गोरखपुर (ब्यूरो)।वैसे तो बड़े शहरों में प्रतिष्ठित मंदिरों में लगाए गए हैैं, लेकिन गोरखपुर में भी इसके लिए जिला आपदा प्रबंधन की ओर से कवायद शुरू होने वाली है। यह तब डिसीजन लिया गया, जब पिछले दो साल से आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं। हाल ही में गोरखपुर-बस्ती मंडल में आकाशीय बिजली गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई।
पिछले साल गई थी आठ लोगों की जान
जिला आपदा प्रबंधन की मानें तो 2022-23 में जहां आकाशीय बिजली गिरने आठ लोगों की जान चली गई थी। वहीं, 2021-22 में पांच लोगों की इसकी चपेट में आने से मौत हो गई। हालांकि, जितनी भी आपदाएं आती हैैं, उनमें शिकार हुए लोगों के परिजनों को चार लाख रुपए सहायता राशि उपलब्ध कराई जाती है। आकाशीय बिजली की घटनाओं को देखते हुए जिला आपदा प्रबंधन ने मंदिरों के ऊपर लाइटिंग कंडक्टर लगाए जाने की अपील की है। जिला आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्ता बताते हैैं कि वैसे तो ज्यादातर मंदिरों के ऊपर एक रॉड लगी होती है या फिर त्रिशुल लगे होते हैैं। लोगों की आस्था पर सवाल नहीं है, लेकिन एक्सपर्ट आकाशीय बिजली गिरने के इस घटना को विज्ञान की नजर से भी देखते हैैं। आकाशीय बिजली गिरने से लोगों को बचाया जा सके। यह इसका साइंटिफिक रीजन है।
मंदिरों और बिल्डिंग्स में लगी रॉड देखी है आपने
दरअसल, कई बिल्डिंग्स की छतों पर आपने एक एरियल की तरह एक चीज देखी होगी। मंदिरों के शिखर पर, बड़े-बड़े मोबाइल टॉवर पर, पानी की टंकियों पर, बड़े बस स्टॉप पर, रेलवे जंक्शंस पर, हवाई अड्डों पर व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर एक चीज आपको कॉमन दिखेगी। लोहे के रॉडनुमा यह चीज मंदिरों के शिखर पर त्रिशूलनुमा आकार लिए होती है। वहीं अन्य बिल्डिंग्स की छतों पर भी यह सबसे शीर्ष पर दिखती है। यह शोभा बढ़ाने या किसी अन्य उद्देश्य से नहीं लगाए जाते, बल्कि यही वो चीज है, जो आकाशीय बिजली से होने वाले नुकसान से बचाती है।
लाइटिंग अरेस्टर से रुकती है घटना
इस रॉडनुमा चीज को तडि़त चालक (Lightening Arrester) कहते हैं। स्कूलों में आपने साइंस में इस चीज के बारे में सुना होगा। इसे ट्रांसफॉर्मर के ऊपर भी लगाया जाता है। कारण कि ट्रांसफॉर्मर से हमारे घरेलू कनेक्शन से जुड़ा होता है। इसके ऊपर तडि़त चालक लगा नहीं लगा हो तो आकाशीय बिजली गिरने पर हमारे घरों के तमाम इक्विपमेंट्स बर्बाद हो जाएंगे। किसी भी तरह की अनहोनी हो सकती है।
कई तरह के होते हैं एरेस्टर
- इलेक्ट्रोलाइटिक एरेस्टर
- रोड गैप एरेस्टर
- स्फेयर गैप एरेस्टर
- हॉर्न गैप एरेस्टर
- मल्टीपल गैप एरेस्टर
- एक्सपल्सन टाइप
- लाइटनिंग एरेस्टर
ताकि प्रभाव को किया जा सके कम
आकाशीय बिजली और तडि़त चालक के बारे में डीडीयूजीयू फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रो। राकेश तिवारी बताते हैैं कि बादलों के टकराने से आकाशीय बिजली गिरती है। यह धरती पर एक साल में 1.60 करोड़ बार गिरती है। इसका टेंप्रेचर 30 हजार कैल्विन के बराबर होता है। इंसान हो, जानवर हो या बड़ी बिल्डिंग्स, जिसके ऊपर गिर जाए उसे खत्म कर देती है। सोचने तक का मौका तक नहीं देती। इंसानों और जानवरों की मौत हो जाती है। बिल्डिंग्स को भी तबाह कर देती है। इससे बचने के लिए, इसका प्रभाव कम से कम करने के लिए ही तडि़त चालक लगाया जाता है।
ब्रेन्जामिन फ्रेंकलिन ने किया लाइटिंग एरेस्टर का अविष्कार
- प्रो। राकेश तिवारी ने बताया कि तडि़त चालक का आविष्कार महान वैज्ञानिक ब्रेन्जामिन फ्र ंकलिन ने किया।
- उपयोगिता के हिसाब से लाइटिंग एरेस्टर कई तरह के होते हैं।
- एक बात जो कॉमन होती है कि यह पूरी तरह से मेटल का होता है।
- ज्यादातर लोहे के रॉड का प्रयोग किया जाता है।
- इसकी हाईट कम से कम तीन फिट होनी चाहिए।
- इस रॉड को कॉपर केबल यानी तांबे वाली तार के माध्यम से जमीन के अंदर इसका कनेक्शन कर दिया जाता है।
- जिसे हम अर्थिंग बोलते हैं, उसमें जोड़ दिया जाता है।
- जैसे ही कोई आकाशीय बिजली गिरती है, तो तडि़त चालक के माध्यम से सारी ऊर्जा सीधे जमीन में चली जाती।
- अब चूंकि पृथ्वी का पोटेंशियल यानी विभव शून्य होता है, धरती पूरी तरह न्यूट्रल होती है तो आकाशीय बिजली का पावर पूरी तरह खत्म हो जाता है।
- प्रो। राकेश तिवारी ने बताया कि द्वारकाधीश मंदिर पर आकाशीय बिजली गिरने से ज्यादा नुकसान नहीं होने के पीछे भी यही साइंस रहा होगा।
फैक्ट एंड फीगर
कैसे हुई मौत ------------- 2022-23 ------- 2021-22
आकाशीय बिजली गिरने से मौत - 8 ---------- 5
सांप काटने से हुई मौत ------ 5 ---------- 19
अग्निकांड से मौत --------- 1 ---------- 1
डूबने से मौत ------------ 47 --------- 58
अतिवृष्टि की चपेट में आने से मौत --- 1 ----- 4
वन्यजीव से मौत ------------ 3 ------- 4
कुल ------------------ 65 -------- 87