- आरआरआई सिस्टम फेल होने की वजह से मैनुअली ऑपरेट की जा रही हैं गाडि़यां

- इस वजह से 5 मिनट में पास होने वाली ट्रेंस को लग जा रहा है 45 मिनट

- टाइम मैनेज करने के लिए कैंसिल करनी पड़ रहीं गाडि़यां

- डेली करीब 10 हजार पैसेंजर्स पर पड़ रहा है ट्रेंस कैंसिल होने का इफेक्ट

GORAKHPUR : मुंबई जाने वाले पैसेंजर्स पर इन दिनों मुसीबतों का पहाड़ टूटा हुआ है। घंटो पसीना बहाने के बाद मिला मुंबई का कंफर्म टिकट, महज कागज का टुकड़ा भर रह गया है। लगातार ट्रेन कैंसिल होने से उनकी परेशानी और भी बढ़ गई है। सभी जानते हैं कि इटारसी के रूट रिले इंटरलॉकिंग में आग लगने की वजह से वहां सारा इंटरलॉकिंग सिस्टम फेल हो गया है। इस वजह से ट्रेंस कैंसिल हैं। लेकिन ट्रेंस को कैंसिल और लेट करने के पीछे वजह क्या है, ये आज आई नेक्स्ट आपको बताएगा।

एक ट्रेन क्लीयर करने काफी जद्दोजहद

इटारसी में रूट रिले इंटरलॉकिंग में आग लगने के कारण ट्रेनें लेट चल रही हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं किकिस तरह रूट रिले इंटरलॉकिंग वर्क करता है। आउटर से ट्रेन को जिस प्लेटफॉर्म पर लेना है, उसके लिए केबिन में बैठे एंप्लाई को सिर्फ उस रास्ते में आने वाले सभी इंटलॉकिंग प्वाइंट्स के बटन को दबा देना होता है, जिससे ऑटोमेटिक वह रूट इंटरलॉक हो जाता है। इसकी खास बात यह है कि इससे बाकी सभी सिग्नल ब्लॉक हो जाते हैं, जिससे ट्रेन एक्सीडेंट की कोई चांस नहीं रहता। वहीं

सीपीआरओ आलोक कुमार सिंह की मानें तो अब ट्रेन के आउटर पर पहुंचने पर प्लेटफॉर्म के बीच पड़ने वाले सभी प्वाइंट्स को मैनुअली इंटरलॉक किया जा रहा है। इसका जिम्मा सिग्नलमैन का है। अगर ट्रेन आउटर से प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर जानी है, तो उस रूट पर पड़ने वाले सभी प्वाइंट्स को सिग्नलमैन मैनुअली लॉक करता है और उसकी चाभी अपने पास रखता है। इसके बाद वह सभी प्वाइंट्स ओके हैं और लॉक हो चुके हैं, इसके लिए कागज तैयार करता है। इसके बाद जब कागज ट्रेन ड्राइवर के पास पहुंच जाता है, तो उसके बाद ट्रेन प्लेटफॉर्म के लिए आगे बढ़ती है। इस प्रॉसेस में जहां दर्जनों एंप्लाइज लगते हैं, वहीं वक्त काफी लगता है।

नॉन इंटरलॉकिंग पर चलाई जा रही हैं गाडि़यां

सिग्नल ऑपरेशन, लाइन क्लीयर और स्मूदली गाडि़यां चलाने के लिए हाईटेक व्यवस्था रूट रिले इंटरलॉकिंग का यूज किया जाता है। यह अपग्रेडेड व्यवस्था है। इससे एक ही वक्त पर दो अप और दो डाउन ट्रैक से एक साथ गाडि़यां चलाई जा सकती हैं, मगर आग लगने की वजह से सारा सिस्टम फेल हो गया है और एक गाड़ी चलाने के लिए रेलवे को सभी प्रॉसेस मैनुअली पूरी करनी पड़ रही है। इसकी वजह से लाइन क्लीयर करने में 5 मिनट की बजाए अब 45 मिनट से ज्यादा का वक्त लग जा रहा है। इसका इफेक्ट दूसरी गाडि़यों पर पड़ रहा है। मैनुअल चलने की वजह से ट्रेंस या तो लेट हो रही हैं या फिर कैंसिल करनी पड़ जा रही हैं।

ओवरलोड न हो इसलिए कैंसिलेशन

इटारसी जंक्शन इंडियन रेलवे का सबसे इंपॉर्टेट जंक्शन है। इससे इंडियन रेलवे के सभी रूट्स के लिए गाडि़यां मिलती हैं। पूरे रेलवेज से गाडि़यां जाने की वजह से उस स्टेशन पर पहले से ही काफी प्रेशर है, वहीं सिग्नल मैनुअली ऑपरेट होने की वजह से वहां गाडि़यों की पासिंग प्रॉसेस काफी स्लो हो गई है। एक गाड़ी पास करने में 45 मिनट का वक्त लग जा रहा है। हर रूट से गाडि़यां आने की वजह से सभी को दूर आउटर पर रोकना पड़ रहा है। इससे गाडि़यों की लंबी लाइन लग रही है। हाइवे जाम होने की स्थिति में जैसे रोड पर गाडि़यों की लंबी लाइन लग जाती है, वैसा ही कुछ इन दिनों रेलवे ट्रैक पर हो रहा है। यही वजह है कि इंडियन रेलवे के डिफरेंट जोन से जाने वाली गाडि़यों को डेली न चलाकर अल्टरनेट डे पर चलाया जा रहा है। जिससे ट्रेंस का संचलन जारी रहे और सभी पैसेंजर्स को एक साथ प्रॉब्लम न हो।

डेली 2 ट्रेंस हो रही हैं कैंसिल

रूट डिस्टर्ब होने की वजह से रेलवे को ऑन एन एवरेज 2 ट्रेंस कैंसिल करनी पड़ रही है। 20 जून को 11038 गोरखपुर-पुणे एक्सप्रेस और 02597 गोरखपुर-छत्रपति शिवाजी टर्मिनस कैंसिल थी, वहीं 21 जून को जहां 12511 राप्ती सागर एक्सप्रेस और 11016 कुशीनगर कैंसिल कर दी गई। 22 को 15018 दादर और 12541 गोरखपुर-एलटीटी एक्सप्रेस कैंसिल रही। वहीं 23 जून को 11016 कुशीनगर एक्सप्रेस, 15018 दादर एक्सप्रेस और 12597 जनसाधारण एक्सप्रेस कैंसिल रहेगी। इस तरह डेली करीब 10 हजार से ज्यादा पैसेंजर्स पर इफेक्ट पड़ रहा है, वहीं ट्यूज्डे को तीन अहम ट्रेंस कैंसिल होने से करीब 15 हजार से ज्यादा पैसेंजर्स पर इसका इफेक्ट पड़ना तय है।

करीब हजारों पैसेंजर्स पर पड़ रहा है इफेक्ट

एडवांस रिजर्वेशन कराने वाले हजारों पैसेंजर्स को डेली टिकट कैंसिल करवाना पड़ रहा है। संडे को गोरखपुर से ओरिजिनेट होने वाली 12541 गोरखपुर-एलटीटी एक्सप्रेस निरस्त रही। रेलवे के आंकड़ों पर नजर डालें तो इसमें 8 स्लीपर, 2 एसी3, 1 एसी2, 3 जनरल और 2 एसएलआर कोच लगाए जाते हैं। इसमें रेलवे की तरफ से नॉर्मली 1472 पैसेंजर्स के बैठने की व्यवस्था होती है। मगर इन दिनों जो ट्रेंस का हाल है, उसके हिसाब से हर ट्रेंस पर करीब 4 गुना लोड है। इसके हिसाब से 5 हजार से ज्यादा पैसेंजर्स सफर कर रहे हैं। एक ट्रेन कैंसिल होने पर 5 हजार पैसेंजर्स पर इफेक्ट पड़ रहा है।

कुशीनगर एक्सप्रेस कैंसिल होने से काफी दिक्कत हो गई है। मेडिकल कॉलेज में एडमिशन कराना है, इसलिए जनरल टिकट लेकर जा रहे हैं।

प्रतीक्षा

तीन महीने पहले रिजर्वेशन कराया गया था। टिकट भी वेटिंग मिला था। बड़ी मुश्किल से कंफर्म हुआ था, लेकिन ट्रेन के कैंसिल होने से सब चौपट हो गया।

निशा

मुंबई जाना है। कुशीनगर एक्सप्रेस में रिजर्वेशन तीन महीने पहले ही कराया था, लेकिन कैंसिल होने से दिक्कत बढ़ गई है। मुंबई में मेरा बिजनेस चलता है। हर हाल में मुझे 25 तक पहुंचना है इसलिए जनरल टिकट लेकर एलटीटी से जाउंगा।

राजेंद्र

कुशीनगर कैंसिल हो जाने से गोरखपुर-एलटीटी सुपरफास्ट पकड़ूंगा। दो महीने पहले रिजर्वेशन कराया था, लेकिन सारा प्लान चौपट हो गया। शादी में घर आया था इसलिए जनरल टिकट लेकर जा रहा हूं।

देवेंद्र