गोरखपुर (ब्यूरो)। दवा के थोक मार्केट में भी दो गुना आई ड्रॉप का कारोबार पहुंच गया है। जहां एक हफ्ते पहले प्रतिदिन 2.5 लाख आई ड्रॉप तक की बिक्री हो रही थी। वहीं, अब प्रतिदिन दोगुना यानी 5 लाख तक सेलिंग पहुंच गई है। इस प्रकार सात दिनों में 35 लाख का कारोबार हो गया है। दवा कारोबारियों की मानें तो यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में आई ड्राप का कारोबार 10 लाख डेली तक पहुंच जाएगा। हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से आई फ्लू (कंजक्टिवाइटिस) को लेकर एडवाइजरी जारी कर दी गई है।

देनी पड़ती है कई एंटीबॉयोटिक

बता दें, मौसम में बदलाव के कारण इन दिनों वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण आई फ्लू (कंजंक्टिवाइटिस) का प्रकोप बढ़ा है। आई स्पेशलिस्ट डॉ। वाई सिंह ने बताया कि अगर कोई आंखें लाल हो, उनमें दर्द, जलन, खुजली जैसे लक्षण नहीं है, तो सिप्रोफ्लाक्सासिन कारगर है। आंखों में दर्द, जलन, सूजन, खून आना, पानी गिरना, पलकों पर सूजन व खुजली होना, पलकों का चिपकना जैसे लक्षण हैैं तो एक से अधिक एंटीबायोटिक देनी पड़ती है। वहीं, आप्टोमैट्रिस्ट डॉ। पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि आई फ्लू बढऩे से सन ग्लासेज और ब्लैक चश्मे की डिमांड बढ़ गई है। कोई भी आई फ्लू का पेशेंट आता है तो सीधे उसे नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास भेजा जाता है।

मार्केट में इस ब्रांड नेम की आई ड्रॉप की है ज्यादा डिमांड

- मोसी

- मोसी डी

- सिप्लॉक्स

- सिप्लॉक्स डी

- पाइरिमॉन डीएफ

- महाफ्लॉक्स डी

यह है साल्ट

- माक्सीफ्लॉक्सिन एंड लोटेप्रेडनॉल

- माक्सीफ्लॉक्सिन एंड डेक्सामेथासोन

- माक्सीफ्लॉक्सिन

क्या है कंजंक्टिवाइटिस

- कंजंक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू आंखों को प्रभावित करने वाला एक जीवाणु अथवा विषाणु जनित संक्रमण है, जिसे रेड आई अथवा पिंक आई के नाम से भी जाना जाता है। कंजंक्टिवाइटिस 3-4 दिन तक प्रभावित कर सकता है।

क्या है कंजंक्टिवाइटिस के सिम्पटम्स

- आंखों के सफेद भाग का गुलाबी अथवा लाल होना

- आंखों मेें दर्द के साथ मवाद आना

- रुक-रुक कर सिरदर्द होना

- आंखों में खुजली

- आंखों की पलकों अथवा भौहों के उपर पपड़ी का बनना यानी आंखों की पलकों का चिपकना

- पलकों के किनारों में सूजन

- बच्चों में आंखों से संबंधित लक्षणों के साथ बुखार का लक्षण भी प्रकट हो सकता है।

क्या करें।

- हाथों को बार-बार साबुन और पानी से साफ करें।

- अपनी आंखों तथा चेहरे को साफ करने के लिए स्वच्छ टिश्यू पेपर अथवा तौलिए का प्रयोग करें।

- संक्रमित आंख को छूने के बाद हाथों को अच्छी तरीके से साफ करना सुनिश्चित करें।

- आंखों को साफ करने के लिए प्रयोग की गई सामग्री अथवा रुई को प्रयोग करने के बाद उचित प्रकार से निस्तारित करें।

- नियमित रूप से प्रयोग किए जाने वाले चश्मे को भली भांति साफ करें।

- संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सन ग्लासेज का इस्तेमाल करें।

- पर्याप्त मात्रा में तरल पदाथों का प्रयोग करें।

- यदि आंखों में लालिमा है या आंखों से पास किसी प्रकार का डिस्चार्ज हो रहा है तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें।

- पर्याप्त अवधि तक विश्राम करें।

क्या न करें।

- आंखों को बार-बार ना छूएं।

- सूरज की सीधी धूप और धूल-मिट्टी आदि से दूर रहें।

- घरेलू नुस्खों अथवा अप्रशिक्षित डाक्टर की सलाह का प्रयोग न करें।

- संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए जा रहे आई ड्राप, टिश्यू पेपर, आंखों के मेकअप की सामग्री, तौलिए के कवर का प्रयोग ना करें।

- स्वीमिंग पूल, तालाब आदि का प्रयोग ना करें।

- आंखों की देखभाल में प्रयोग होने वाली किसी व्यक्तिगत सामग्री को अन्य व्यक्तियों के साथ साझा न करें।

- यदि आप कॉन्टैक्ट लेंसेज का प्रयोग करते हैैं तो संक्रमण की अवधि तक इनका प्रयोग रोक दें और डाक्टर की सलाह के बिना किसी प्रकार की आई-ड्राप्स का प्रयोग न करें।

कंजंक्टिवाइटिस का ट्रीटमेंट

- आंखों को साफ करने के लिए आई वाइप्स का प्रयोग करें।

- आंखों को बार-बार न छूएं। आंखों को रगड़े नहीं

- नजदीकी सरकारी चिकित्सालय में चिकित्सक की सलाह के अनुसार उपचार करें।

- चिकित्सक द्वार बताई गई पूर्ण अवधि के लिए आई ड्राप्स तथा औषधि का प्रयोग करें।

- यथासंभव स्वयं को आइसोलेशन में रखें और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।

- दृष्टि के धुंधला होने की स्थिति में तत्काल नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।

आई ड्राप की डिमांड बढ़ गई है। प्रतिदिन 5 लाख के आई ड्राप सेल हो रहे हैैं। भालोटिया दवा मार्केट में आई ड्राप के सिर्फ 20 स्टाकिस्ट हैैं। जबकि 6 दुकानदार सिर्फ आई ड्रॉप का ही कारोबार करते हैैं। अभी स्टॉक है, लेकिन डिमांड बढ़ गई है। आने वाले दिनों में इसी रफ्तार के साथ बिक्री होती गई तो स्टॉक की शार्टेज हो सकती है।

योगेंद्र नाथ दुबे, अध्यक्ष, दवा विक्रेता समिति

तेजी के साथ आई फ्लू स्प्रेड कर रहा है। आई ड्राप की डिमांड बढी है। डिमांड को देखते हुए थोक दवा मंडी में लगातार मानिटरिंग की जा रही है। स्टॉक की कमी नहीं होने दी जाएगी। जितने भी स्टाकिस्ट हैैं, सभी के संपर्क में बने हुए हैैं।

जय सिंह, ड्रग इंस्पेक्टर