- आठ माह बाद भी नहीं हुई कोई बड़ी कार्रवाई

- 17 ठेकेदारों का नाम आया था फर्जी एफडीआर मामले में

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : सरकारी जांच मतलब सालों चलने वाली प्रक्रिया। नगर निगम में एक साल पहले फर्जी एफडीआर का मामला सामने आया था, लेकिन जांच अभी तक कमेटी के पास अटकी पड़ी है। कार्रवाई के नाम पर केवल ठेकेदारों को ब्लैकलिस्टेड किया गया है। मामला सामने आने के बाद 49 टेंडर निरस्त कर दिए गए। टेंडर निरस्त होने के सात माह बाद तक काम हुए ही नहीं। काम न होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। पार्षदों के कई बार कंप्लेन करने पर सात माह बाद टेंडर निकला, उसके बाद काम शुरू हुआ।

टेंडर में लगे थे फर्जी एफडीआर

सिटी में 49 कामों के लिए 16 जुलाई 2013 को निविदा डाली गई और 17 जुलाई को निविदा खोली गई थी। इसके बाद वार्ड नं 53 जनार्दन चौधरी ने कंप्लेन की थी कि उनके वार्ड के काम का जो टेंडर डाला गया है, उसमें फर्जी एफडीआर लगाया गया है जिसकी जांच की जाए। उसके बाद नगर आयुक्त राजेश कुमार त्यागी ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की। रिपोर्ट आने के बाद नगर निगम के तत्कालीन चीफ इंजीनियर जितेंद्र केन 26 सितंबर 2013 को कोतवाली थाने में तहरीर दे दी थी। इसके बाद नगर निगम ने इन सभी ठेकेदारों को ब्लैकलिस्टेड कर दिया, लेकिन अभी तक किसी भी ठेकेदार पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई है।

इनका नाम आया था सामने

- बृजेंद्र कुमार राय

- मे। जेके एसोसिएशन

- मे। डीआर इंजीनियर्स

- शैलेंद्र सोनकर

- मे। सृष्ठि ई। प्रा।

- मे। सुविधा इंटरप्राइजेज

- अशोक कुमार श्रीवास्तव

- पराग

- लाल जी प्रसाद

- प्रमोद कुमार दूबे

- मे। शिवम इंटरप्राइजेज

- मे। कृष्णा कुमार उपाध्याय

- श्रीमती बिंदु सिंह

- मे। जीएस कंस्ट्रक्शन

- नागेंद्र प्रताप सिंह

- राणा प्रताप यादव

जांच अफसर ने नगर निगम से लिखित रूप से कागज मांगे थे, जो उन्हें दे दिए गए हैं। जांच अफसर इन अभिलेखों की जांच करने के बाद कार्रवाई करेंगे।

राजेश कुमार त्यागी, नगर आयुक्त

नगर निगम में कार्रवाई के नाम पर कभी भी कुछ होता नहीं है। एक साल पहले जब हमने इस मामले को उठाया तब कई लोगों की धमकी मिली थी। कई बार पत्र लिखने के बाद भी अभी तक ठेकेदारों पर कोई रिपोर्ट नहीं आ रही है।

जनार्दन चौधरी, पार्षद वार्ड नं 53, विकास नगर