-सीएमओ ऑफिस में दलाल बनवाते हैं हेल्थ और डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट

-300 रुपए देकर कोई भी बनवा सकता है विकलांग सर्टिफिकेट

-विकलांग सर्टिफिकेट के लिए खर्च करने पड़ते हैं 2 से 5 हजार रुपए तक

GORAKHPUR : भ्रष्टाचार अब 'शिष्टाचार' बन चुका है। यह 'शिष्टाचार' हेल्थ डिपार्टमेंट में खूब निभाया जा रहा है। तभी तो यहां फिटनेस सार्टिफिकेट से लेकर डिसेबलिटी सर्टिफिकेट तक बनवाने के लिए खुलेआम रिश्वत का खेल चल रहा है। इसका खुलासा आई नेक्स्ट ऑफिस में आए कई रीडर्स के फोन कॉल से हुआ। रीडर्स ने फोन पर जो बताया वह चौंकाने के साथ शर्मनाक था। आई नेक्स्ट रिपोर्टर शिकायतों की तस्दीक करने के लिए एक कॉमनमैन बनकर सीएमओ कार्यालय गया। वहां उसने फिटनेस सर्टिफिकेट बनाने की बात कही। इसके बाद जो हकीकत वह सामने आई वह हैरान और परेशान कर देने वाली थी। वहां पर हमने पाया कि पैसे देकर किसी भी स्वस्थ्य व्यक्ति को विकलांग और विकलांग को स्वस्थ्य होने का सर्टिफिकेट मिल सकता है। इन सबके बीच जो सर्टिफिकेट के लिए पात्र हैं उन्हें इसका लाभ नहींमिल पा रहा है और दलाल मौज काट रहे हैं।

फ्00 रुपए में कर देंगे आपको 'फिट'

आई नेक्स्ट रिपोर्टर फिटनेस सर्टिफिकेट की सच्चाई जानने के लिए थर्सडे को सीएमओ ऑफिस पहुंचा। ऑफिस के बाहर कई लोग बैठे हुए थे। रिपोर्टर ने उनमें से एक व्यक्ति से बात की तो पता चला कि वह फिटनेस सार्टिफिकेट बनवाने का ठेका लेता है। जो कुछ उसने बताया वह हेल्थ डिपार्टमेंट की पोल खोलने के लिए काफी था। पेश है दलाल और रिपोर्टर के बीच हुई बातचीत के अंश।

रिपोर्टर- मुझे फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाना है।

दलाल- बन जाएगा।

रिपोर्टर- एक प्रॉब्लम है, मेरी आंखें कमजोर हैं और चश्मा भी लगा है। ऐसे में फिटनेस सर्टिफिकेट में मेरी आंखें स्वस्थ्य ही बतानी होंगी।

दलाल- यहां तो हमारा यही काम है। अस्वस्थ्य को भी स्वस्थ्य बता देते हैं। उसकी चिंता मत करो।

रिपोर्टर- कितने रुपए लगेंगे?

दलाल- आपके काम में थोड़ा रिस्क है, इसलिए फ्00 रुपए लगेंगे।

रिपोर्टर- कब तक मिल जाएगा सर्टिफिकेट?

दलाल- शाम को आना, मिल जाएगा।

रिपोर्टर- कोई चेकअप तो नहीं करवाना होगा?

दलाल- अरे, आप निश्चिंत होकर घर जाइए, शाम को आइएगा। सर्टिफिकेट दे दूंगा।

फ्00 रुपए में पूरी जांचें गायब!

फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाना एक बड़ी प्रक्रिया है। दलाल ने महज ब् घंटे में ही यह सार्टिफिकेट बनवाने का दावा किया, जबकि सिस्टम के अनुसार एक लंबी प्रक्रिया के बाद सर्टिफिकेट मिलता है-

- पहले कैंडिडेट को एक रुपए की सरकारी पर्ची कटवानी पड़ती है।

- डॉक्टर बॉडी चेकअप कर एक्सरे, आई चेकअप, ब्लड टेस्ट, चेस्ट, ईयर टेस्ट करवाने को लिखता है।

- मरीज जब यह सारे टेस्ट में फिट मिलता है तब उसे फ्ख् रुपए जमा करने के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट जारी दिया जाता है।

इनमें भी चलती है खुलेआम दलाली-

मेडिकल सर्टिफिकेट- हर महीने सैकड़ों स्टूडेंट्स और एंप्लाई मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए सीएमओ और एसआईसी ऑफिस के चक्कर काटते हैं। जो सिस्टम के साथ इस सर्टिफिकेट को पाना चाहता है उसे एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता। जबकि बाहर खड़े दलाल इसे महज भ्00 से क्000 रुपए में हाथों हाथ बनवाकर दे देते हैं। सबसे खास बात यह है कि बीमार हुए बिना भी आपको बीमार होने का मेडिकल सार्टिफिकेट मिल जाता है।

डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट- यह सर्टिफिकेट केवल मंडे को बशारतपुर की लालकोठी में बनता है। यहां भी जमकर खेल चलता है। जो डिसेबल नहीं है, अगर वह दलाल को ख् से भ् हजार रुपए देता है तो उसे डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट मिल जाता है। इस खेल में डॉक्टर और क्लर्क भी मिले होते हैं। जबकि इस सर्टिफिकेट के लिए गर्वमेंनट ने महज फ्0 रुपए फीस तय कर रखी है। ऐसे में दलाल जिन कैंडिडेट के सर्टिफिकेट बनवाने का ठेका लेते हैं, उनका डॉक्टरी परीक्षण तक नहीं किया जाता है। वहीं गरीब विकलांग अपने हक के लिए महीनों चक्कर काटने के बाद भी सार्टिफिकेट नहीं बनवा पाते हैं।

यहां करें शिकायत-

अगर आपके हेल्थ सर्टिफिकेट के लिए कोई पैसा मांग रहा है या फिर परेशान कर रहा है तो आप यहां शिकायत कर सकते हैं-

सीएमओ कार्यालय, घोष कंपनी, गोरखपुर

मोबाइल नंबर- 800भ्क्9ख्म्म्0

एसआईसी का मोबाइल नम्बर - 800भ्क्7ख्7म्भ्

फिटनेस और विकलांग सर्टिफिकेट बनाने के लिए तीन डॉक्टर और एंप्लाई लगाए गए हैं। हर मंडे को प्रमाण पत्र बनवाया जाता है। यदि दलालों द्वारा पैसे लिए जा रहे हैं तो इसकी जांच कराई जाएंगी। जांच में दोषी पाए गए दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ.एमके सिंह, सीएमओ

जनहित के कायरें में ऐसा नहीं होना चाहिए। यह गलत है। जिम्मेदार अफसरों से इस संबंध में बात की जाएगी कि दलालों पर विशेष निगरानी रखे। यदि दलाली करते कोई पकड़े गया तो उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

डॉ.आरके तिवारी, एडी हेल्थ