- जेलों में बवाल से सहमे थे अफसर
- बंदियों की हर डिमांड होती रही पूरी
GORAKHPUR: मंडलीय कारागार में कार्रवाई से जेल अफसरों के करतूतों की पोल खुली है। वाराणसी और देवरिया के जेलों में बंदियों की बगावत देखकर जेल अफसरों ने दोहरा लाभ उठाने की कोशिश की। जेल अफसरों की नरमी से सलाखों के भीतर बंदियों की मौज हो गई। बंदियों के खुश रहने से बेवजह के बवाल की आशंका टल गई। जेल कर्मचारियों की भी चांदी हो गई। शुक्रवार की रात डीएम-एसएसपी की छापेमारी के बाद जेल में सुविधाएं देने की असलियत सामने आई। जेल में बंदियों को मौज कराने के आरोप में जेलर राम कुबेर सिंह और डिप्टी जेलर प्रणय सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
सता रहा था डर
अप्रैल माह में प्रदेश की दो जेलों में बंदियों ने बवाल काटा। विभिन्न मांगों को लेकर मौका मिलने पर बंदियों ने जेल प्रशासन की नाक में दम कर दिया। दो अप्रैल को बनारस जेल में जमकर बवाल हुआ। यह मामला ठंडा पड़ने के पहले 26 अप्रैल को देवरिया जेल में भड़के बंदियों ने मनमानी की। देवरिया में हुए हंगामे से गोरखपुर जेल के अफसर सहम गए। अफसरों को डर सताने लगा कि किसी न किसी बहाने बंदी का यहां का माहौल खराब कर सकते हैं। इसलिए अफसरों ने सख्ती करनी बंद कर दी।
बंदियों के खुश रहने से मिलता फायदा
जेल अफसरों की छूट पर मस्ती बवाल के डर से सहमे अफसरों को बहाना मिल गया। किसी तरह से बंदी खुश रहे। इसका उपाय खोजा जाने लगा। दो तरफा लाभ के लिए जेल प्रशासन ने कड़ाई में ढील दे दी। इसका फायदा उठाकर प्रभावशाली बंदी जेल के भीतर मौज-मस्ती पर उतारू हो गए। जिला कारागार के भीतर मोबाइल चलने पर पुलिस ने सर्विलांस का सहारा लिया। रंगदारी की घटनाएं सामने आने पर शुक्रवार की रात अफसरों ने छापेमारी की। इस दौरान पता लगा कि जेल अधिकारियों की मिलीभगत से बंदियों की मौज कट रही थी।
शुक्रवार की रात अचानक पहुंचे अफसर
जेल के भीतर मोबाइल का इस्तेमाल करके बंदी रंगदारी मांग रहे थे। जांच पड़ताल में पुख्ता सबूत मिलने पर अफसरों ने कार्रवाई की। शुक्रवार की रात साढ़े नौ बजे डीएम और एसएसपी ने कार्रवाई की। बैरकों की तलाशी में चाकू, लाइटर, मोबाइल फोन के चार्जर और कैंची मिली। हद तो तब हो गई जब तन्हाई बैरक में बंदी सेटअप बॉक्स से टीवी देखते मिले। तन्हाई बैरक में सिपाही हत्याकांड का आरोपी, शातिर वाहन चोर मनोज ओझा के साथ गोंडा जेल से आए शार्प शूटर राजकुमार बाजपेयी को रखा गया है। जेल से जुड़े लोगों का कहना है कि बंदियों को खुश रखने के लिए वीआईपी बंदियों की सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ सामान्य बंदियों को राहत मिलने लगी थी।