- जंगलों से कर चुके हैं लाखों रुपए की लकड़ी तस्करी
- गिरफ्तार हुए भी तो बहुत दिन तक कैद नहीं रखे जा सके
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arun.kumar@inext.co.in
GORAKHPUR: एक वीरप्पन था दक्षिण भारत में। जंगलों से लकड़ी तस्करी, आदि कराने में कुख्यात वीरप्पन का पुलिस ने नामो निशान मिटा दिया। लेकिन गोरखपुर में भी कुछ वीरप्पन हैं, जो आज भी गिरफ्त से दूर हैं। इनके ऊपर ढेरों मुकदमें है। लाखों की लकड़ी की तस्करी के आरोप हैं। लेकिन पुलिस इन पर हाथ नहीं धर सकी है। अगर कभी पकड़े भी गए हैं तो बहुत दिनों तक कैद नहीं किए जा सके।
हर रोज होती है कटान
जिले के जंगलों में रोजाना पेड़ों की अवैध कटान होती है। तिनकोनियां रेंज के कुसम्ही जंगल, बॉकी रेंज के जंगल भेलमपुर उर्फ टिकरिया, कैंपियरगंज, आंनद नगर सहित कई जंगलों में रोजाना पेड़ों की अवैध कटान होती है। लकड़ी तस्कर और उनके गैंग के सदस्य वन विभाग को चकमा देकर लाखों रुपए की लकड़ी पार कर देते हैं। जंगलों में लकड़ी कटने का मामला सामने आने पर वन विभाग अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज करके कार्रवाई करता है। लेकिन प्रभावी एक्शन न होने तस्करों पर शिकंजा नहीं कस पाता।
ये हैं गोरखपुर के वीरप्पन
1- रमाशंकर उर्फ शंकर
निवासी: शिवपुर पड़रही, रुद्रपुर, देवरिया
सक्रियता: तिनकोनिया रेंज के कुसम्ही जंगल में
मुकदमे: 27 से अधिक खोराबार में
गैंग : आधा दर्जन से अधिक सक्रिय बदमाश
आरोप : 100 से अधिक साखू और सागौन के पेड़ काटने का आरोप
2-
रामफल निषाद,
निवासी: रजहीं खाले टोला, खोराबार, गोरखपुर
सक्रियता: तिनकोनिया रेंज के जंगल कुसम्ही में
मुकदमे : 79 से अधिक, खोराबार थाना में पेड़ चोरी, हत्या के प्रयास सहित कई धाराएं
आरोप: ढाई सौ से अधिक पेड़ों की खुलेआम तस्करी
गैंग : चार से अधिक सदस्यों का पुराना गैंग
3-
बनारसी
निवासी: पतरकी, करमौरा थाना गुलरिहा
सक्रियता: बाकी रेंज के जंगल टिकरिया उर्फ भेलम में
मुकदमे: गुलरिहा थाना में लकड़ी चोरी सहित कई मामले दर्ज
आरोप: जंगल से पेड़ों की कटान कराकर मार्केट में बेचना
गैंग के सदस्य: गैंग में छह से अधिक सदस्य
4-
राजू
निवासी: सोनपुर, रायगंज, खोराबार
सक्रियता: कुसम्ही जंगल सहित कई जगहों पर
गैंग: तीन से अधिक सक्रिय सदस्य
5-
जैशराम
निवासी: मूसाबार, बहुलिया, कैंपियरगंज
सक्रियता: कैंपियरंगज के जंगलों में
मुकदमे: 10 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले
गैंग: चार से अधिक सदस्यों का गैंग
इस रेट पर बिकती है लकड़ी
जंगल में पेड़ों की अवैध कटान से तस्कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। जंगल से निकलने के बाद दूरी बढ़ने के साथ-साथ रेट्स बढ़ते जाते हैं। जिले में अलग- अलग जंगलों में तस्करी के लकड़ी के मनमाफिक रेट तय हैं। बाजार में तीन गुना रेट होने से लोग तस्करी की लकड़ी खरीदकर काम चला लेते हैं। जिले के कुछ लकड़ी तस्करों से बात करने पर औसतन एक फुट लकड़ी के यह रेट सामने आए हैं।
पेड़ गोलबोटा चिरान जंगल के आसपास बाजार में रेट
साखू 400 रुपए 1200-1300 रुपए 1400-1600 रुपए
सागौन 600 रुपए 1800- 2000 रुपए 2500- 2600 रुपए
अवैध कटान में यह होता है फायदा
- लकड़ी बेचने में तीन गुने के आसपास तस्करों को फायदा मिलता है।
- पुराने मोटे पेड़ में कम से 60 फुट लकड़ी निकलती है।
- लकड़ी चिराई में कम से कम 40-45 फुट लकड़ी बचती है।
- चिराई के बाद अवैध लकड़ी मार्केट में वैध हो जाती है।
- एक पेड़ काटने में अधिकतम सात हजार रुपए का खर्च आता है।
- प्रति पेड़ पांच हजार रुपए वन कर्मचारियों, दो हजार रुपए पुलिस को मैनेज करने में खर्च होते हैं।
इन जंगलों में सक्रिय तस्करों का गैंग
जंगल कुसम्ही, जंगल टिकरियां उर्फ भेलमपुर, पनियरा, कैंपियरगंज, बेलटीकरा और बनगाई जंगल
फैक्ट फाइल वर्ष 2015-16
कार्रवाई में पकड़े गए तस्कर - 900
वन विभाग ने जुर्माना वसूला 29 लाख रुपए
तस्करों से बरामद लकड़ी 25 लाख रुपए
जेल भेजे गए 15 से अधिक लकड़ी कारोबारी
हाल में हुई बरामदगी
24 अगस्त 2016: गुलरिहा के जंगल टिकरिया में अवैध लकड़ी बरामद।
15 अगस्त 2016: गुलरिहा एरिया के सरहरी चौकी के पास भारी मात्रा में लकड़ी बरामद।
10 अगस्त 2016: खोराबार एरिया के रामनगर कड़जहा में अवैध लकड़ी बरामद हुई।
09 अगस्त 2016: गुलरिहा के बनगाई और टिकरियां पेड़ों की कटान पकड़ी गई।
04 अगस्त 2016: गुलरिहा में गोली चलाकर वन कर्मचारियों ने पिकअप पर लदी लकड़ी पकड़ी
21 मार्च 2016: बालापार- टिकरिया रोड पर वाहनों मे लदी हजारों रुपए की लकड़ी बरामद
वर्जन
जंगलों में अवैध कटान रोकने लिए वन कर्मचारी गश्त करते हैं। अवैध लकड़ी बरामद होने पर कार्रवाई की जाती है। कटान रोक पाने में नाकाम वन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है।
-आरआर जमुआर, मुख्य वन संरक्षक