- सब्जियों के भाव बढ़ने से आम आदमी परेशान
खेत से बिकी सब्जियां गोरखपुर की सब्जी मंडियों में आते आते हो जाती हैं तीन दो से ढाई गुनी महंगी
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र:
मंहगाई ने आम आदमी को इस कदर परेशान कर रखा है कि वह दाल या सब्जी में से एक खाने को विवश है। सब्जी मंडियों में किसी प्रकार का अंकुश न होने के कारण बिचौलिए और फुटकर विक्रेता मनमाना रेट वूसल कर रहे हैं। महंगाई की वजह से सब्जी विक्रेता पब्लिक को किलो की जगह पाव का रेट बता रहे हैं। सब्जी विक्रेतओं को भी लगता है कि अगर ग्राहक को किलो का भाव बता दिया जाए तो वे सब्जी लेने का साहस नहीं कर पाएंगे। किसानों के खेतों में 12 रुपये किलो बिकने वाला परवल सब्जी मंडी में आते आते 40 रुपये किलो हो जाता है। बीच में बिचौलिए जबरदस्त मुनाफाखोरी कर सब्जी के के भाव को तीन गुने से अधिक बढ़ा देते हैं।
- सब्जी में महंगाई की लगी आग
फल सब्जी विक्रेता एसोसिएशन के अध्यक्ष अवध गुप्ता ने बताया कि किसान हरी सब्जियों को मंडी में लाता है यहां सब्जी पर बोली लगती है। बोली के हिसाब से भाव तय होता है। माल खराब हो या अच्छा आढ़ती को लेना पड़ता है। वह मंडी में आढ़ती को सारा सामान एक साथ बेच कर जाता है उसमें से वह सबसे अच्छे क्वालीटी का माल निकाल कर अलग कर लेता हे और इसकी कीमत अधिक वसूलता है। बाकी अन्य सब्जियों को वह उससे कम दाम पर बेचता है।
सब्जियों के थोक दाम प्रति किलो
आलू 7-9 रु।
प्याज 15-18 रु।
टमाटर 12-18 रु।
तरोई 10-12 रु।
करेला 12-14 रु।
लौकी 8-10 रु।
परवल 10-12 रु।
पालक 10-12 रु।
भिंडी 10-15 रु।
शिमला मिर्च 30-35 रु।
कटहल 25-30 रु।
बैगन 10-12 रु।
हरा मिर्च 15-18 रु।
नेनूवा 10-12 रु।
सब्जियों के फुटकर दाम प्रति किलो
आलू 12-14 रु।
प्याज 28-30
टमाटर 25-30
तरोई 20-25
करेला 28-30
लौकी 18-20
परवल 35-40
पालक 35-40
भिंडी 20-25
शिमला मिर्च 75-80
कटहल 35-40
बैगन 35-40
हरा मिर्च 35-40
नेनूवा 15-20
बढ़ गए प्याज के भाव
मंडी में अचानक प्याज की कीमत बढ़ने की वजह से फुटकर में भी प्याज के भाव आसमान छूने लगे है। सबसे अधिक प्याज नासिक, महाराष्ट्र, राजस्थान, से प्याज आती है लेकिन बेमौसम वारिश की वजह से प्याज की पैदावार कम हुई है। जिससे दाम में तेजी आ रही है।
देना पड़ता है मंडी शुल्क
थोक कारोबारियों को कारोबार का ढाई प्रतिशत शुल्क मंडी समिति को देना होता है। जिसमें दो प्रतिशत समिति और आधा प्रतिशत विकास के नाम पर दिया जाता है लेकिन कारोबारी इस टैक्स को भी कारोबार में जोड़ देते हैं।
मंडी में चलती है वसूली
फल सब्जी विक्रेता एसोसिएशन के महामंत्री फिरोज अहमद राइन ने बताया कि मंडी में दबंग किस्म के लोग और पुलिस वाले शॉप ओनर्स से अच्छी खासी रकम वसूलते हैं। जिससे उनका नुकसान होता है। वह माल में ही इस रकम को जोड़ कर नुकसान की भरपाई करते हैं।
सब्जियों में जुड़ जाते है पॉलिथिन के दाम
फुटकर कारोबारी सब्जी में ही पॉलिथिन का रेट जोड़ देते हैं। यदि उपभोक्ता पॉलिथिन का उपयोग करना बंद कर दे तो काफी हद तक एक से दो रुपये सब्जी के भाव में कमी आ सकती है क्योंकि व्यापारी इसे भी अपने रेट में जोड़ लेते हैं।
सब्जी में ही जुड़ता है भाड़ा
पूर्वाचल की सबसे बड़ी महेवा मंडी से अन्य जिले और लोकल स्तर पर सब्जी का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जाता है। इस मंडी में किसान स्वयं अपने आढ़ती को टोकरी के हिसाब से भाव तय कर माल बेच देते हैं। साथ ही ट्रक का भाड़ा काटने के बाद कमिशन देकर चलते बनते हैं। शॉप ओनर्स सब्जियां बेचने के लिए अपने शॉप पर दो से चार आदमी भी रखे है जो माल को बेचते हैं। उनका वेतन और खर्च काट कर ही कारोबारी अपने कारोबार को करते थे। थोक कारोबारी आमदनी के हिसाब से फुटकर कारोबारी को माल बेच देता है। कभी-कभी तो नो लाश और नो प्राफिट पर यह धंधा करना पड़ता है।
गोरखपुर के मार्केट
महेवा मंडी थोक कारोबार स्थल
शास्त्री चौक
दीवानी कचहरी
अलीनगर
गोरखनाथ
खजांची
धर्मशाला
घंटाघर
पैडलेगंज
कूड़ाघाट
असुरन चौराहा
यहां से मंगाई जाती है सब्जियां
आलू- बाराबंकी, फिरोजाबाद, आगरा और आस-पास के जिले से आता है। वहीं प्याज मध्य प्रदेश, नासिक, गाजीपुर आदि से आता है। टमाटर अमरोहा, परवल गजीपुर, बलिया, हरी मिर्च बिहार बारबंकी, शिमला मिर्च भोपाल से मंगाई जाती है। इसके अलावा अन्य हरी सब्जियां, गोरखपुर के आस-पास के जिले से महेवा मंडी में आती हैं।
वर्जन
बाहर से मंगाई गई हरी सब्जियां अधिक खराब हो जाती है। ऊपर से ट्रांसपोटेशन चार्ज से भाव बढ़ जाता है। एक कैरेट माल में अधिकतर खराब माल निकल जाता है। इसकी वजह से फुटकर कारोबारी नुकसान की भरपाई करने के लिए दाम को बढ़ाकर बेचते हैं। गर्मी के नाते और भी दिक्कत होती है। हरी सब्जियां ज्यादातर सड़ जाती है। जिससे काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
अवध गुप्ता, फल-सब्जी विक्रेता एसोसिएशन गोरखपुर