- सिटी के रोडवेज बस स्टेशंस से चलती हैं 165 बसेज और 299 बोलेरो
- गोरखपुर से रोडेवेज को प्रतिदिन हो रहा तीन लाख रुपए का नुकसान
GORAKHPUR: 'मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है' गाने की यह लेरिक्स भले ही आपको नमकहलाल मूवी की याद दिलाती हो, लेकिन इन दिनों रोडवेज ऑफिशियल्स इस सांग को बड़ी ही कसरत से गुनगुना रहे हैं। प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को अपने अंगने में आने की वजह पूछने वाला रोडवेज एडमिनिस्ट्रेशन सिर्फ सवालों तक ही सिमट कर रह जाता है, जबकि मनमानें प्राइवेट ऑपरेटर्स रोडवेज को ही चूना लगाने में लगे हुए है। प्राइवेट बस एंप्लाइज की मनमानी और जिम्मेदारों की अंदेखी की वजह से रोडवेज को हर मंथ लाखों को नुकसान हो रहा है, जिसका खमियाजा लोड फैक्टर्स की वजह से गवर्नमेंट ड्राइवर्स को भुगतना पड़ता है। आलम यह है कि एक किलोमीटर का एरिया तो दूर, यह मनमाने ड्राइवर्स कचहरी बस स्टेशन कैंपस से ही पैसेंजर्स बिठा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार सिर्फ चीख-चिल्लाकर ही अपनी भड़ास निकाल रहे हैं।
डेली 3 लाख का हो रहा है नुकसान
रोडवेज से चलने वाली डग्गामार बसें, रोजवेज की आमदनी में ही सेंध लगा रही हैं। रोडवेज से जुड़े सोर्सेज की मानें तो इनकी वजह से रोडवेज को डेली करीब 3 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। इसके लिए रोडवेज ने सर्वे कराया था, जिसमें रेलवे और कचहरी बस स्टैंड से करीब 165 प्राइवेट बसेज और 299 बोलेरो रोडवेज के पैसेंजर्स को भरती हैं। इसको लेकर रोडवेज की ओर से जिला प्रशासन और आरटीओ को कई बार शिकायतें भी की गई हैं, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। इसको देखते हुए लास्ट वीक फ्राइडे को आरएम सुग्रीव राय के निर्देश पर अभियान चलाया गया, जिसमें बड़ी तादाद में रोडवेज एंप्लाइज ने मिलकर डग्गामार गाडि़यों को स्टेशन एरिया से दूर करवाया था, लेकिन दो दिन बीतने के बाद फिर से इन डग्गामार बसों ने डेरा डाल दिया है। परिवहन सचिव का आदेश आते ही थर्सडे को भी रोडवेज अधिकारी और आरटीओ ने इन्हें स्टेशन एक किलोमीटर दायरे के बाहर करने के लिए अभियान चलाया। ट्रैफिक पुलिस ने पहले रेलवे स्टेशन बसेज का नंबर नोट किया बाद में रेलवे जीएम ऑफिस के पास जाकर उनका चालान काटा।
जाम की वजह है यह डग्गामार बसें
एक तरफ डग्गामार बसें रोडवेज को लाखों को चूना लगा रही हैं, वहीं दूसरी ओर यह पब्लिक को भी परेशानी में डाल रही हैं। आए दिन गोरखपुर जंक्शन की राह में दर्जनों डग्गामार बसें आड़ी-तिरछी खड़ी हो जाती हैं, जिसकी वजह से घंटों जाम की कंडीशन बनी रहती है। इतना ही नहीं उनकी मनमानी का यह आलम है कि जहां भी पैसेंजर्स की भीड़ दिखी, वहीं अपनी बस खड़ी कर दीं। उन्हें इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं होती कि उनके पीछे कितनी गाडि़यां कतार में हैं और किसे प्रॉब्लम हो रही है। इस पर कई बार टै्रफिक पुलिस और आरटीओ का डंडा भी चला है, लेकिन वह हैं कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।
फिक्स हैं निजी बसेज के लिए स्पॉट
ऐसा नहीं कि इन डग्गामार बसों के लिए कोई ऐसी जगह न हो, जहां से यह सवारी भर सकें, लेकिन मनमानी की वजह से यह रोडवेज के पैसेंजर्स पर ही सेंध लगाए बैठे रहते हैं।
बनारस रूट -
कचहरी रोडवेज बस स्टेशन से बड़हलगंज, मऊ, दोहरीघाट आजमगढ़, बनारस, इलाहाबाद टूरिस्ट पैसेंजर्स ले जाने वाली ्राइवेट बसेज के लिए पैडलेगंज चौराहे के पास प्लेस निर्धारित है लेकिन निजी बस वाले मनमानी कर बस स्टेशन के सामने ही पैसेंजर्स को भरते हैं।
देवरिया, कुशीनगर रूट -
देवरिया, कुशीनगर और बिहार के बार्डर तक जाने वाली निजी टूरिस्ट बसेज के लिए रेलवे जीएम ऑफिस के पहले पांडेय पेट्रोल पंप के सामने प्लेस सुनिश्चित किया गया है।
सिद्धार्थनगर, सोनौली रूट -
सिद्धार्थनगर और सोनौली जाने वाली टूरिस्ट बसेज के लिए गोरखनाथ रोड पर कुष्ठ आश्रम के पास प्लेस निर्धारित किया गया है।
महराजगंज रूट
महराजगंज जाने के लिए टूरिस्ट बसेज के लिए असुरन चौराहे से पैसेंजर्स भरने की आजादी है।
पैसेंजर्स को नियत टाइम पर पहुंचाना और पैसेंजर्स को फैसिलिटी प्रोवाइड कराना रोडवेज का काम है। प्राइवेट बसेज को हटवाने का काम प्रशासन का है, इसके लिए कई बार उनसे कहा भी जा चुका है। रोडवेज एंप्लाइज बवालकर उनको हटाने का प्रयास करते हैं।
आरएम, यूपी रोडवेज गोरखपुर
कार्रवाइयां की जाती हैं, लेकिन उसे कांटीन्यू नहीं रखा जाता है। जब भी आरटीओ विभाग कार्रवाई करता है, तो स्टेशन रोड क्लीयर रहती है।
- डॉ। अनिल कुमार गुप्ता, आरटीओ इनफोर्समेंट