हड़ताल से बेहाल
- दो मार्च से बेमियादी हड़ताल पर हैं सराफा व्यापारी
- अब तक 15 वर्किंग डेज में सराफा बाजार रहा बंद
- रोजाना औसतन होता है 25 करोड़ का कारोबार
- 15 दिनों में 375 करोड़ का कारोबार हुआ प्रभावित
- जिले में 5 हजार से ज्यादा हैं सराफा के व्यापारी
- बंदी के चलते 18 हजार से ज्यादा कारीगरों के सामने पैदा हुआ निवाले का संकट
इन नियमों का है विरोध
- सराफा कारोबारियों को अब बढ़ी हुई एक्साइज ड्यूटी देनी होगी।
- दो लाख रुपये से अधिक की खरीद पर पैन कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा।
- प्रत्येक व्यापारी को स्टॉक सोने-चांदी के बारे में बिल-वाउचर रखना अनिवार्य होगा।
GORAKHPUR: अपनी मांगों के विरोध बीते 17 दिन (रविवाद छोड़ 15 दिन) से सराफा बाजार में बेमियादी बंदी ने अब तक गोरखपुर में 375 करोड़ का कारोबार प्रभावित किया गया है। व्यापारियों का दावा है कि ये आंकड़ा न्यूनतम खरीद बिक्री पर है। यदि बाजार अच्छा रहता तो शायद ये रकम 500 करोड़ के पार जाना तय है। लम्बी खींच रही इस बंदी के असर से व्यापारी खुद प्रभावित हैं लेकिन उन्होंने करो या मरो की ठान रखी है। बंदी के कुल 17 दिनों में सेल्स टैक्स विभाग को भी लाखों रुपये की राजस्व हानि का अनुमान है। इसके बावजूद हड़ताल समाप्ति के आसान नजर नहीं आ रहे हैं।
11 अप्रैल तक बंदी!
ऑल इंडिया सराफा एसोसिएशन व उत्तर प्रदेश सराफा एसोसिएशन के संयुक्त आह्वान पर प्रदेश भर के सराफा व्यापारी 2 मार्च से बेमियादी हड़ताल पर चल रहे हैं। रोजाना व्यापारी धरना-प्रदर्शन कर अपनी मांगें मानने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। अब तक की बंदी से कोई ठोस नतीजा न निकलने के कारण ही व्यापारियों ने अब बेमियादी बंदी 11 अप्रैल तक जारी रखने का मन बनाया है। इस प्रस्ताव से खरीदार और व्यापारियों के लिए काम करने वाले कारीगर, दोनों की हैरान और परेशान हैं। व्यापारियों का कहना है कि यदि इसके बाद भी सरकार ने उनकी नहीं सुनी तो हड़ताल और बढ़ सकती है।
करोड़ों का कारोबार ठप
हड़ताल में शामिल व्यापारियों का दावा है कि केंद्र सरकार की नीतियां ही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। नये नियमों से छोटे और मझोले व्यापारी खत्म हो जाएंगे। ज्यादा फायदा बड़ी कंपनियों को होगा। इसलिए ही उन्हें ये कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। हड़ताल में गोरखपुर सिटी एरिया के 2500 दुकानों सहित जिले के करीब पांच हजार छोटे-बड़े सराफा कारोबारी शामिल हैं। गोरखपुर सराफा बाजार में सामान्य दिनों में रोजाना 25 करोड़ का कारोबार होता है। इस हिसाब से अगर 15 दिनों के नुकसान को कैल्कुलेट किया जाए तो हड़ताल से प्रभावित कारोबार का आंकड़ा 375 करोड़ पहुंच जाता है। हालांकि बंदी में इससे कहीं ज्यादा कारोबार प्रभावित हुआ है क्योंकि मार्च में लगन की खरीदारी जबरदस्त रूप से प्रभावित हुई है।
बैंक व राजस्व को नुकसान
सराफा व्यापारियों की इस बंदी से सिर्फ मार्केट ही प्रभावित नहीं है, बल्कि इससे सरकारी राजस्व व बैंक को भी भारी चपत लग रही है। सेल टैक्स कमिश्नर एके चतुर्वेदी के मुताबिक सिर्फ गोरखपुर में प्रतिदिन सराफा की दुकानों से डेढ़ लाख रुपए सेल टैक्स के रुप में आता है। इस तरह 15 दिनों में करीब 22.5 लाख रुपये की राजस्व क्षति हो चुकी है। बैंकों की बात करें तो इससे प्रतिदिन करोड़ों का टर्न-ओवर प्रभावित हो रहा है।
उधारी पर जी रहे कारीगर
हड़ताल से जनता परेशान हो चुकी है। उन लोगों को खासकर परेशानी का सामना करना पड़ा है जिनके यहां बेटी की शादियां हैं। या फिर जिन्हें खास रिश्तेदारी में न्यौता के लिए आभूषण खरीदने थे। हालांकि हड़ताल से सबसे ज्यादा प्रभावित सराफा बाजार के लिए काम करने वाले कारीगरों पर हुआ है। जिले में करीब 18 हजार कारीगर 15 दिनों से बेकार बैठे हैं। अब उनके लिए दो वक्त की रोटी का संकट हो गया है। उधारी पर परिवार का पेट भर रहे हैं। कुछ कारीगरों को व्यापारी आर्थिक सपोर्ट कर रहे हैं लेकिन सभी कारीगरों के साथ ऐसा नहीं है। कुछ के लिए होली का त्योहार फीका साबित होने वाला है क्योंकि उनके पास बच्चों के लिए नये कपड़े, रंग-पिचकारी या फिर घर में पकवान के लिए पैसे ही नहीं हैं।
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सोना बेचने वाले बेच रहे सब्जी
हड़ताल के क्रम में लगातार 17वें दिन भी सराफा व्यापारियों की हड़ताल जारी रही। सराफा मंडल के संरक्षक पुष्पदंत जैन के नेतृत्व में सराफा व्यापारियों व कारीगरों ने अलीनगर में सब्जी बेचकर व प्रदर्शन कर सरकार के प्रति अपना विरोध जताया। पुष्पदंत जैन कहा कि हम लोगों ने सब्जी बेचकर यह चेताया है कि सरकार ने हमारे कारोबार को बंद करने का जो कुचक्र रचा है, यह उसी की देन है कि आज हम अपने बच्चों का भरणपोषण करने के लिए सब्जी तक बेचने को मजबूर हुए हैं। उन्होंने सरकार को कहा कि अभी भी वक्त है कि हमारी मांगों को सरकार मान लिया जाए। नहीं तो अब पूरे देश के सराफा व्यापारी व कारीगर सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। श्री जैन ने कहा कि दिल्ली के रामलीला मैदान पर भी पूरे देश से एकत्रित होकर काला कानून वापस करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन यह बड़े दु:ख की बात है कि सरकार हमारी मांगों को नजर अंदाज कर रही है। इस दौरान राकेश वर्मा, विशाल कुशवाहा, संजय वर्मा, गोवर्धन सराफ, वंशीधर सराफ, मनीष अग्रवाल, राजकुमार सोनी, रामनरायन वर्मा आदि लोग मौजूद रहे। धरना का संचालन सुरेंद्र अग्रवाल सोनी ने किया।
केंद्र व राज्य सरकार को सौंपा ज्ञापन
इसके साथ ही सराफा मंडल के संरक्षक पुष्पदंत जैन व अतुल सराफ की ओर से केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ। महेश शर्मा के माध्यम से और सपा के जिलाध्यक्ष केके त्रिपाठी के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में यह मांग की गई कि एक्साइज डयूटी व पैनकार्ड की अनिवार्यता खत्म की जाए, नहीं तो पूरे देश के व्यापारी सड़कों पर उतरकर आंदोलन को बाध्य होंगे और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
आज तय करेंगे रणनीति
सराफा मंडल के आय-व्यय निरीक्षक राकेश वर्मा ने बताया कि शनिवार को सराफा मंडल के अध्यक्ष शरद चंद अग्रहरी ने सराफा भवन में एक बैठक बुलाई है। इसमें 11 अप्रैल तक की बंदी पर विचार-विमर्श करके आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
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सरकार ने इस काला कानून को लाकर व्यापारियों व कारीगरों के सामने रोटी तक जुटाने की मुश्किल खड़ी कर दी है। बड़े व्यापारियों का तो कुछ दिनों काम चल जाएगा, लेकिन इसमें इस हड़ताल से छोटे व्यापारियों के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। यह लड़ाई हम सब मिलकर लड़ेंगे और सरकार को मजबूर होकर हमारी मांगों को मानना होगा।
- पुष्पदंत जैन, सराफा व्यापारी
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इस काले कानून को लाकर सरकार का उद्देश्य टैक्स बढ़ाना नहीं है, बल्कि सराफा व्यापार को खत्म करना है। टैक्स तो हम देने को तैयार ही है, अगर सरकार को टैक्स ही चाहिए तो कस्टम ड्यूटी बढ़ा दे, लेकिन इस तरह तो व्यापारी कारोबार बंद करने पर मजबूर हो जाएंगे। यही वजह है कि आज छोटे से छोटा व्यापारी तपस्या करने को तैयार है, लेकिन हार मानने को तैयार नहीं है।
अतुल सराफ, सराफा व्यापारी
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हम कारीगारों के सामने तो अब रोटी तक जुटाना मुश्किल हो गया है। क्योंकि हम कारीगर रोज कमाते हैं तभी रोज खाते हैं। ऐसे में बैकअप के नाम पर भी हम लोगों के पास दो-चार दिन की व्यवस्था होती है। ऐसे में अब कारीगरों अब यह आंदोलन कारीगरों के पेट पर भारी पड़ने लगा है।
मनोज कुमार वर्मा, ज्वैलरी कारीगर
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कोई भी कारीगर जितना काम करता है उसे उतना ही पैसा मिलता है। हमारे पास अर्निग का कोई दूसरा श्रोत नहीं है। ऐसे में इस हड़ताल से अब कारीगरों की कमर टूट रही है। इस महंगाई के दौर में आज 17 दिन से बिना कमाए घर-परिवार चलाना अब मुश्किल होता जा रहा है।
बजरंग वर्मा, ज्वैलरी कारीगर