गोरखपुर (ब्यूरो)। बता दें, भेडिय़ागढ पोखरे की जमीन पर बने मकान को लेकर मामला समाधान की ओर होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। तत्कालीन डीएम के विजयेंद्र पांडियन ने भेडिय़ागढ पोखरे के स्वामी, मोहल्ले वासियों व जिला प्रशासन के बीच हुए समझौते में यह आदेश जारी किया था कि सदर तहसील क्षेत्र में जमीन तलाशें। जमीन कई जगहों पर देखी गई, लेकिन तत्कालीन डीएम के आदेश पर सदर तहसील प्रशासन के सामने शहर एवं उसके आस-पास के इलाकों में स्थित छह जमीनों का प्रस्ताव भी दिया गया। जमीन की पड़ताल और उसकी कीमत के आकलन के लिए टीम भी गठित हुई, मगर लगातार दो महीने तक मामला गरमाया रहा। फरवरी 2021 में तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व एसडीएम सदर गौरव सिंह सोगरवाल के यहां से तबादले के बाद से अचानक ठंडा पड़ गया।
9.5 एकड़ में फैला है पोखरा, 150 लोगों को जारी हुआ था नोटिस
शहर के बीच में स्थित असुरन पोखरे का मूल क्षेत्रफल करीब साढ़े नौ एकड़ का रहा है। पर धीरे-धीरे इसका दायरा घटता गया और जमीन की खरीद-बिक्री होती रही। ऋषभ जैन से जमीन खरीदने के बाद कई लोगों ने निर्माण भी करा लिया है। 200 से अधिक आवासीय एवं वाणिज्यिक भवन बनाकर इसका अवैध कब्जा कर लिया गया। ताल-पोखरों को खाली कराने के अभियान के क्रम में तत्कालीन एसडीएम-ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर गौरव सिंह सोगरवाल ने असुरन पोखरे का क्षेत्रफल जांचने के लिए कमेटी बनाई थी। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक करीब 9.5 एकड़ क्षेत्रफल वाला यह पोखरा आज 4.5 एकड़ में सिमट गया है। निर्माण करने वाले करीब 150 लोगों को नोटिस जारी कर उन्हें अपना पक्ष रखने के साथ मामले में कार्रवाई आगे बढ़ी।
पोखरे की जमीन पर जीडीए ने पास किए 45 मानचित्र
पोखरे की जिस जमीन पर हुए निर्माण को प्रशासन शुरू से अवैध ठहराता आया है, उनमें ज्यादातर ने रजिस्ट्री कराकर जमीन ली। जीडीए ने एक दो नहीं 45 मानचित्र भी स्वीकृत किए। नगर निगम ने सड़क बनवाई है। बिजली विभाग ने तय फीस लेकर कनेक्शन दिया है। वहां रहने वाले लोग जलकर, गृह कर जमा करते हैं। इस मामले में जीडीए पहले कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं होने का दावा करता रहा। मगर पड़ताल के दौरान जीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष राम सिंह की तरफ से वर्ष 2010 में पूर्व कमिश्नर पीके महांति को सौंपी गई। एक रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ कि 45 मानचित्र स्वीकृत हुए हैं। जीडीए, निगम और राजस्व कर्मियों पर भी नहीं हुई कार्रवाई
इस मामले में पूर्व कमिश्नर जयंत नार्लिकर ने मानचित्र स्वीकृत करने वाले अफसरों की जवाबदेही तय करने के साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। साथ ही पोखरे की जमीन पर सड़क, नाली आदि का निर्माण कराने वाले नगर निगम को भी जिम्मेदारों पर कार्रवाई का निर्देश दिया था। जमीन रजिस्ट्री होने के बाद खारिज-दाखिल करने वाले राजस्व कर्मियों पर भी कार्रवाई होनी थी, मगर वह भी नहीं हुई।
भेडिय़ागढ़ पोखरे की जमीन के बदले जगंल हरिभजन के पास 9.5 एकड़ की जमीन परचेज करके कमिश्नर के पास दस्तावेज जमा करा दिए गए हैं, लेकिन वहां से अभी तक कोई जवाब नहीं प्राप्त हुआ है।
अरिहंत जैन, ऑनर भेडिय़ागढ़
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। तालाब जहां पर है वहीं रहेगा। भेडिय़ागढ़ पोखरे पर बसी अवैध कॉलोनियों की फाइल हमारे पास नहीं आई है। पोखरा, पशुचर और खलिहान को दूसरी जगह नहीं शिफ्ट किया जा सकता है। अगर ऐसा हो रहा है तो गलत है। इस पर कार्रवाई की जाएगी।
रवि कुमार एनजी, कमिश्नर