गोरखपुर (ब्यूरो)। स्लीप अटैक (नार्कोलेप्सी) यानी नींद का दौरा पडऩा। यह उस अवस्था में होता है जब व्यक्ति की नींद पूरी नहीं हो पाती है। जिला अस्पताल के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों पर की गई स्टडी में यह बात सामने आई है। 365 कर्मचारियों के सर्वे में सामने आया कि 65 परसेंट इंसोमेनिया के शिकार पाए गए। इन्हें नींद के दौरे भी पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में कई बार कर्मचारियों को पनिशमेंट भी मिल चुका है।
स्क्रीन टाइम भी वजह
स्टडी में सामने आया कि 67 परसेंट महिलाओं और 56 परसेंट पुरुषों को दफ्तर में काम के दौरान नींद आती है। 21 परसेंट लोगों ने यह भी माना कि उन्हें रात में नहीं, दिन के समय गहरी नींद आती है। वे कामकाज पर भी ध्यान नहीं दे पा रहे। देर रात तक जागने, परेशानियों में उलझे रहने, अत्यधिक स्क्रीन टाइम पर काम करने की वजह से भी यह समस्या आ रही है।
स्लीप अटैक दे रहा टेंशन
विशेषज्ञों की मानें तो देर रात तक अनावश्यक जागना, सोने से पहले लगातार फोन में आंखें गड़ाए रखना, देर रात तक लाइट ऑन रखना, नींद चक्र को प्रभावित करता है। स्लीप अटैक को मेडिकल साइंस की भाषा में नार्कोलेप्सी कहते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिन के समय अचानक तेज नींद आने लगती है। व्यक्ति चाहकर भी नींद पर काबू नहीं कर पाता। कई बार शराब या दवा का सहारा लेना है।
थेरेपी का सहारा
राप्तीनगर के रहने वाले 28 वर्षीय युवक का 6 महीने से नींद चक्र बिगड़ा हुआ था। परिवारिक कलह के चलते उन्हें देर रात तक नींद नहीं आती थी। ऑफिस में काम नहीं कर पाते थे। स्लीप अटैक की दिक्कत भी होने लगी। काम समय पर पूरा नहीं करने पर ऑफिस में भी तनाव होने लगा। यह देखते हुए उन्होंने अपनी जॉब से ब्रेक लिया और नींद चक्र को सुधार रहे हैं और थेरेपी भी चल रही है।
ये हैं सिंप्टम्स
दिन के दौरान बहुत अधिक नींद आना (दिन में अधिक नींद आना)।
उठने या जागते रहने में परेशानी होना।
जागने के बाद मदहोश या उलझन महसूस करना।
रात में अधिक देर से सोना या दिन में अधिक झपकी लेना।
नींद के बाद बेचैनी महसूस होना।
सोचने या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।
कम ऊर्जावान या सुस्ती महसूस करना।
काम करने या स्कूल में रहने या काम करने में समस्याओं का सामना करना।
हार्मोन में बदलाव होता है।
उदासी की बीमारी या चिंता रहती है।
ऐसे करें बचाव
-स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण करें।
- योग और एक्सरसाइज करें।
- सोने से पहले कैफीन या कोई भी हैवी भोजन नहीं लें।
- तनाव कम लें।
नींद बनाने वाले हार्मोन मेलेटोनिन की कमी के कारण स्लीप अटैक की समस्या पैदा होती है। नींद के दौरे बिना किसी चेतावनी के कभी भी आ सकते हैं। इससे तनाव भी बढ़ता है। हेल्दी डाइट लेने के साथ तनाव कम लें और योग और एक्सरसाइज करें।
डॉ। अमित शाही, मानसिक रोग विशेषज्ञ