गोरखपुर (ब्यूरो)। सर्वे पूरा होने के बाद अब इसकी डिटेल रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजी जाएगी, जिसके बाद आगे का काम शुरू होगा। डोमिनगढ़ से खलीलाबाद और कुसम्ही से बैतालपुर तक तीसरी लाइन के लिए सर्वे बीते मार्च से चल रहा था। इसमें खलीलाबाद रूट पर सर्वे पूरा हो गया। जबकि बैलालपुर तक जल्द ही पूरा हो जाने की उम्मीद है।
दरअसल, खलीलाबाद से डोमिनगढ़ तक तीसरी लाइन के लिए लिडार (लाइट डिटेंशन और रेजिंग सिस्टम) सर्वे पूरा हो जाने के बाद साफ हो गया है कि जल्द ही इसके लिए बजट भी आवंटित हो जाएगा। तीसरी लाइन बन जाने से मालगाडिय़ों का संचालन आसान हो जाएगा। मालगाडिय़ां निर्बाध तो चलेंगी ही यात्री ट्रेनें भी कैंट और नकहा स्टेशन पर नहीं रुकेंगी।
मंजूरी के बाद हुआ सर्वे
बता दें, रेलवे बोर्ड ने लाइन की क्षमता बढ़ाने के लिए खलीलाबाद से बैतालपुर तक फाइनल लोकेशन सर्वे की अनुमति पिछले साल ही दे दी थी। मंजूरी के बाद इसके सर्वे के लिए बजट भी आवंटित हो गया था। कुसम्ही-बैतालपुर मार्ग के लिए 59 लाख और डोमिनगढ़- खलीलाबाद के लिए करीब 60 लाख रुपए मिले थे। धन मिलने के बाद रेलवे प्रशासन ने सर्वे प्रक्रिया शुरू करने की कवायद बढ़ा दी थी। तीसरी लाइन बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा रूट पर चलने वाली मालगाडिय़ों के लिए फ्रंट कॉरिडोर साबित होगा। मालगाडिय़ों के साथ यात्री ट्रेनों का संचालन भी दुरुस्त हो जाएगा। डोमिनगढ़ गोरखपुर-कैंट-कुसम्ही करीब 25 किमी मार्ग पर तीसरी रेल लाइन पहले से ही बिछ रही है। इसमें कैंट से कुसम्ही तक तीसली लाइन का काम पूरा हो गया है।
स्पीड से मिलेगी रेलवे को शक्ति
वहीं रेल लाइनों, स्टेशनों और समपार फाटकों का तेजी से डेवलपमेंट होगा। ओवरब्रिज, अंडरब्रिज, स्वचालित सीढ़ी, लिफ्ट, भवन, शेड और प्लेटफार्र्मो पर मिलने वाली यात्री सुविधाओं से संबंधित कार्य गुणवत्ता के साथ समय से पूरे होंगे। अफसरों की हीलाहवाली और इंजीनियरों की बहानेबाजी भी नहीं चलेगी। इससे चल रहे विकास कार्यों में तेजी आएगी। रेल उपभोक्ताओं को उत्कृष्ट सुविधा मिलेगी। संरक्षा को और पुख्ता करने तथा यात्री सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए रेल मंत्रालय और बोर्ड ने पूर्वोत्तर रेलवे सहित भारतीय रेलवे स्तर पर सभी जोन और मंडल स्तर पर गति शक्ति यूनिट गठित कर दी है।
तीसरी लाइन के सर्वे का काम डोमिनगढ़ से खलीलाबाद तक पूरा हो गया है। तीसरी लाइन बिछने से आउटर पर गाडिय़ां नहीं खड़ी हो सकेंगी। निर्बाध रूप से गाडिय़ों को सिग्नल मिल सकेगा और समय पर गाडिय़ां संचालित हो सकेंगी।
पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे