवां बैठी। उसने छठी क्लास से ही पड़ोस में रहने वाले सत्यप्रकाश को अपना सबकुछ मान लिया था। सत्यप्रकाश की हर बात उसे सच्ची लगती थी। मोहब्बत का असर ही कुछ ऐसा था कि घरवालों से डांट फटकार के बाद भी शिप्रा अपने प्यार से अलग नहीं हो पाई। प्यार में पूरी तरह खो चुकी शिप्रा को जरा भी अंदाजा नहीं था कि उसका सत्यप्रकाश उसके साथ ऐसा करेगा। वो पैसे से कमजोर था, ये तो शिप्रा को पता था लेकिन रुपयों के लालच में वो उसी का गला घोंट देगा, ये शिप्रा ने कभी नहीं सोचा था।

अचानक हो गई गायब

शाहपुर एरिया के शिवापुरम दर्शन टोला पूर्वी निवासी रामवृक्ष साहनी बिल्डिंग मैटेरियल का कारोबार करते हैं। उनकी क्भ् साल की बेटी शिप्रा आठवीं क्लास की स्टूडेंट थी। ख्ब् जनवरी को शिप्रा स्कूल के लिए निकली थी। देर शाम तक घर नहीं लौटी तो फैमिली मेंबर्स परेशान हो गए। उन्होंने हर पॉसिबल जगह पर उसकी तलाश की, लेकिन शिप्रा का कोई पता नहीं चला। परेशान हाल परिजनों ने ख्7 जनवरी को शाहपुर थाने में बेटी के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई। घटना की जानकारी होते ही पुलिस शिप्रा की तलाश में लग गई।

पुराने प्रेम संबधों पर अटकी जांच

पुलिस ने जांच शुरू की तो शिप्रा के प्रेमी का पता चला। जानकारी मिली कि करीब दो साल पहले रामवृक्ष के पड़ोस में देवरिया जिले के खुखुंदू निवासी विद्याधर दूबे की फैमिली किराए पर रहती थी। विद्याधर का बेटा सत्यप्रकाश तब डीएवी डिग्री कॉलेज में बीए का स्टूडेंट था। सत्यप्रकाश और शिप्रा के बीच प्रेम संबंध थे। जब इस बारे में दोनों के फैमिली मेंबर्स?को जानकारी हुई तो खूब कहासुनी हुई। विद्याधर फैमिली समेत दूसरे मकान में किराए पर रहने लगे। दूरियां जरा बढ़ गई, लेकिन दोनों की मोहब्बत चलती रही।

शादी का झांसा देकर लूटे ब् लाख

चूंकि रामवृक्ष का बिजनेस अच्छा चल रहा था, लिहाजा पैसे की कोई कमी नहीं थी। सत्यप्रकाश इस बात का फायदा उठाकर शिप्रा से अक्सर रुपए मांगा करता था। उसकी माली हालत देखते हुए शिप्रा उसकी डिमांड पूरी करती रही। सत्यप्रकाश ने अपने दोस्त संजय के साथ मिलकर प्लान बनाया। सत्यप्रकाश ने शिप्रा को फोन कर बताया कि फैमिली मेंबर्स ने उसकी शादी तय कर दी है। लड़की वालों की तरफ से ब् लाख रुपए दहेज मिल रहा है। शिप्रा ये सुनकर टूट गई, काफी सोचने के बाद उसने सत्यप्रकाश के साथ घर से भाग जाने का फैसला किया। सत्यप्रकाश ने प्लान बनाया और शिप्रा को घर से रुपए लेकर निकलने को कहा। ख्ब् जनवरी को शिप्रा घर से फ् लाख म्0 हजार रुपए बैग में रखकर स्कूल ड्रेस में निकल गई। सत्यप्रकाश ने अपने कुछ दोस्त संजय गोरखपुर बुला लिया था। शिप्रा काली मंदिर पहुंची , फिर वे वहां से रोडवेज गए, तीनों बस पकड़ कर देवरिया रवाना हो गए।

पहले मूवी दिखाई, फिर घोंट दिया गला

गोरखपुर से भागकर देवरिया पहुंचे सत्यप्रकाश ने शिप्रा को लक्ष्मी थियेटर में मूवी दिखाई। फिर अपने बहनोई की बाइक लेकर कहीं एकांत जगह की ओर निकले। शिप्रा बड़ी खुश थी, उसे लगा कि उसे उसका प्यार हमेशा के लिए मिल गया है। उसे कहां पता था कि जिसपर भरोसा कर वो घरवालों को धोखा दे रही है, वहीं उसका कत्ल कर देगा। रास्ते में बाइक पंचर हो गई। पंचर बनवाने के बाद तीनों मोतीपुर भुआव गांव की ओर बढे। संजय के मामा का घर उस्का में है। तीनों रात में नदी के किनारे ही रहे। सत्यप्रकाश और संजय ने मिलकर शिप्रा की गला घोंटकर हत्या की और लाश को झाडि़यों में छिपा दिया। संजय ने उसके बैग में रखे तीन लाख साठ हजार रुपए निकाल लिए और संजय के घर चले गए। वहां ब्-भ् दिन रुकने के बाद सत्यप्रकाश के दोस्तों संजय, सुनील और दिलीप ने शिप्रा की डेड बाडी को बोरी में भरकर गंडक में फेंक दिया और रुपए आपस में बांट लिए।

कॉल डिटेल्स से पकड़े गए शातिर

अपहरण की सूचना मिलते ही पुलिस ने तफ्तीश शुरू की। शिप्रा के मोबाइल की कॉल डिटेल्स निकाली गई। कॉल डिटेल्स के जरिए पुलिस सत्यप्रकाश तक पहुंची। दोनों के मोबाइल की लोकेशन निकाली गई। पुलिस की मानें तो घटना के वक्त सत्यप्रकाश का मोबाइल स्विच ऑफ था। पुलिस ने सत्यप्रकाश के मोबाइल के जरिए उसके दोस्तों तक पहुंच बनाई और सबको अरेस्ट कर लिया। इनकी पहचान देवरिया के भलुआन निवासी सत्यप्रकाश दूबे, संजय राजभर, दिलीप उर्फ मजनू, सुनील राजभर के रूप में हुई। पुलिस को इनके पास से एक लाख दो सौ रुपए भी मिले।

अभी तक नहीं मिली डेड बाडी

आरोपितों के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने डेड बाडी की तलाश शुरू की। गोताखोरों की मदद से घटनास्थल और कुछ दूरी तक नदी को खंगाला गया, लेकिन डेड बाडी का पता नहीं चल सका। मौके से शिप्रा की ड्रेस और बैग भी नहीं मिले हैं। पुलिस ने चारों आरोपितों के खिलाफ पाक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है।

पुलिस ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। इस घटना के वर्कआउट में पुलिस टीम ने सराहनीय कार्य किया है।

अजय कुमार, प्रभारी एसपी सिटी