- असुरन स्थित आईटीआई कॉलेज में कई सालों से नहीं है हास्टल की सुविधा
- हास्टल न होने से स्टूडेंट्स जेब पर पड़ रही है दोहरी मार
GORAKHPUR : असुरन स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की जेब पर दोहरी मार पड़ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि कॉलेज में कोई हास्टल नहीं है। नए-पुराने सभी स्टूडेंट्स को आसपास किराए का कमरा लेना पड़ रहा है। स्टूडेंट्स की मानें तो आईटीआई की फीस तो कम है, लेकिन हास्टल न होने से हर महीने हजारों रुपए खर्च हो जाते हैं। बाहर रूम लेना स्टूडेंट्स की मजबूरी है। कॉलेज प्रशासन की ओर से हास्टल निर्माण के लिए उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक तरफ से हरी झंडी नहीं मिली है।
1500-2000 रुपए देते हैं रूम का किराया
असुरन स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में 1988 तक हास्टल हुआ करता था। कभी बच्चे एक रुपए देकर शिक्षा अर्जित करते थे। हास्टल की फीस भी बहुत नामिनल हुआ करती थी। जैसे-जैसे समय बदलता गया। फीस में भी इजाफा होता गया। आज की डेट में 40 रुपए फीस चुका कर आईटीआई स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन बाहर रूम लेकर उन्हें हर महीने 1500-2000 बतौर किराया चुकाने पड़ रहे हैं। उन्हें रूम से कॉलेज तक आने-जाने में लगने वाला भाड़ा भी देना पड़ता है। कई ऐसे गरीब स्टूडेंट्स हैं जिन्हें मजबूरन किसी साथी का सहारा लेना पड़ रहा है।
मैने अभी हाल में एडमिशन लिया है। हास्टल न होने से फाइनेंसियल प्राब्लम होती है। मजबूरी में 1500 रुपए का रूम लेकर रह रहा हूं, अगर हास्टल होता तो मेरा रूम और ऑटो का भाड़ा बचता।
सन्नी, आईटीआई स्टूडेंट
भटहट से मैं डेली कॉलेज आता हूं, कई बार कॉलेज प्रशासन से हास्टल की मांग की गई, लेकिन हर बार आश्वासन की घुट्टी पिलाई जाती है। कोई सुनने को तैयार ही नहीं है।
अशगर अली, स्टूडेंट
मैं मैकेनिक ट्रैक्टर का स्टूडेंट हूं, लेकिन कॉलेज में हास्टल सुविधा न होने से किराए के मकान में रहना पड़ता है। आने जाने में ही हजारों रुपए खर्च हो जाते हैं।
अमरेंद्र प्रताप गोंड, स्टूडेंट
आईटीआई कॉलेज इतना पुराना है, लेकिन हास्टल सुविधा नहीं है। यह दुर्भाग्य है। स्टूडेंट्स को हास्टल न होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। समय, धन दोनों की क्षति होती है।
संतोष कुमार, स्टूडेंट