गोरखपुर (ब्यूरो).बता दें, पड़ोसी देश नेपाल हो या फिर बिहार राज्य से छोटे मासूम बच्चों को इंडिया के दूसरे राज्यों में ले जाता है। सीआईबी की मानें तो गोरखपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म 9 पर एसआई गाम यादव, हेड कांस्टेबल राम बहादुर, विनोद कुमार, विद्या रत्न मिश्र व धीरज कुमार अपराधिक गतिविधियों को लेकर 12555 गोरखधाम में चेकिंग कर रहे थे। वह कोच संख्या डी-184546 में पहुंचे तो वहां छोटे-छोटे बच्चे बैठे दिखाई दिए। तभी गाड़ी चल दी। इसकी सूचना आरपीएफ प्रभारी को दिए जाने के बाद टीम गाड़ी में चढ़ गई, गाड़ी में बैठे दो व्यक्तियों लोबसंग चिल्ले व डंपानोरसाइड तमाड़ से पूछताछ में बताया कि इन बच्चों को शार वार्डन स्कूल कर्नाटक में पढ़ाने के लिए ले जाया जा रहा है, लेकिन टीम को शक होने पर बच्चों के आधार कार्ड व परिवार का सहमति पत्र आदि डाक्यूमेंट्स मांगे जाने पर वह दिखा नहीं सके। जबकि कुछ बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र की छाया प्रति उपलब्ध कराई गई। बाद में पूछताछ के लिए बस्ती स्टेशन पर आरपीएफ व जीआरपी की मदद से बस्ती चाइल्ड लाइन को सभी 16 बच्चे सुपुर्द कर अग्रिम कार्रवाई के लिए जांच शुरू कर दी गई है। सीआईबी इंस्पेक्टर दशरथ प्रसाद ने बताया, डाक्यूमेंट्स दिखाने के बाद ही बच्चों को परिजनों को सौंपा जाएगा।
लगातार मिले बच्चे
16 अगस्त - एएचटी टीम ने इंदिरा बाल विहार के पास एक नाबालिग बच्चे को गुब्बारा बेचते हुए लावारिस अवस्था में रेस्क्यू किया, जिसे चाइल्ड लाइन के सुपुर्द किया गया।
18 जून - धर्मशाला मछली मंडी में भीख मांग रहे एक नाबालिग बच्चे को रेस्क्यू कर चाइल्डलाइन को सौंपा गया।
19 जून - तीन नाबालिग बच्चे को रेलवे स्टेशन पर भीख मांग रहे थे, रेस्क्यू कर उन्हें चाइल्ड लाइन के हवाले किया गया।
22 जून - नाबालिग बच्चे जो भीख मांग रहे थे, उन्हें रेस्क्यू कर उन्हें चाइल्ड लाइन के हवाले किया।
29 जून - ऑपरेशन मुस्कान के तहत गुमशुदा बच्चे को उसे परिवार से मिलाया गया।
5 जुलाई - एएचटी ने रेस्क्यू कर व्ही पार्क में भीख मांग रहे 2 नाबालिग बच्चों को चाइल्ड लाइन भेजा।
दोष सिद्ध होने पर दर्ज होता है मुकदमा
एएचटी से मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक अलग-अलग जगहों से 57 से अधिक बच्चे बाल मजदूरी करते मिल चुके हैैं, जिनके दुकान मालिकों को नोटिस भेज गया है। सीडब्ल्यू के सामने ये लोग नोटिस का जवाब देंगे। इसमें जिस पर भी दोष सिद्ध होगा। उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
चाइल्ड लाइन को किया जाता है सुपुर्द
रेस्क्यू के बाद मिले बच्चों को चाइल्ड लाइन में भेज दिया जाता है। चाइल्ड लाइन की टीम बच्चों के घरवालों से बात कर उन्हें बुलाकर बच्चे को सौंप देती है। दोबारा फिर ना आए इसके लिए बच्चों के परिजनों को वॉर्निंग भी दी जाती है।