- टीचर्स न होने से कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में पढ़ाई प्रभावित

- शासन-प्रशासन भी शिकायतों को लेकर गंभीर नहीं

GORAKHPUR:

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में मैथ, साइंस, इंग्लिश व कंप्यूटर जैसे इंपॉर्टेट सब्जेक्ट्स गुमनामी के अंधेरे में हैं। बीते दो वर्षो से जिले के ज्यादातर विद्यालयों में इन सब्जेक्ट्स के टीचर्स की कमी चल रही है। हाल यह है कि छात्राओं को मजबूरन खुद से ही पढ़ाई करनी पड़ रही है।

प्रस्ताव का भी असर नहीं

कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में टीचर्स की कमी को दूर करने के लिए रिक्त पदों पर नई भर्ती का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। लेकिन उच्चाधिकारियों की उदासीनता के चलते इसे मंजूरी नहीं मिल पाई। बता दें, जिले में कुल 20 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय हैं। इनमें करीब 2000 छात्राएं पढ़ती हैं। मानक के अनुसार हर स्कूल में नौ टीचर्स होने चाहिए।

मैथ की बड़ी प्रॉब्लम

इन विद्यालयों में सबसे बड़ी प्रॉब्लम मैथ सब्जेक्ट को लेकर है। डिस्ट्रिक्ट के 20 विद्यालयों में महज 10 के पास मैथ टीचर हैं। जबकि बाकी जगह छात्राएं बिना टीचर ही मैथ्स की उलझन को सुलझाने को मजबूर हैं। इसका असर उनके रिजल्ट पर भी पड़ रहा है। सिटी के कस्तूरबा विद्यालय की वार्डन सीमा ने बताया कि पिछले साल के रिजल्ट में मैथ में ज्यादातर छात्राओं के मा‌र्क्स एवेरज ही रहे। मा‌र्क्स की यही स्थिति दूसरे सब्जेक्ट्स की भी रही, जिनके टीचर्स नहीं है। यही स्थिति जिले के सभी विद्यालयों में है। इस साल भी रिजल्ट पर टीचर्स के न रहने का असर पड़ना तय है।

पैरेंट्स भी चिंतित

वहीं, टीचर्स की कमी को लेकर छात्राओं के पैरेंट्स भी परेशान हैं। कई छात्राओं ने तो पैरेंट्स से दूसरे स्कूल में दाखिला करवाने के लिए भी कहना शुरू कर दिया है। बेटियों को स्कूल में अच्छी शिक्षा न मिल पाने से परिजन भी चिंतित हैं। स्कूल की वार्डन के पास पैरेंट्स कंप्लेन लेकर पहुंच रहे हैं। लेकिन वह शासन स्तर का मामला होने की बात कहकर बेबसी जाहिर कर दे रही हैं।

वर्जन

जल्द ही प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजा जाएगा ताकि टीचर्स की तैनाती हो सके। विभाग प्रयास कर रहा है कि छात्राओं को बेहतर शिक्षा और सुविधाएं मिलें।

- ओम प्रकाश यादव, बीएसए