- DDUGU छात्रसंघ चुनाव को लेकर आई नेक्स्ट ने कराया स्टूडेंट्स और प्रबुद्ध वर्ग का ग्रुप डिस्कशन
- सब बोले, हर तीन महीने पर चुने गए पदाधिकारियों की हो समीक्षा
GORAKHPUR: दस साल बाद हो रहे छात्रसंघ चुनाव की तारीख घोषित होते ही कैम्पस में पठन-पाठन प्रभावित हो गया है और आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई जा रही है। एक-एक पद पर दर्जनों प्रत्याशी मैदान में हैं। यूं तो इस समय 53 उम्मीदवार हैं लेकिन, मुद्दे किसी के पास नहीं है। इन्हीं सब बातों को लेकर आई नेक्स्ट ने यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स और प्रबुद्ध वर्ग के साथ ग्रुप डिस्कशन किया। इसमें लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों से लेकर छात्रसंघ चुनाव के इम्र्पोटेंस तक पर चर्चा हुई। सभी टॉपिक पर छात्र व बुद्धिजीवियों ने बेबाक राय रखे।
लब्बोलुआब यह रहा कि छात्रसंघ चुनाव राजनीति की प्राथमिक पाठशाला है इसलिए स्वस्थ राजनीति के लिए और छात्रों में लीडरशिप डेवलपमेंट के लिए यह चुनाव जरूरी तो है लेकिन यह नियम-कायदे के दायरे में ही होना चाहिए। सबकी राय रही कि नेता खुद के लिए नहीं, बल्कि छात्रों के हित के लिए चुनाव लड़ें। चुनाव के पहले ही सबका मेनोफेस्टो होना चाहिए और जीतने के बाद प्रत्येक तीन माह पर उनके कार्यो की समीक्षा होनी चाहिए। इस समीक्षा में सत्ता पक्ष का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
सबकी राय, यह हो तो बात बन जाए
- छात्र संघ चुनाव लिंगदोह कमेटी की शर्तो के अनुरूप ही संपन्न हो।
- इस दौरान पढ़ाई बाधित नहीं होनी चाहिए। क्लास में कैंपेनिंग पर रोक लगनी चाहिए।
- चुनाव के पहले सभी कैंडिडेट्स का मेनीफेस्टो होना चाहिए ताकि स्टूडेंट्स इसके जरिए अपने कैंडिडेट को ठीक से समझ सकें।
- चुनाव में धन-बल का यूज नहीं होना चाहिए। यह सादगी के साथ कम खर्च में लड़ा जाना चाहिए।
- चुनाव जीतने वाले पदाधिकारियों के कार्यो की तीन माह में समीक्षा होनी चाहिए।
- चुने गए पदाधिकारियों को स्टूडेंट्स की प्राब्लम को सही जगह रखना चाहिए और उसका निदान कराना चाहिए।
- छात्र नेताओं को रैगिंग को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और इस पर रोक लगाने में यूनिवर्सिटी का सहयोग करना चाहिए।
कोट्स
छात्रसंघ चुनाव से स्टूडेंट्स में लीडरशिप क्वालिटी डेवलप है। अगर किसी स्टूडेंट को कोई समस्या है तो वह प्रतिनिधि के पास ही जाएगा। ऐसे में छात्रसंघ चुनाव होना चाहिए। स्टूडेंट्स को अपनी समस्या रखने का कम से कम एक प्लेटफॉर्म तो मिलेगा।
- शिव प्रसाद शुक्ला, स्टूडेंट
छात्रसंघ चुनाव की तिथि जब से घोषित हुई तब से क्लासेज में कन्वेंसिंग जबरदस्त हो रही है। स्टूडेंट्स से इंट्रेक्शन जरूरी है, लेकिन लिंगदोह कमेटी की शर्तो को ध्यान में रखा जाना चाहिए। छात्रों में लीडरशिप क्वालिटी डेवलप करने के लिए चुनाव का हमें स्वागत करना चाहिए।
- अभिषेक त्रिपाठी, स्टूडेंट
छात्रसंघ चुनाव छात्र हित के लिए होना आवश्यक है। लिंगदोह कमेटी के जो भी नियम हैं, वे सराहनीय हैं। उनका पालन हो। चूंकि छात्रसंघ राजनीति की प्राथमिक पाठशाला है, इसलिए स्वस्थ राजनीति के लिए यह जरूरी है।
- सौरभ पांडेय, स्टूडेंट
छात्र हित के लिए चुनाव लड़ा जाना चाहिए। छात्र नेता ही वे माध्यम हैं, जिनके जरिए छात्र अपनी बात को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाता है। इसलिए चुनाव जरूरी है। लेकिन इस बात का भी छात्र प्रतिनिधि को ध्यान रखना होगा कि वह निष्पक्षता के साथ पीडि़त छात्रों की समस्या को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाएं।
अनुराग दुबे, स्टूडेंट
छात्रसंघ चुनाव दस साल बाद हो रहा है। ऐसे में हमें इसका स्वागत करना चाहिए। छात्र को अपनी समस्या रखने का एक माध्यम मिलने जा रहा है। क्योंकि छात्र संगठन नहीं होगा तो फिर छात्र अपनी समस्या कहां रखेगा? वहीं छात्र प्रतिनिधियों को भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि वे कैंपस में अच्छा वातावरण बनाएं न कि कुर्सी का लाभ उठाएं।
- मोनू कन्नौजिया, स्टूडेंट
छात्रसंघ चुनाव का हमें स्वागत करना चाहिए। चुनाव लिंग दोह कमेटी की शर्तो के मुताबिक ही हो रहा है। दस साल बाद हो रहे छात्रसंघ चुनाव में उम्मीदवारों ने जो शालीनता का परिचय दिया है, वह सराहनीय है। चुने गए प्रतिनिधियों के रूप में निश्चित तौर पर यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स की समस्या को आगे तक पहुंचाने का एक बेहतर प्लेटफकॅर्म मिलेगा। बशर्ते इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि स्टूडेंट्स जिस प्रतिनिधि को चुन रहे हैं, वह क्या उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा? इसकी समय-समय पर समीक्षा भी होनी चाहिए।
- प्रो। अजय कुमार शुक्ला, इंग्लिश डिपार्टमेंट, डीडीयूजीयू