-पेशेंटस को दी जाने वालीे सुविधा हवा-हवाई
-पेशेंटस को करना पड़ता है मुश्किलों का सामना
GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर में संडे मार्निग कुशीनगर की रहने वाली सरीता देवी अपने पेशेंट के साथ पहुंची। इस बीच ट्रामा सेंटर के अल्ट्रासाउंड की हकीकत जानने के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर भी पहुंचा। यहां चौंकाने वाला नजारा था। महिला अल्ट्रासाउंड के लिए अल्ट्रासाउंड कक्ष के पास थी लेकिन यहां ताला लगा था। जब पर्ची काउंटर के पास इस मामले में पूछा गया तो एक एंप्लाइ का कहना था कि यहां की व्यवस्था भगवान भरोसे है। ट्रामा सेंटर में गंभीर पेशेंट्स ख्ब् घटें उपचार और जांच के लिए आते हैं लेकिन संडे के दिन उन्हें काफी परेशानी होती है। जबकि नेहरू अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की पूरी व्यवस्था है। रेडियोलॉजी विभाग, ट्रामा सेंटर और स्त्री व प्रसूति रोग विभाग में भी अल्ट्रासाउंड होता है। सभी जांच यहीं पर की जाती है। सैटर्डे मार्निग कैम्पियरगंज की करमैनी निवासी लक्ष्मी इलाज के लिए ओपीडी पहुंची लेकिन यहां डॉक्टर की लापरवाही से मासूम की मौत का मामला प्रकाश में आया था।
ट्रामा सेंटर में मैन पावर की काफी कमी है। इसके कारण पेशेंट्स को परेशानी होती है। यहां कुल 98 हेल्ट स्टाफ संविदा पर कार्यरत हैं। पांच माह से इन्हें वेतन नहीं मिल पा रही है। अल्ट्रासाउंड में एक ही डॉक्टर नियुक्त है। अल्ट्रासाउंड कक्ष संडे को बंद रहता है। यदि कोई गंभीर पेशेंट आता है तो उसकी आउट सोर्सेज पर अल्ट्रासाउंड कराया जाता है।
डॉ। केपी कुशवाहा, प्राचार्य बीआरडी मेडिकल कॉलेज