- शहर में लगे रूट डायरेक्शन पर ही लगा दी होर्डिग
- बाहर से आने वाले लोगों को शहर में हो रही है दिक्कत
GORAKHPUR: यदि कोई शहर से परिचित नहीं है और आपके यहां मेहमान बनकर आता है तो वह राह भटक सकता है। शहर की हालत ऐसी है कि या तो आपको खुद अपने मेहमान को शहर घुमाना होगा या फिर उन्हें कदम-कदम पर लोगों से पूछना होगा। यूं तों नगर निगम की ओर से शहर में 75 जगहों पर रोड क्रास गेट इंट्री लगाई गई थी लेकिन इनपर अधिकतर पर होर्डिग इस तरह से लगाई गई है कि रूट डाइरेक्शन के बने ऐरो भी ढक गए हैं। हालत यह है कि रूट डायरेक्शन के भरोसे आप पहुंचना कहीं और होगा, पहुंच कहीं और जाएंगे। आई नेक्स्ट ने जब शहर का जायजा लिया तो जो हाल मिला, उससे आप भी रू-ब-रू होइए।
रेलवे स्टेशन
शहर में सबसे अधिक लोग सबसे पहले रेलवे स्टेशन पर ही आते हैं। इसके लिए नगर निगम की ओर से यहां दो जगहों पर ऐरो वाला गेटइंट्री लगाया गया है। एक स्थान पर नगर निगम का लगाया ऐरो तो होर्डिग से बचा है लेकिन ट्रैफिक तिराहा के पास वाले गेटइंट्री पूरी तरह होर्डिग से ढक दी गई है। स्थिति यह है कि सोनौली की तरफ से आने वाले लोगों को रुककर पूछना ही पड़ जाता है कि गोलघर किधर से जाएं?
धर्मशाला बाजार
महराजगंज, सिद्धार्थनगर और जिले के उत्तर एरिया के लोग शहर में आने के लिए धर्मशाला ओवरब्रिज का यूज करते हैं। इस ओवरब्रिज में गोलघर काली मंदिर की तरफ एक गेटइंट्री लगा है, जिस पर एक बड़ी कंपनी का विज्ञापन लगा हुआ है। इस संबंध में जब नगर निगम के एक कर्मचारी से पूछा गया तो उसने बताया कि छह माह पहले लगी थी, उसके बाद किसी ने कंपनी को न तो नोटिस दिया और न ही उसे हटाने की कोशिश की। स्थिति यह होती है कि गोलघर काली मंदिर के पास आने के बाद लोगों को पूछना पड़ता है कि रेलवे स्टेशन या गोलघर जाने के लिए रास्ता किधर से है।
राजघाट
शहर का एक तरह से सबसे प्रमुख प्रवेश द्वार है। इसके लिए राजघाट पुलिस के पास एक गैंट्री लगाया गया है। इस गैंट्री के पास से दो रास्ते मुड़ते हैं। यहां पर लगे गैंट्री पर दोनों तरफ होर्डिग्स का कब्जा है। स्थिति यह होती है कि लोग हाइवे पर ही वाहन रोककर रास्ता पूछने के लिए मजबूर हो जाते हैं और इस रास्ता पूछने के चक्कर में कई बार हाइवे पर जाम लग जाता है।
यूनिवर्सिटी चौराहा
देवरिया, कुशीनगर और बिहार की तरफ से आने वाले लोग यूनिवर्सिटी चौराहा से होकर ही शहर में जाते हैं, लेकिन यहां लगे गैंट्री पर एक कंपनी की होर्डिग लगाकर कब्जा जमा लिया गया है। स्थिति यह है कि यहां पर बिहार या देवरिया की तरफ से आने वाले लोगों को बीच रोड पर गाड़ी खड़ी करके पूछना पड़ जाता है कि यह जगह कहां है? यहां से तीन तरफ रास्ते मुड़ते हैं। एक रास्ता गोलघर, एक रेलवे स्टेशन व एक रास्ता यूनिवर्सिटी के लिए जाता है।
बॉक्स
पीपीपी से होता है निर्माण
नगर निगम के विज्ञापन विभाग के दीपक श्रीवास्तव का कहना है कि शहर में बने गैंट्री का निर्माण पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप) मोड में होता है। निर्माण के समय ही कंपनी से एक अनुबंध होता है, जिसमें यह होता है कि 30 फीट लंबे गैंट्री पर 8 फीट एरिया नगर निगम के हिस्से में रहेगा, पर वह रोड किस तरफ जाती है और कौन-कौन सा प्रमुख मार्केट उस रोड पर पड़ता है, उसे ऐरो से दर्शाना होता है, लेकिन शहर में लगे 50 गैंट्री में से लगभग 30 के ऐरो पर भी होर्डिग लगाकर कब्जा कर लिया गया है।
शहर के सौंदर्यीकरण के लिए कोई सोचने वाला ही नहीं। प्रशासन हो या जिम्मेदार किसी के पास न तो कोई योजना है और न ही शहर को सुंदर बनाने की योजना। इसी का परिणाम है कि शहर को होर्डिग्स गंदा कर रहे हैं।
पीएन भट्ट, पॉलिटिशियन
शहर के लोग हो या जिम्मेदार किसी को शहर के बारे में कोई चिंता ही नहीं है। सभी अपने लाभ के लिए शहर को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं।
शिवेंद्र मिश्रा, टीचर