-मालखाना इंचार्ज की लापरवाही से फंसा हत्या के मुकदमे का फैसला

-उरुवा से बस्ती ट्रांसफर के बावजूद नहीं दिया चार्ज

-डीआईजी व एसएसपी ने बस्ती के एसपी को लिखा पत्र

GORAKHPUR: उरुवा थाने के पूर्व मालखाना इंचार्ज हेडकांस्टेबल अरविंद यादव की लापरवाही के चलते हत्या के अहम मामले में फैसला नहीं हो पा रहा है। हत्या में इस्तेमाल बंदूक को बतौर सबूत अदालत में प्रस्तुत किया जाना है, लेकिन कई बार पत्र भेजे जाने के बावजूद बस्ती में तैनात वर्तमान हेड कांस्टेबल कोर्ट में बंदूक प्रस्तुत करने नहीं आ रहे हैं। कोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद डीआईजी और एसएसपी ने एसपी बस्ती को पत्र लिखकर कांस्टेबल को भेजने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को है।

मालखाना इंचार्ज नहीं हुए हाजिर

आठ साल पहले वर्ष 2008 में उरुवा थानाक्षेत्र में हुई हत्या के मामले में पुलिस ने एक व्यक्ति विद्यासागर को जेल भेजा था। विवेचक उपनिरीक्षक मिथिलेश मिश्र के आरोप पत्र दाखिल करने के बाद मामले में सुनवाई और गवाही चल रही है। हत्या में इस्तेमाल बंदूक को बतौर सबूत कोर्ट के सामने प्रस्तुत करना था। उक्त बंदूक थाने के मालखाने में जमा है। आदेश के बाद पता चला कि पूर्व हेडकांस्टेबल अरविंद यादव के पास मालखाने का चार्ज है, जिनका तबादला बस्ती हो चुका है। ट्रांसफर के बावजूद उन्होंने अबतक चार्ज नहीं सौंपा है। उन्हें थाने आकर बंदूक निकालकर प्रस्तुत कराने के लिए कोर्ट से पत्र भेजा गया था। तब से एक साल बीत जाने पर भी वे अबतक हाजिर नहीं हुए।

निस्तारण रुकने पर कोर्ट ने भेजा नोटिस

इस अहम सबूत के बिना वर्ष 2008 से लंबित इस मुकदमे में फैसला नहीं हो पा रहा है। मामले का निस्तारण लटकने पर कोर्ट ने डीआईजी को पत्र भेजा है। इसके बाद डीआईजी एवं एसएसपी ने एसपी बस्ती को पत्र लिखकर संबंधित हेडकांस्टेबल को भेजने के लिए कहा है। इसी मामले में एक क्रॉस एफआईआर भी हुई थी। इसमें भी फैसला लंबित है।

टांडा से मिला था हथियार

हत्या में इस्तेमाल बंदूक पुलिस ने अंबेडकरनगर के टांडा से बरामद की थी। बंदूक को इसके बाद थाने के मालखाने में रखा गया था। इस बीच मालखाना इंचार्ज का तबादला बस्ती हो गया, लेकिन उन्होंने दूसरे को चार्ज नहीं सौंपा। चार्ज न मिलने के चलते कोई अन्य मालखाना नहीं खुलवा सकता है।

मालखाने में रखी गई बंदूक को विवेचक को कोर्ट में प्रस्तुत करना है। दरोगा एक साल से हर तारीख पर कचहरी आ रहे हैं, लेकिन अब तक थाने के मालखाने से बंदूक नहीं आ पाई है। इसके चलते फैसला रुका हुआ है।

जेपी पांडेय, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी