- लोकल सही नहीं 3 मई से इंटर स्टेट पोर्टिग की तैयारी में ट्राई
- लोकल लेवल पर ही पोर्टिग में मोबाइल कंपनीज कर रही हैं मनमानी
- इंटरस्टेट में सर्किल चेंज होने से बढ़ जाएगी प्रॉब्लम
GORAKHPUR : देश में अब एक ही मोबाइल नंबर की चाह रखने वाले मोबाइल यूजर्स की मोस्ट अवेटेड इंटर स्टेट पोर्टबिल्टी फ् मई से स्टार्ट होने जा रही है। टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) की इस स्कीम से कंज्यूमर पूरे देश में एक ही नंबर रख सकेगा। कहने को ट्राई ने यह आदेश तो जारी कर दिया है और मोबाइल कंपनीज को फ् मई से पहले सारी तैयारियां करने के निर्देश भी दे दिए हैं। लेकिन यह कैसे स्ट्रिक्ली फॉलो होगा, अब यह एक बड़ा सवाल है, क्योंकि सर्किल के अंदर ही एमएनपी कराने वाले यूजर्स को चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। अब जब इंटर स्टेट एमएनपी स्टार्ट हो जाएगी, तो इससे कंज्यूमर्स की परेशानी बढ़नी तय है।
रिटेन रखने के हर पॉसिबल हथकंडे
लोकल लेवल पर अभी ऑपरेटर स्विच करने में मोबाइल यूजर्स को बड़े पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। वहीं मोबाइल कंपनीज ने तो मानों अपने कस्टमर्स को न छोड़ने की कसम खा ली है। वह अपने कस्टमर्स को रिटेन रखने के लिए टैरिफ्स, स्कीम्स के लालच से लेकर वह हर पॉसिबल हथकंडे अपना रही है, जिसके नतीजे में मोबाइल यूजर्स को सिर्फ परेशान होना पड़ रहा है। ऐसे में अगर इंट्रासर्किल पोर्टिग करानी होगी, तो लोकल लेवल पर उन्हें जो प्रॉब्लम झेलनी पड़ रही है सो तो है ही, वहीं उन्हें दूसरे सर्किल में भी किस तरह की दिक्कतें फेस करनी पड़ेगी, यह एक बड़ा सवाल है।
कई बार एक्स्पायर हो जा रहा है कोड
एमएनपी के लिए जरूरी यूनीक पोर्टिग कोड (यूपीसी) सिर्फ क्भ् दिनों के लिए ही वैलिड रहता है। मोबाइल कंपनीज इन क्भ् दिनों के वक्त में भी अपना वर्क पूरा नहीं कर पा रही हैं, नतीजा मोबाइल कंपनीज की गलती का खमियाजा यूजर्स को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में अगर फॉर्म में थोड़ी प्रॉब्लम हो गई या फिर थोड़ी सी ढिलाई बरती गई, तो ऐसे में यूजर्स को काफी दिक्कत फेस करनी पड़ेगी। वहीं अगर किसी को दिल्ली में अपना नंबर पोर्ट कराना हुआ तो ऐसी कंडीशन में वह फॉर्म तो दिल्ली में भरेगा और सिम भी उसे वहीं से मिलेगा, लेकिन अब इसके लिए उसे लोकल लेवल पर भी पैरवी करनी पड़ेगी, जिससे कि उसका यूपीसी एक्सपायर न हो।
मैक्सिमम 7 दिन का लगता है वक्त
मोबाइल नंबर को पोर्ट कराने में ट्राई के रूल के अकॉर्डिग एक वीक का वक्त लगता है। इसमें पहले तीन दिन सर्विस प्रोवाइडर अपनी फॉर्मेल्टी में लगाती है बाकी का वक्त नए सर्विस प्रोवाइडर को वेरिफिकेशन और एक्टिवेशन में लगता है। इसके अलावा बाकी का वक्त इसलिए रखा जाता है ताकि अगर किन्हीं रीजन्स से एमएनपी में कोई पेंच फंसे तो भी टाइमली एमएनपी कर दी जाए और इससे कस्टमर्स को कोई प्रॉब्लम न हो।
पूरे देश में मोबाइल नंबर पोर्टिग की फैसिलिटी ट्राई का अच्छा कदम है, लेकिन जब लोकल लेवल पर कंपनीज इतनी मनमानी कर रही हैं, तो नेशनल लेवल पर भी प्रॉब्लम होनी तय है। इसके लिए ट्राई को सख्त कदम उठाने पड़ेंगे।
शम्स तनवीर
मेरे मोबाइल नंबर की पोर्टिग में मुझे एक मंथ दौड़ लगानी पड़ी थी। अब तो पूरे इंडिया का सवाल है, ऐसे में ट्राई किस तरह से मोबाइल कंपनीज पर लगाम लगाएगी, यह एक बड़ा सवाल है।
मोहम्मद इमरान