- सीओ-एसओ की जांच, एसपी से मांगा स्पष्टीकरण

- आईजी बोले, थानेदारों को नहीं मनमानी की छूट

GORAKHPUR: महिलाओं के प्रति घटित अपराधों की शिकायत पर कार्रवाई में लापरवाही भारी पड़ेगी। सहजनवां और चौरीचौरा में रेप की घटनाओं को आईजी जोन ने संज्ञान लिया है। दोनों मामलों में लापरवाही पाए जाने पर आईजी ने एसओ और सीओ की जांच कराने का निर्देश जारी किया। सूचनाओं के संकलन में नेटवर्क कमजोर होने, सुपरविजन में कोताही मिलने पर एसपी ग्रामीण और सीओ एलआईयू से स्पष्टीकरण तलब किया। रविवार को जारी पत्र में आईजी ने थानेदारों की मनमानी पर घोर चिंता जताई। आईजी ने कहा थानेदारों को मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती है। ऐसी हरकतों से पुलिस-प्रशासन की छवि खराब हो रही।

क्यों नहीं पकड़ा अभियुक्त?

सहजनवां गैंग रेप में पीडि़ता की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करने के बावजूद पुलिस लापरवाह बनी रही। अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के बजाय पुलिस उनको निर्दोष बताती रही। सीजेएम कोर्ट से पीडि़त को सात दिनों तक हिरासत में रखने, अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई न करने के मामले को संज्ञान लेने पर पुलिस हरकत में आई। 23 अप्रैल को पुलिस ने आरोपी विशाल और कमलेश को अरेस्ट करके जेल भेजा।

कैसे कलेक्ट्रेट पहुंची पीडि़ता

चौरीचौरा थाना में दर्ज रेप के मुकदमे के आरोपी गिरफ्तारी न होने पर पीडि़त शनिवार को कलेक्ट्रेट में आत्मदाह करने पहुंची। उसने आरोप लगाया कि एसओ चौरीचौरा ने अभियुक्त को पकड़कर थाने से छोड़ दिया था। हंगामा होने पर पुलिस-प्रशासन के अफसर पहुंचे। लोगों ने पीडि़त किशोरी को समझा बुझाकर शांत कराया। इस मामले में एलआईयू के पास पहले से कोई सूचना नहीं थी। बीट आरक्षी भी सूचनाएं देने में नाकाम रहे।

बिना जांच कैसे निष्कर्ष

दोनों मामलों में आईजी ने एसओ और संबंधित सर्किल के सीओ को जिम्मेदार माना। आईजी ने कहा कि पुलिस अधिकारी जांच के बिना ही अपना निष्कर्ष दे देते हैं। जिस प्रकरण को पहले झूठा बताया गया। उसी प्रकरण में अभियुक्तो को जेल भेजा गया। दोनों मामलों में संबंधित थानों की पुलिस ने अपरिपक्वता, अदूरदर्शिता और अविवेकपूर्णता का परिचय दिया। महिलाओं के प्रति पुलिस में संवेदनशीलता का अभाव सामने आया। इसलिए संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है।

महिलाओं के प्रति घटित अपराधों में मुकदमा दर्ज करने के बाद तत्परता से साक्ष्य जुटाते हुए बिना विलंब किए रिपोर्ट न्यायालय में प्रेषित करने का निर्देश है। शासन, सुप्रीम कोर्ट और पुलिस मुख्यालय से समय-समय पर आदेश-निर्देश प्राप्त होते हैं। ऐसे घटनाओं में लापरवाही से पुलिस की छवि खराब होती है।

हरीराम शर्मा, आईजी जोन