- प्रेमिकाओं के लिए यूज कर रहे मोबाइल
- कोई भी कीमत चुकाने के तैयार नए बदमाश
GORAKHPUR: जेल में मोबाइल का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं, लेकिन उसके इस्तेमाल का अंदाज बदल गया है। अब तक जेल से नेटवर्क ऑपरेट करने के लिए ही मोबाइल का इस्तेमाल किया जाता था, मगर आजकल सलाखों के भीतर मोहब्बत के लिए घंटी बजती है। नए उम्र के बदमाश प्रेमिकाओं से बात करने के लिए मोबाइल यूज कर रहे हैं। हाल ही में जेल के भीतर हुई छापेमारी में यह खुलासा हुआ। पुलिस की विभिन्न शाखाएं इन तथ्यों की जांच पड़ताल में जुटी हैं। पुलिस के इलेक्ट्रॉनिक मोबाइल सर्विलांस सिस्टम पर इसकी पुष्टि हो चुकी है, इसलिए पुलिस ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है।
छापेमारी में मिले थे मोबाइल
जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल आम हो चला है। चोरी-छिपे बंदी मोबाइल इस्तेमाल करते हैं। जिला कारागार में कई मोबाइल नंबर्स चल रहे हैं। जेल में मोबाइल की घंटी बजने की पुख्ता सूचना पर अफसरों ने कार्रवाई की थी। डीएम ओएन सिंह और एसएसपी अनंत कुमार ने भारी पुलिस बल के साथ छापेमारी की। पहली बार रात में हुई छापेमारी से जेल प्रशासन के अफसर भी दंग रह गए। रात में साढ़े नौ बजे से करीब 12 बजे तक चली कार्रवाई से सनसनी फैली रही। पुलिस टीम ने आपत्तिजनक चीजों के साथ-साथ आधा दर्जन मोबाइल बरामद किया। नंबर्स की जांच में पता लगा कि गोरखपुर के बंदियों से विदेश में बैठे लोग बात कर रहे हैं। इसके साथ कुछ नंबर्स पर पुलिस ने डॉयल किया तो लड़कियों ने फोन उठाया। उनमें से कई ने बंदियों से अपना रिश्ता बताने से मुकर गई।
चहारदीवारी के भीतर आई लव यू
मोबाइल नंबर के आधार पर जांच में पुलिस को कई जानकारी मिली। जेल के भीतर से ज्यादातर जिन नंबरों पर बात हुई है। वह उनकी प्रेमिकाओं के हैं। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि नई उम्र के बदमाशों का टांका कई जगहों पर भिड़ा था। लूटपाट में मिली रकम वह प्रेमिकाओं पर खर्च करते थे। पुलिस ने उनको पकड़कर जेल भेज दिया, लेकिन इश्क का भूत सता रहा है। इसलिए वह जेल के भीतर से अपनी प्रेमिकाओं से बात करते हैं। जेल में मोबाइल इस्तेमाल करने के लिए नई उम्र के बंदी कोई भी कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं। शाम को छह बजे जेल बंद होने के बाद पूरी तरह से बंदी रक्षकों का कायदा चलता है। ऐसे में कुछ बंदी रक्षक उनको मोबाइल मुहैया करा देते हैं। पहले से एक्टिवेटेड सिम देने के बदले अच्छी कीमत ली जाती है।
जेल के भीतर छापेमारी में मोबाइल मिलते हैं। इस पर लगाम कसने के लिए जांच पड़ताल की जाती है। आने वाले समय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से मोबाइल का इस्तेमाल रोका जा सकेगा। नए उम्र के कुछ बंदी अपनी प्रेमिकाओं के लिए मोबाइल रखना चाहते हैं।
डॉ। राजेश कुमार सिंह, जेलर गोरखपुर
एसटीएफ की जांच में ऐसे मामले में मिले हैं। जेल के भीतर मोबाइल का प्रयोग बंदी अपने लाभ के लिए कर रहे हैं। कुछ नंबर्स की पड़ताल में लड़कियों ने फोन उठाया। जांच में सामने आया जेल में बंद अभियुक्तों के कई युवतियों से प्रेम संबंध रहे हैं। वह उसने बात करने के लिए मोबाइल यूज करते हैं।
विकास चंद त्रिपाठी, सीओ एसटीएफ यूनिट गोरखपुर
पिछले एक साल के भीतर पुलिस ने 40 से अधिक शातिर बदमाशों को जेल भेजा है। इनमें कई नई उम्र के बदमाशों ने बताया कि वह लोग लूटपाट की रकम प्रेमिकाओं पर खर्च करते थे। प्रेमिकाओं को घुमाना-फिराना, उनको पिक्चर दिखाना, मोबाइल, ज्वेलरी खरीदने जैसी बातें बदमाशों ने कबूल की थीं। कुछ बदमाशों की प्रेमिकाओं के इर्द-गिर्द जाल बिछाकर पुलिस उनको पकड़ने में कामयाब हुई।
ब्रजेश सिंह, एसपी ग्रामीण
क्राइम ब्रांच की जांच में ऐसे मामले सामने आए हैं। बंदियों के बाहर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जांच पड़ताल करती है। आपराधिक साजिश के शक पर पुलिस को ऐसे तमाम प्रमाण मिले हैं। निहायत ही निजी मामला होने से पुलिस इस संदर्भ में कोई कार्रवाई करने से बचती है।
अभय कुमार मिश्र, सीओ क्राइम ब्रांच