- बेल की अर्जी के पहले पुलिस का प्रार्थना पत्र
- 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में दोबारा भेजे गए जेल
GORAKHPUR : कसरवल कांड में छात्र अखिलेश निषाद की हत्या के लिए पुलिस ने बंदियों को जिम्मेदार ठहराया है। फ्राइडे को पुलिस ने 37 बंदियों को रिमांड पर ले लिया। कोर्ट में उनकी पेशी कराई गई, जहां बंदियों को 14 दिन के रिमांड पर दोबारा जेल भेज दिया गया। इस दौरान कचहरी परिसर में भारी पुलिस बल मौजूद रहा।
जिंदा था अखिलेश, बाद में हुई मौत
सात जून को कसरवल में आंदोलन के दौरान फायरिंग में छात्र अखिलेश की मौत हो गई। बवाल में सहजनवां के थानेदार श्यामलाल यादव की तहरीर पर आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने 31 नामजद अभियुक्तों को दूसरे दिन अरेस्ट करके भेजा। अन्य छह अज्ञात अभियुक्तों को बाद में जेल भेजा गया। विवेचना के दौरान पुलिस ने छात्र अखिलेश की मौत के लिए आंदोलनकारियों को जिम्मेदार ठहराया। मुकदमे में हत्या की धारा बढ़ा दी गई। पुलिस ने अपने बयान में दर्ज किया कि अखिलेश को घायल दशा में ले जाया गया। बाद में उसकी मौत हो गई। हालांकि अखिलेश का कहीं उपचार कराया गय, इसका कोई जिक्र किसी दस्तावेज में नहीं किया गया है।
बेल की अर्जी के पहले पुलिस की दरख्वास्त
जेल में बंद आंदोलनकारी जमानत की कोशिशों में जुटे थे। आरोपी इलाहाबाद निवासी नीतेश कुमार और शिव प्रसाद ने लोवर कोर्ट में जमानत की अर्जी देखी। दोनों की बेल पर सुनवाई के पहले विवेचक शेर बहादुर सिंह ने सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना दाखिल कर दिया। विवेचक ने कोर्ट को बताया कि घटना के दिन अखिलेश घायल था जिसकी बाद में मौत हुई। इस मामले में कोर्ट ने बंदियों को तलब किया। सभी 37 आंदोलनकारियों पर धारा 302 के तहत रिमांड पर दिया। फिर उनको 14 दिन की न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया। पुलिस की एफआईआर में अखिलेश चौधरी और धर्मवीर निषाद को फायरिंग का दोषी बताया गया है। दोनों ने डॉक्टर संजय निषाद के ललकारने पर गोली चलाई थी। दोनों की गिरफ्तारी पर पुलिस ने तमंचे की बरामदगी की। तब आर्म्स एक्ट और जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में आंदोलनकारियों को उनके अपने साथी की मौत का जिम्मेदार बताया गया।