गोरखपुर (ब्यूरो)। इन दिनों मुंबई और दिल्ली से आने वाली ट्रेनों का बुरा हाल है.नई दिल्ली से दरभंगा जाने वाली संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में स्लीपर की वेटिंग 400 से अधिक है। मुंबई से आने वाली एलटीटी और कुशीनगर एक्सप्रेस में एसी क्लास की वेटिंग 110 के पार है। स्पेशल ट्रेन चलाने के बाद भी यात्रियों को राहत नहीं मिल रही है।
टीटीई को ईएफटी बनाने का टारगेट
स्लीपर और एसी थ्री कोच में वेटिंग टिकट वाले पैसेंजर्स की भीड़ है। इन्हें रोकने की बजाय रेलवे के जिम्मेदार ही यात्रा की अनुमति दे रहे हैैं। वहीं, चेकिंग स्टाफ में शामिल टीटीई को मंथली ईएफटी बनाने का टारगेट है। यानी की अगर यात्री बेटिकट हैैं तो भी ईएफटी बनवाकर सफर कर लेगा। यात्रा को इसके बदले में किराया और 250 रुपए जुर्माना भरना होगा। मिनिमम पेनाल्टी 250 रुपए है। यदि स्लीपर में पेनाल्टी लगती है तो 250 रुपए और स्लीपर का डिफरेंस चार्ज लिया जाता है। इसी प्रकार एसी थर्ड में मिनिमम 615 रुपए पेनाल्टी चार्ज की जाती है। इसमें जीएसटी भी इंक्लूड है।
टॉयलेट तक पहुंचने में दिक्कत
वहीं, वेटिंग टिकट वाले यात्रियों के सफर करने से कंफर्म टिकट वालों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैैं। गर्मी जबरदस्त है। स्लीपर कोच में इस कदर भीड़ हो रही है कि यात्रियों को अपनी सीट से चलकर टॉयलेट तक जाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। कुशीनगर एक्सप्रेस से गोरखपुर आए परमानंद बताते हैैं कि उनका टिकट कंफर्म था, लेकिन उनकी सीट पर पहले से पांच लोग बैठे थे। कोई उतरने को तैयार नहीं था और टीटीई भी कहीं नहीं दिखाई दे रहे थे। मजबूरन भीड़ के साथ गोरखपुर तक आना पड़ा।
इन ट्रेनों में 30 जून तक वेटिंग
- बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस
- वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस
- सप्तक्रांति एक्सप्रेस
- गोरखपुर-एलटीटी एक्सप्रेस
- दादर एक्सप्रेस
- गोदाम एक्सप्रेस
- अमरनाथ एक्सप्रेस
- सत्याग्रह एक्सप्रेस
फैक्ट एंड फीगर
- वित्तीय वर्ष 2022-23 में बेटिकट यात्रा, अनियमित टिकट पर यात्रा अथवा बिना बुक किए सामान के साथ यात्रा के 18.5 लाख मामले पकड़े गए। इनसे 130 करोड़ रुपए रेल राजस्व वसूला गया।
- पिछले वर्ष की तुलना में 25 परसेंट व रेलवे बोर्ड द्वारा निर्धारित लक्ष्य 116.02 करोड़ के सापेक्ष 12 परसेंट अधिक रहा।
- चल टिकट निरीक्षक रिजवानुल्लास एवं जगप्रीत सिंह ने 2 करोड़ से अधिक रेल राजस्व की वसूली की। इन्हें 50 हजार रुपए सामूहिक पुरस्कार भी दिया गया।
दो महीने पहले ही स्लीपर का टिकट ले लिया था। घर पर शादी है, लेकिन वेटिंग टिकट कंफर्म नहीं हुआ। वेटिंग 7, 8 व 9 पर अटक गई। लेकिन सीट कंफर्म नहीं होने से किसी तरह गोरखपुर पहुंच सके हैैं। जबकि मैंने वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस में मार्च महीने में ही टिकट करवा लिया था।
शंकर, पैसेंजर
एसी कोच हो या फिर स्लीपर, बहुत बुरा हाल है। सीट कंफर्म नहीं होने से फैमिली संग आना बहुत महंगा पड़ गया। एक बर्थ कंफर्म हुई, लेकिन बाकी की तीन सीट वेटिंग में ही रह गई। किसी तरह से गोरखपुर पहुंच सके हैैं। दिल्ली से गोरखपुर तक का सफर बेहद खराब रहा।
रोहित, पैसेंजर
यात्रीगण कृपया ध्यान दें
- टिकट कराने से पहले ट्रेन की लिस्ट देखें।
- दो महीने पहले टिकट उसी क्लास में कराएं, जिसमें कंफर्म सीट हो।
- 50 से ज्यादा वेटिंग होने पर टिकट उस गाड़ी में न कराएं, जिसमें आपने मन बनाया है।
- टिकट कराते समय समर स्पेशल भी चेक कर लें, उसमें पर्याप्त सीट होती हैैं।
जो बिना टिकट या फिर जनरल का टिकट लेकर स्लीपर या एसी कोच में चढ़ जाते हैं। उनसे पेनाल्टी चार्ज होती है। हर क्लास के लिए जुर्माना राशि होती है। वहीं चार्ज किया जाता है।
पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे