गोरखपुर (ब्यूरो) ।सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ही टीनेजर्स शारीरिक जरूरतों को भी पूरा कर रहे हैं। इस वजह से वह ब्लैकमेलिंग और धोखा पाकर वर्चुअल इंटीमेसी के शिकार हो रहे हैं। साइकेट्रिक के पास आए दिन ऐसे केसेज आ रहे हैं, जहां परेशान हाल पेरेंट्स बच्चों को वर्चुअल इंटीमेसी से बाहर निकालने की गुहार लगा रहे हैं।
प्लीज मेरे बच्चे को बचा लीजिए
शाहपुर एरिया की एक महिला बच्चे के साथ साइकोलॉजिस्ट के पास पहुंची और चिल्लाकर रोने लगी। यह देख साइकोलॉजिस्ट भी सकते में आ गई कि पेशेंट कौन है। फिर बच्चे की मां ने बताया कि उनका 14 साल का बेटा अजीब तरह से चिल्लाता है और गंभीर रहता है। पहले ऐसा नहीं था। साइकोलॉजिस्ट ने जब बच्चे की काउंसलिंग की तो पता चला कि बच्चा इंस्टाग्राम पर ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रहा था। उसके मोबाइल पर सारे मैसेज थे, जिसमें उसकी न्यूड तस्वीरें भी थीं। जो डेटिंग एप पर उसने शेयर की थी। उसी फोटो को दिखाकर उसका सोशल मीडिया प्लेटफार्म का फ्रेंड उसे ब्लैकमेल कर रहा था। इस कारण बच्चा वर्चुअल इंटीमेसी का शिकार हो गया।
वर्चुअल इंटीमेसी के लक्षण
। अचानक बच्चा पढ़ाई से भागने लगे या पढ़ाई में मन ना लगे।
। खाना खाने में रूचि नहीं दिखे।
। बैठे-बैठे बेहोश हो जाना।
। अकारण रोना, चीखना, चिल्लाना।
। अत्याधिक आक्रोशित रहना, नींद नहीं आना।
। आंखों के नीचे काला घेरा रहना।
। खोया खोया रहना।
। कई बार अकेले में बातें करना या किसी एक जगह टकटकी लगाकर देखते रहना।
। भ्रम की स्थिति में रहना और आवाजें सुनाई देना, कुछ दिखाई देना।
। अकारण डर लगना, बार-बार किसी चीज को दोहराए।
पेरेंट्स इस तरह रखें ध्यान
। इंस्टाग्राम का मैसेंजर रोज चेक करें।
। बच्चे क्या देख रहे हैं, सोशल मीडिया की हिस्ट्री जरूर चेक करें।
। बच्चा बार बार मोबाइल यूज कर रहा है, टाइपिंग कर रहा है और बोलने पर नाराज हो रहा है तो सावधान हो जाएं।
। बच्चे के पास उसका पर्सनल मोबाइल है तो सोशल प्लेटफार्म अकाउंट चेक करें।
। बच्चा कैसे लोगों को फॉलो और कैसी पोस्ट कर रहा है, यह चेक करें।
। बच्चा कौन सा गेम खेलता है इसको भी चेक करें।
इम्पॉर्टेंट फैक्ट
140 करोड़ इंडिया की पॉपुलेशन
90 करोड़ मोबाइल इंटरनेट यूजर
42 करोड़ लोगों ने 2022 में ऑनलाइन गेम खेला
44 करोड़ लोगों ने 2023 में ऑनलाइन गेम खेला
वर्चुअल इंटीमेसी के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। यह कोई बीमारी तो नहीं है लेकिन लंबे समय तक बच्चा इसकी चपेट रहेगा तब उसकी गंभीर कंडीशन हो सकती है। बच्चे डेटिंग एप पर दोस्त कर विश्वास जता रहे है और उसके चक्कर में अपनी सारी प्राइवेसी भूल जा रहे हैं। इधर 15 केस केवल वर्चुअल इंटीमेसी के आए हैं। 9वीं से 12वीं क्लास में पढऩे वाले बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं। पेरेंट्स को सावधानी बरतनी होगी और बच्चों पर प्रॉपर नजर रखनी होगी।
डॉ। आकृति पाण्डेय, साइकोलॉजिस्ट