गोरखपुर (ब्यूरो)। इनमें जहां बुजुर्गो व युवाओं के केएफटी (किडनी फंक्शन टेस्ट) और एलएफटी (लिवर फंक्शन टेस्ट) कराए जाते हैैं। इन जांच में पता चला कि एक हफ्ते में आए मरीजों में जो 30-50 वर्ष तक के युवा थे। किसी का लिवर फैटी पाया गया तो कुछ में किडनी का फंक्शन ठीक ढंग से नहीं होने के कारण उन्हें यूरिन में प्रॉब्लम पाई गई। डॉक्टर्स ने इसके लिए मेडिसिन के जरिए ठीक होने की बात कही।
गैस या कब्ज समझकर करते हैैं इलाज
जिला अस्पताल के ओपीडी में रोजाना 1200-1600 तक मरीज दिखाने के लिए आते हैैं, सबसे ज्यादा मरीज फिजिशियन को दिखाने के लिए पहुंचते हैं। इनमें जो पेट में पर्द की पीड़ा बताते हैैं, उन्हें डॉक्टर द्वारा जांच के लिए पैथोलाजी भेजा जाता है। सीनियर फिजिशियन डॉ राजेश कुमार बताते हैैं कि उनके पास आने वाले मरीजों में हर उम्र के मरीज आते हैैं, लेकिन जो युवा वर्ग है, उनके पेट में दर्द होने पर प्रथम दृष्टया यह देखा जाता है कि उन्हें गैस या फिर कब्ज की प्राब्लम होगी, लेकिन जब केएफटी या फिर एलएफटी कराया जाता है, तो चीजें कुछ और ही निकलकर सामने आ रही हैं। ऐसे में दवा फिर लीवर और किडनी के ठीक होने की चलने लगती है।
लाइफ स्टाइल से बढ़ता है यूरिया
वहीं जिला अस्पताल के पैथोलाजिस्ट डॉ। जेपी सिंह ने बताया कि जो उनके पास जांच आती हैैं, उनमें किडनी की जांच में ब्लड यूरिया नाइट्रोजन, क्रिएटनाइन, सीरम, यूरिक एसिड, कैल्शियम, फासफोरस, प्रोटीन आदि जांचे की जाती है। बदलते लाइफ स्टाइल के कारण ब्लड यूरिया बढ़ा हुआ मिलता है, कई बार सीरम की मात्रा भी बढ़ी हुई होती है। वहीं लीवर की जांच में बिलुरुबीन, एलनाइन एमिनो ट्रांसफरेस, एलबुमिन, सीरम, ब्लड ग्लूकोज रैैंडम आदि के जांच शामिल रहती हैैं। इनकी जांच होने में देखा गया कि कुछ में यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो कुछ प्रोटीन बढ़ गया है। एक हफ्ते में युवाओं की संख्या ज्यादा है। इसलिए जो भी रिपोर्ट आती हैैं, उसका सेम डेट या फिर अगले दिन मरीज को दे दिया जाता है, ताकि वह डॉक्टर को समय से दिखा सके।
बदल गई है लाइफ स्टाइल
बदलते लाइफ स्टाइल के दौर में जहां खानपान और सोने व उठने का टाइम चेंज हो गया है। वहीं भागदौड़ भरी जिदंगी में हर कोई बीमारी से जूझ रहा है। लेकिन जब बीमारी असहनीय हो जाए तो फिर अस्पताल पहुंचाना भी लाजिमी हो जाता है। ऐसे ही असहनीय दर्द से पीडि़त मरीज जब जिला अस्पताल के ओपीडी में पहुंच रहे हैैं तो उन्हें होने वाली तमाम बीमारियों के बारे में पैथोलाजिकल जांच रिपोर्ट खुलासा कर रहे हैैं।
ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही हैैं, लेकिन जो मरीज देखे जाते हैैं, उनमें यह भी देखा जाता है कि किस बीमारी के मरीज ज्यादा आ रहे हैैं। यह पैथोलॉजिकल जांच से ही पता चलता है। इसमें देखा गया कि युवाओं के किडनी और लीवर संबंधी रोग ज्यादा पाए गए।
- डॉ। राजेंद्र ठाकुर, एसआईसी, जिला अस्पताल