- दिगंबर आखाड़ा के ब्रह्मालीन महंत परमहंस के जीवन पर आधारित कर्मयोगी का हुआ विमोचन
GORAKHPUR: भारत धर्मप्राण और कृषि प्रधान देश है। हमारी परंपरा में जननी और जन्मभूमि के सामान ही गौ और गौवंश की महत्ता अनादिकाल से बनी हुई है। गाय, गीता और गंगा भारतीय संस्कृति की प्रतीक है। गीता की तरह ही गाय पूज्य है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि गौ रुद्रों की माता है। गोमाता में तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का हम एक साथ दर्शन करते हैं। गाय हिन्दू-मुसलमान-ईसाई का भेद नहीं करती, बल्कि सभी को एक समान मीठा दूध देती है। देश की संसद सम्पूर्ण गोवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगाने सम्बन्धी कानून बनाये। यह बातें सोमवार को गोरखनाथ मन्दिर में बतौर मुख्य अतिथि श्रीमतपंचखण्डपीठाधीश्वर आचार्य धर्मेन्द्र ने कही। वह ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ 46वीं और ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ की प्रथम पुण्यतिथि समारोह के अंतर्गत आयोजित गौरक्षा राष्ट्र रक्षा सम्मेलन पर अपनी बात रख रहे थे। मुख्य वक्ताओं ने संतोष मणि त्रिपाठी द्वारा लिखित दिगम्बर अखाड़ा अयोध्या के ब्रहा्रलीन महन्त परमहंस के जीवन पर आधारित पुस्तक कर्मयोगी का विमोचन भी किया।
गौ वंश का संरक्षण और संवर्द्धन जरूरी है
मुख्यवक्ता के रूप में उपस्थित भारत सरकार की खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ ने भारत में गोरक्षा आन्दोलन के अग्रणी नेताओं में एक थे। स्वतंत्रता के बाद से ही गोवंश की हत्या रोकने सम्बन्धी कानून बनाने के लिए धर्माचार्यो ने अनेकों अभियान चलाया। गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धर्मरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा, आर्थिक लाभ और पर्यावरण की दृष्टि से गौ तथा गौवंश का संरक्षण एवं संवर्धन आवश्यक है। कार्यक्रम को मुख्य रूप से नैमिषारण्य से पधारे स्वामी विद्या चैतन्य, हरिद्वार से पधारी साध्वी प्राची, प्रहलाद दास ब्रम्हचारी, वरुण कुमार वैरागी, रवीन्द्रदास, प्रेमदास, पंचानन पुरी, स्वामी गोपालदास, महन्त सुरेशदास, महन्त शिवनाथ, प्रो.उदय प्रताप सिंह, हरिद्वार से पधारे महन्त शांतिनाथ, अयोध्या से पधारे महन्त राममिलनदास सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।