गोरखपुर (ब्यूरो)।यही वजह है कि पांच साल पहले मिली इस सौगात की सांसे अब ताले में बंद पड़ी हुई हैं। जिम्मेदार अस्पताल का संचालन तो कर रहे हैं, लेकिन क्रिटिकल मरीजों के लिए दी गई छह बेड के आईसीयू की सुविधा अब तक शुरू नहीं हो पाई है। यह हाल तब है, जब पांच साल पहले सीएम ने जिला महिला अस्पताल में बने 100 बेड मैटरनिटी विंग अस्पताल का उद्घाटन किया।

अस्पताल प्रशासन के हाथों में कमान

मिली जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में बने 100 बेड मैटरनिटी विंग अस्पताल का संचालन पीपीपी मॉडल पर किया जाना था। दो करोड़ के उपकरण भी खरीदे गए। जो मैटरनिटी विंग में रखे गए। लेकिन संचालन करने वाली फर्म ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद शासन के फरमान पर अस्पताल प्रशासन ने मैटरिनिटी विंग अस्पताल को संचालित करने का मन बनाया। इसके लिए एनएचएम के जरिए डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई।

2019 में सीएम ने किया था उद्घाटन

100 बेड मैटरनिटी विंग के अस्पताल का संचालन करने के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से तैयारियां पूरी की। 27 जनवरी 2019 को सीएम योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल का उद्घाटन किया। इसके बाद अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया गया। लेकिन स्टाफ की कमी के चलते आज भी अस्पताल में बने वेंटिलेटर युक्त छह बेड का आईसीयू धूल फांक रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि आईसीयू चलाने के लिए एमडी फिजिशियन विशेषज्ञ और एनेस्थेटिस्ट की जरूरत होती है। विशेषज्ञ नहीं मिलने की वजह से आईसीयू का संचालन नहीं हो पा रहा है।

क्रिटिकल मरीज रेफर होते हैं बीआरडी

जिला महिला अस्पताल में प्रतिदिन 10 गर्भवती का सीजेरियन होता है। वहीं, 15 से 20 का नार्मल डिलेवरी कराया जाता है। इतना ही नहीं 4 से 5 क्रिटिकल मरीजों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है। संसाधनों से लैस अस्पताल होने के बाद भी मरीजों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।

फीवर ट्रैकिंग हेल्थ यूनिट बंद

महिला अस्पताल के 100 बेड मैटरनिटी विंग में फीवर ट्रैकिंग यूनिट स्थापित है। लेकिन साफ-सफाई नहीं होने की वजह से गंदगी का अंबार लगा हुआ है। चारों तरफ धूल को मोटी चादर बिछी हुई है। यूनिट तो बंद है लेकिन सफाई भी नहीं होती है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि करोड़ों की बनी बिल्डिंग की सफाई भगवान भरोसे है।

बारिश में छह से टपकता है पानी

अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि बारिश की दिनों में छत से पानी टपकता है। जबकि अस्पताल प्रशासन का दावा है कि डेली अस्पताल का निरीक्षण किया जाता है। साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। सच तो यह है कि अफसरों का दावा पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है।

अस्पताल में आईसीयू संचालित करने के लिए ट्रेंड स्टाफ और एनेस्थेटिस्ट की जरूरत है। शासन को डिमांड भेजी गई है। वहीं मैटरनिटी विंग में कई कमरे ऐसे हैं जो हेल्थ डिपार्टमेंट के अंडर में हैं। सफाई के लिए चाभी मांगी है। जहां तक छत टपकने की बात है तो उसका सर्वे करवाया गया है। जल्द ही मरम्मत कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।

- डॉ। जय कुमार, एसआईसी महिला अस्पताल