- शहर के 70 प्रतिशत जंपर जुगाड़ से हो रहे हैं संचालित
- इन्हीं के कारण दिव्यनगर और मोहद्दीपुर में नौ घंटे तक छाया रहा अंधेरा
- चिडि़या और ओस की बूंद से उड़ रहे हैं जंपर
GORAKHPUR: सर्द मौसम में अब ओस की बूंदे भी गोरखपुराइट्स की परेशानी को दोगुना कर रही हैं। एक तरफ जहां धुंध की वजह से आए दिन एक्सीडेंट हो जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ओस की बूंदों से जंपर भी उड़ जा रहे हैं, जिससे गोरखपुराइट्स को घंटों बिजली के इंतजार में अपना वक्त बर्बाद करना पड़ रहा है। पांच दिन पहले कुछ ऐसा ही दिव्यनगर और मोहद्दीपुर के लोगों को ओस की बूंदों ने खूब रुलाया। इसका सबसे बड़ा रीजन है जुगाड़ का जंपर। इस पर ओस की बूंदों का पड़ना इस कदर भारी पड़ा कि लोगों को नौ घंटे तक अंधेरे में वक्त बिताना पड़ गया। आगे भी इस 'जुगाड़' से गोरखपुराइट्स को कब और कितनी राहत मिलेगी, यह तो आने वाले वक्त बताएगा। फिर भी अगर बिजली विभाग के सोर्सेज की मानें तो शहर के करीब 70 प्रतिशत जंपर जुगाड़ से चल रहे हैं, जिनकी मदद से विभाग शहर को रोशन करने की आस लगाए बैठा है।
लापरवाही से उड़ता है जंफर
नाम न छपने की शर्त पर बिजली विभाग के एक जेई ने बताया कि जंपर की जांच हर माह जरूरी है। इससे जंपर उड़ने और इस दौरान होने वाली कटौती से बचा जा सकता है। इसमें करना कुछ नहीं है, बस ढीले हो रहे जंपर को कस देना है। वहीं अगर फीडर ओवर लोड हो रहे हैं, तो इसकी क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है। वहीं पक्षियों के बैठने की वजह से टूटे हुए जंपर की मरम्मत की जा सकती है। मगर हकीकत बिल्कुल इसके परे है। अगर बिजली विभाग ने एक बार जंपर लगा दिया, तो उसके खराब होने के बाद ही उसकी मरम्मत की जाती है। विभाग से जुड़े लोगों की मानें तो सबसे अधिक जंपर रुस्तमपुर, मोहद्दीपुर, लालडिग्गी और बक्शीपुर एरिया में खराब होते हैं।
दो तरह के लगाए जाते हैं जंपर
बिजली सप्लाई करने वाले फीडर पर दो तरह के जंपर लगाए जाते हैं। एसडीओ चंद्रशेखर का कहना है कि 33 हजार और 11 हजार वोल्ट की लाइन पर डॉग कंडक्टर जंपर लगाया जाता है और 440 या 220 वोल्ट की फीडर पर विजल कंडक्टर जंपर लगाया जाता है। डॉग कंडक्टर जंपर हैवी होते हैं। यह इनसे फॉल्ट के चांसेज कम होते हैं, जबकि एलटी लाइन के फीडर का जंपर अधिक उड़ता है, वहां डॉग कंडक्टर जंपर लगा दिया जाता है, जिससे फॉल्ट पर काफी हद तक लगाम लग जाती है।
पक्षियों के कारण उड़ते हैं जंपर
पोल के पास जब बिजली में रुकावट आती है, तो उसी बिजली को जंपकराकर दूसरे तार में सप्लाई दी जाती है। यह बहुत ही सेंसटिव होता है, क्षमता से अधिक करंट के झटकों से जंपर उड़ जाता है। जेई प्रदीप दूबे का कहना है कि जंपर उड़ने की तीन अहम वजह है। जिसमें सबसे बड़ा कारण ओवरलोडिंग है। 220 केवीए के फीडर पर लगे जंपर पर जैसे ही 220 वोल्ट से अधिक लोड बढ़ता है, तो इससे चिंगारी निकलनी शुरू हो जाती है। एक ऐसी कंडीशन आती है, जब इसके थ्रू सप्लाई फेल हो जाती है। दूसरा कारण पक्षी हैं, जो अक्सर जंपर पर बैठ जाते हैं, जिससे सप्लाई में प्रॉब्लम हो जाती है और जंपर ढीले हो जाते हैं। जब करंट इन जंपर्स पर पहुंचता है, तो चिंगारी निकलने के साथ यह फॉल्टी हो जाते हैं। तीसरा कारण पोल पर गाडि़यों की टक्कर है।