गोरखपुर (ब्यूरो)।जिन्होंने न सिर्फ पे्रम किया। बल्कि एक-दूसरे पर जान छिड़कते हैं और हर तरह की कुर्बानी देने को तैयार हैं। वेलेनटाइन वीक की शुरुआत के दो दिन पूर्व दैनिक जागरण आईनेक्स्ट प्रेम के इस एहतराम (आदर) की चुनिंदा कहानी आज आपको बता रहा है, जिसे पढ़कर आप भी प्रेम के भाव और समर्पण को भली भांति समझ जाएंगे।
व्हीलचेयर पर सुनील, पर जीवन की बगिया में गजब की 'खुशबू'
प्यार एक ऐेसा खूबसूरत अहसास है, जिससे जिदंगी में न सिर्फ आगे बढऩे की प्रेरणा मिलती है, बल्कि तमाम मुश्किलें भी आसान लगने लगती हैं। असल जिंदगी की एक ऐसी नायिका, जिसने प्यार को सही मायनों में परिभाषित किया है। यह कहानी है कि एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका खुशबू दुबे व दवा व्यापारी सुनील दुबे की। वो खुशबू का प्यार ही था जो सुनील को मौत के मुंह से खींच लाया। बल्कि उनके जीवन में ढेर सारी खुशियां भी लाया है। हम बात कर रहे हैैं भगत चौराहा निवासी खुशबू और सुनील दुबे की।
खुशबू ने नहीं छोड़ा साथ
सुनील बताते हैैं कि जब वह एमबीए कर रहे थे। उसी वक्त कॉलेज फ्रेंड खुशबू से प्रेम हुआ, लेकिन उनके जीवन में 2011 में ऐसा मुकाम आया, जब उन्हें लखनऊ स्थित बीबीडी कालेज में एमबीए की पढ़ाई के दौरान ही ही कालेज के सामने सड़क हादसे में पैर गंवाने पड़े। फिर क्या था, लगा खुशियां थम सी गई हों। सुनील के जीवन में खुशबू उम्मीद की वह किरण बनकर आईं, जो आज उन्हें जीवन की एक नई राह दे रही हैैं। सुनील बताते हैैं कि वह एक्सीडेंट के दौरान जब उनका इलाज चल रहा था, वह बेहद निराश थे, लेकिन खुशबू ने उनका साथ नहीं छोड़ा। वह कभी परेशान होते भी तो खुशबू उन्हें हिम्मत देतीं, ऐसे कंडीशन में दोनों के फैमिली मेंबर्स भी सपोर्ट करते थे। जब बात शादी की आई, फिर भी खुशबू ने साथ नहीं छोड़ा और आज खुशबू सुनील को व्हील चेयर पर लेकर जिंदगी की राह पर निकल पड़ी हैं।
साथ के लिए फैली स्नेह की 'कीर्ति
टीपी नगर निवासी रवि गुप्ता बताते हैैं कि जब मैैं क्लास 8वीं में पढाई करता था, उसी वक्त से हमने कीर्ति से प्यार करना शुरू किया था, प्रेम भी बक्शीपुर स्थित एक कोचिंग में हुआ। धीरे-धीरे प्रेम और गहरा होता गया। फिर हम दोनों के बोर्ड के एग्जाम आए। एक दूसरे की पढ़ाई में भी काफी हेल्प की। जब कॉलेज में आए, फिर भी हम दोनों ने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। साथ नहीं छोडऩे की पहले कसमें खा चुके थे। लेकिन उससे ज्यादा इस रिश्ते को हमने निभाने की ठानी। शादी भी एक दूसरे से ही की, हालांकि कीर्ति के घर वाले राजी नहीं हो रहे थे, लेकिन बाद में वह भी मान गए। रवि बताते हैैं कि बीच में एक ऐसा इंसीडेंट आया, जब उन्हें कहीं जॉब नहीं लगी और ऐसे में उन्होंने सिटी छोड़कर जाना ही बेहतर समझा। यहां तक की रवि ने कीर्ति से एक दूसरे को भूलने की बात भी कही, लेकिन कीर्ति ने साथ नहीं छोड़ा। कीर्ति ने कहा चाहे जैसी भी स्थिति रहेगी हम साथ ही रहेंगे और आज हम दोनों साथ में अच्छी खासी गृहस्थी चला रहे हैैं। वे बताते हैैं कि आज की डेट में प्रेम रही नहीं गया है। जबकि हम यह संदेश देंगे कि आप जिससे भी प्रेम करें, एक दूसरे की रिस्पेक्ट करें। रवि टीपी नगर में बड़े स्तर पर बिजनेस करते हैैं।
प्रशासन की मदद से हो रहे प्रेम विवाह
प्रेम प्रंसग के मामलों में महिला कल्याण विभाग की तरफ से भी कई पहल की गई हैं। जिला प्रोबेशन कार्यालय के अंतर्गत आने वाले वन स्टॉप सेंटर में प्रति माह दर्जनों ऐेसे मामले आते हैैं, जो प्रेमी-प्रेमिका शादी करना चाहते हैैं, लेकिन घर वाले उन्हें नहीं करने देते। ऐसे कंडीशन में वे प्रेमी जोड़ों का साथ देते हैैं और रीति-रिवाज से मंदिर में विवाह संपन्न कराते हैैं। कुछ दिन पहले कैंपियरगंज के एक प्रेमी जोड़ों का विवाह भी गोरखनाथ मंदिर में कराया गया था। जिसमें पुलिस-प्रशासन ने भी मदद की। वन स्टाप सेंटर की प्रभारी पूजा पांडेय बताती हैैं कि किसी भी प्रेमी जोड़ों की अगर मदद के लिए कॉल आती हैै तो उनकी टीम पूरा मदद करती है।