गोरखपुर (ब्यूरो)। कुरआन-ए-पाक, पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, सहाबा व अहले बैत की अजमत पर मुसलमान हर तरह से कुर्बान हैं। अदना सी गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुसलमानों को दीन-ए-इस्लाम के बताए रास्ते पर चलना चाहिए। बुराई को छोडऩा चाहिए। अच्छाई को अपनाना चाहिए। अपने बच्चों को दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी दिलानी चाहिए।
बच्चों के हुए मुकाबले
जिसमें सीमा फातिमा, निदा फातिमा, नौशीन फातिमा, जिक्रा फातिमा, आयशा बानो, मरियम फातिमा, सामिया खानम, दरख्शां सिद्दीकी, शबनम बानो, रूमी परवीन, निदा परवीन, सजल फातिमा आदि बच्चियों ने नात, तकरीर, किरात, दीनी मालूमात व सवालात जवाबात के मुकाबले के जरिए लोगों का दिल जीत लिया। इनाम के साथ दुआ भी मिली। कई बच्चियों ने बारगाह-ए-रिसालत में नात-ए-पाक का नजराना शानदार अंदाज में पेश किया। कुरआन-ए-पाक की तिलावत मरियम फातिमा ने की। संचालन आलिमा नाजिश फातिमा शम्सी ने किया।
इल्म की अहमियत बताई
अध्यक्षता करते हुए आलिमा महजबीन खां सुल्तानी ने कहा कि पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इल्म की खास अहमियत व फजीलत को बार-बार जिक्र फरमाया है। अल्लाह व पैगंबर-ए-आजम ने तमाम इंसानों को इल्म के जेवर से आरास्ता होने का पैगाम दिया। असल इल्म वह है जिसके जरिए इंसान अल्लाह व पैगंबर-ए-आजम को पहचाने। दीन का इल्म एक ऐसा समंदर है जिसका कोई किनारा नहीं। इंसान को हर वक्त इल्म हासिल करने की कोशिश करते रहना चाहिए। इल्म की अहमियत के साथ अल्लाह ने उलमा-ए-किराम के मुताल्लिक यह ऐलान फरमा दिया कि 'अल्लाह से उसके बंदों में से वही लोग डरते हैं जो इल्म रखते हैं। दीन के इल्म से ही दोनों जहां में बुलंद व आला मकाम मिलेगा।
इज्जत के साथ जीने का हक दिलाया
दीन-ए-इस्लाम ने औरतों को काफी बुलंद मर्तबा अता किया है। बच्चियों को जिंदा दफ्न करने की पाश्विक प्रथा का खात्मा कर और बेवा से निकाह कर पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने औरतों को इज्जत के साथ जीने का हक दिलाया साथ ही बाप की जायदाद में हिस्सा भी दिलाने का काम किया। वहीं पर्दा वास्तव में एक सुरक्षा कवच है, जो गैर मर्दो की बुरी नजर से औरतों की हिफाजत करता है। दिल में खौफे खुदा पैदा करें। पाबंदी के साथ नमाज पढ़ें। शरीअत पर चलें। बच्चों को दीनी तालीम जरूर दिलवाएं। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर देश की तरक्की एवं खुशहाली के साथ ही पूरी दुनिया में अमन कायम रहने की सामूहिक दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। बज्म-ए-ख्वातीन में रौशन तारा, हसीना खातून सहित बड़ी तादाद में औरतों ने शिरकत की।