- गौसिया कमेटी की ओर से मनाया गया तीसरा सालाना जश्ने गौसुल आजम

- फज्र की नमाज के बाद कुल शरीफ और चादर पोशी हुई

GORAKHPUR : गौसिया कमेटी की ओर से जामा मस्जिद उत्तर फाटक स्थित दर्जी पट्टी में सोमवार को तीसरा सालाना जश्ने गौसुल आजम का प्रोग्राम आयोजित हुआ। इसके मेहमान-ए-खुसूसी महराजगंज के मौलाना शेर मोहम्मद रहे। उन्होंने कहा कि जब यूरोप के लोग दस्तखत करना नहीं जानते थे, उस वक्त मुसलमान विद्वानों ने लाखों किताबें लिख दीं। उन्होंने इसमें गौर फिक्र किया और नई-नई खोजें की। मुसलमानों में इतने महान खोजकर्ता और वैज्ञानिक गुजरे है कि जिनके जलाए ज्ञानदीप की वजह से चैदहवीं और पंद्रहवीं शताब्दी में यूरोप में पुर्नजागरण व धार्मिक विपलव जैसे आंदोलन चले और आज यूरोप विकास और सभ्यता के शिखर पर पहुंचा।

ऑक्सफोर्ड में किताबें मौजूद

अध्यक्षता करते हुए मौलाना मोहम्मद अजहर ने कहा कि पश्चिम की सबसे बेहतर मानी जाने वाली ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के पुस्तकालय में आज भी मुस्लिम विद्वानों की पुस्तकों के लातीनी और दूसरी यूरोपीय भाषाओं में किए गए अनुवाद मौजूद है। यूरोप के पुस्तकालय में मुसलमानों द्वारा गणित, विज्ञान, भूगोल, भौतिकी, जीव विज्ञान, भूगर्भ शास्त्र, आयुर्विज्ञान, दर्शनशास्त्र, अंतरिक्ष ज्ञान, मानव विज्ञान, सागर विज्ञान सहित तमाम विषयों पर करीब ढाई लाख से ज्यादा किताबें रखी हैं।

हर ओर छाए मुसलमान

उन्होंने कहा कि हवाई जहाज की कल्पना सबसे पहले कुरतुबा के एक मुसलमान अब्बास इब्ने फरनास ने नवीं शताब्दी में की और उनका बनाया हवाई जहाज कुछ सेकेंड उड़ा भी। इसी वैज्ञानिक ने पहली घड़ी भी बनाई। कैमरे की कल्पना इब्नुल हैशम ने ग्यारहवीं सदी में की। सबसे पहले मुसलमान नेत्र विशेषज्ञ इब्नुल नफीस ने कठिन से कठिन आंख का ऑप्रेशन किया। अलराजी ने सबसे पहले एल्कोहल को एंटीसेप्टिक के तौर पर प्रयोग किया। पहला ग्लोब 1279 ई। में अल अरदी ने बनाया। अरब मुसलमानों ने नहाने धोने के लिए सबसे पहले सुगंधित साबुनों का प्रयोग किया।

फज्र के बाद हुई चादर पोशी

इस दौरान यहीं पर मौजूद मजार पर बाद नमाज फज्र कुल शरीफ और चादर पोशी हुई। नात शरीफ हफिज मोहम्मद नोमान, रईस अनवर ने पेश की। इस मौके पर मो। रफीउल्लाह, हाफिज मो। कलाम, नेमतुल्लाह, हाफिज हुसैन आलम, हाफिज हिदायतुल्लाह सहित तमाम लोग मौजूद रहे।