- दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव बहाली की सूचना पर बढ़ी गहमा-गहमी

- छात्रसंघ चुनाव अधिकारी प्रो। जितेंद्र तिवारी नही,ं बल्कि प्रो। संजय बैजल होंगे चुनाव अधिकारी

- छात्रसंघ भवन के मरम्मत के लिए वीसी ने इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को दिया आदेश

GORAKHPUR: डीडीयूजीयू में दस साल बाद छात्रसंघ चुनाव कराने के एलान के साथ ही कैंपस में सरगर्मियां तेज हो गई है। नए स्टूडेंट्स को लुभाने का प्रयास तेज कर दिया गया है। शुक्रवार को दिनभर छात्र नेता इधर-उधर दौड़ते रहे। वहीं, वीसी द्वारा लॉ डिपार्टमेंट के डीन प्रो। जितेंद्र तिवारी को चुनाव अधिकारी बनाए जाने के बाद प्रो। जितेंद्र तिवारी ने वीसी से चुनाव अधिकारी बनने से साफ इंकार कर दिया।

कैंपस गुलजार, हॉस्टल में भी बहार

डीडीयूजीयू वीसी प्रो। अशोक कुमार ने जैसे ही लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक, छात्रसंघ चुनाव कराने की घोषणा की। उसके बाद से यूनिवर्सिटी कैंपस पूरी तरह से गुलजार हो गया। आलम यह है कि पिछले कई महीने से छात्र संघ चुनाव कराए जाने के लिए संघर्ष कर रहे छात्र नेताओं के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई है। कोई छात्र नेता गुरु जी का आशीर्वाद ले रहा है तो कोई क्लास छूटने तक छात्र-छात्राओं का इंतजार कर रहा है।

गूगल पर खूब सर्च हुए लिंगदोह

गुरुवार को जैसे ही छात्रसंघ चुनाव कराने की घोषणा हुई। शुक्रवार को चुनाव लड़ने वाले छात्र नेता गूगल पर लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को डाउनलोड कर उसे पढ़ने में लग गए। सब कमेटी की सिफारिशों का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं।

दावेदार जुटा रहे अपने व विरोधियों के रिकार्ड

यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग कर रहे आपराधिक छवि के छात्र नेताओं ने तो रिकार्ड खंगालना शुरू कर दिया है। जिनके ऊपर मारपीट, चोरी और छिनैती का मामला रजिस्टर्ड है। वे थाने और कचहरी का चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं।

नए के साथ पुराने नेताओं में भी जोश

पिछले दस साल से छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगने के चलते पूरी तरह से छात्र छात्र राजनीति से दूर जा चुके थे, लेकिन नए नेताओं ने दावं आजमाने शुरू किए तो पुराने छात्र नेताओं में भी जोश चढ़ गया है। आलम यह है कि पुराने छात्र नेता नए छात्र नेताओं को चुनाव लड़ने के टिप्स दे रहे हैं। वहीं यूनिवर्सिटी के तमाम टीचर्स ने भी छात्र राजनीति में दखलअंदाजी शुरू कर दी है।

प्रो। संजय बैजल होंगे चुनाव अधिकारी

छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए वीसी द्वारा नामित किए गए प्रो। जितेंद्र तिवारी ने चुनाव अधिकारी बनने से साफ इनकार कर दिया। प्रो। तिवारी ने वीसी से असमर्थता जताते हुए कहा कि उनके ऊपर पहले से ही प्रशासनिक जिम्मेदारियां हैं, इसके अलावा वे अस्वस्थ हैं। जिसके कारण वह चुनाव अधिकारी का कार्य नहीं कर सकते हैं। इसके बाद वीसी ऑफिस में चुनाव अधिकारी बनाए जाने के लिए तमाम प्रोफेसर्स के बीच मीटिंग हुई। मीटिंग में पांच प्रोफेसर्स ने चुनाव अधिकारी बनने से साफ इनकार कर दिया, लेकिन बाद में काफी माथा पच्ची के बाद वीसी ने वाणिज्य विभाग के प्रो। संजय बैजल से वार्तालाप कर उन्हें छात्रसंघ चुनाव का अधिकारी बनाया है। साथ ही साथ वीसी ने इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे छात्रसंघ भवन की मरम्मत और साफ-सफाई कराएं।

2006 से बंद था छात्रसंघ चुनाव

डीडीयूजीयू कैंपस में कुल 16,000 से ऊपर स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं। छात्र नेताओं की मानें तो सत्र 2006-07 छात्रसंघ चुनाव में लास्ट टाइम छात्रसंघ चुनाव हुआ था। तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष श्रीकांत मिश्रा और महामंत्री नीरज शाही रहे। इनके बाद से छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा रहा।

क्या था छात्रसंघ चुनाव में पेंच

तत्कालीन शोध छात्र प्रदीप कुमार शुक्ला ने 2012 में हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी। जिस पर दिसंबर 2012 से ही कोर्ट ने स्थगनादेश दिया था। बदली परिस्थितियों में चार साल बाद याचिकाकर्ता ने पिछले दिनों हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अपनी याचिका वापस लेने का आवेदन किया था, जिसे हाईकोर्ट ने 31 अगस्त को स्वीकार कर लिया। याचिका वापस लिए जाने के बाद छात्रसंघ बहाली का रास्ता साफ हो गया और महज 24 घंटे के भीतर वीसी ने छात्रसंघ चुनाव का एलान कर दिया।