- चार घंटे तक जूनियर डॉक्टर्स के साथ प्राचार्य की चली मीटिंग
-छह मौतों और हजारों मरीजों की परेशानियों के बाद राहत
GORAKHPUR:
छह मौतों और हजारों मरीजों की जिंदगी बे-ताल करने के बाद आखिर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल खत्म हो गई। चार दिनों तक चली इस हड़ताल ने मरीजों के लिए काफी मुश्किल कर दी। गौरतलब है कि यूपीपीजीएमई के फैसले के विरोध में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स 30 मई से हड़ताल पर थे। गुरुवार को मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ऑफिस में मीटिंग के दौरान जूनियर डॉक्टर्स को समझाने-बुझाने का सिलसिला जारी रहा। काफी खींचतान के बाद मामला पटरी पर आया। प्राचार्य के प्रयास के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने काम पर लौटने का फैसला लिया और बंद पड़ी इमरजेंसी को चालू कराया।
आखिर पसीजा दिल
दो मई को अपनी मांग को लेकर आंदोलित जूनियर डॉक्टर्स का रुख गुरुवार को कुछ नर्म नजर आया। इसकी एक वजह रात से ही मेडिकल कॉलेज में तैनात पीएसी भी थी। गुरुवार सुबह जूनियर डॉक्टर्स काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करते रहे। इसके बाद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने एक मीटिंग बुलाई, जिसमें विभागाध्यक्ष के साथ जूनियर डॉक्टर्स का समूह भी शामिल हुआ। 11 बजे से मीटिंग शुरू हुई। मीटिंग में प्राचार्य ने जूनियर डॉक्टर्स को समझाने का प्रयास किया और कहा कि यह कोर्ट का आदेश है। इसमें शासन का दोष नहीं है। मामले को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाया जा सकता है। तब जाकर जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने का निर्णय लिया है।
इसलिए था जूनियर डॉक्टरों में गुस्सा
गौरतलब है कि जूनियर डॉक्टर कोर्ट के उस आदेश से नाराज थे जिसमें पीजी प्रवेश परीक्षा में बैठे प्रांतीय चिकित्सा के डॉक्टर्स को तीस प्रतिशत वेटेज दिया गया है। उनका कहना है कि इससे पूरी मेरिट बदल गई है और ऐसे मेडिकल स्टूडेंट्स जो पीजी में प्रवेश लेने के बाद पढ़ाई कर रहे हैं, उनका कॅरियर संकट में पड़ गया है। स्टूडेंट्स का यह भी आरोप है कि प्रदेश सरकार ने उनके मामले की पैरवी कोर्ट में सही ढंग से नहीं की है। इससे नाराज जूनियर डॉक्टर्स का गुस्सा फूट गया और 30 मई की रात करीब 8 बजे से इमरजेंसी सेवा ठप कर धरना-प्रदर्शन करने लगे।
वर्जन
जूनियर डॉक्टर्स की कोई भी शर्त नहीं है। उन्होंने बिना शर्त काम पर लौटने का निर्णय लिया है। ठप पड़ी सभी चिकित्सकीय व्यवस्था को शुरू कर दिया गया है। पेशेंट्स का बेहतर उपचार मेरी प्राथमिकता है।
-डॉ। राजीव मिश्रा, प्राचार्य बीआरडी मेडिकल